केंद्र ने सोनम वांगचुक के NGO का FCRA लाइसेंस रद्द किया, ‘सार्वभौमिकता’ पर अध्ययन समेत कई उल्लंघनों का हवाला दिया

Written by sabrang india | Published on: September 26, 2025
लेह में हिंसक प्रदर्शन के एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक की NGO का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। मंत्रालय ने उल्लंघनों का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है, जिसमें राष्ट्रीय 'सार्वभौमिकता' (sovereignty) पर अध्ययन के लिए मिले फंड का दुरुपयोग शामिल है। वहीं NGO का कहना है कि ये फंड युवाओं में प्रवास, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, सार्वभौमिकता और जैविक खेती जैसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों में इस्तेमाल किए गए थे।



लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की मौत के एक दिन बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एनजीओ ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ (एसईसीएमओएल) का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण रद्द कर दिया है।

सरकार ने वांगचुक पर “भड़काऊ बयानों” के जरिए हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। उसने 25 सितंबर, 2025 को रद्द करने का आदेश जारी किया। आदेश में कई वित्तीय और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों का विवरण दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप एनजीओ की विदेशी धन प्राप्त करने की क्षमता को तत्काल समाप्त कर दिया गया।

यह कार्रवाई SECMOL को 20 अगस्त, 2025 को जारी एक कारण बताओ नोटिस के बाद की गई, जिसका जवाब एसोसिएशन ने 19 सितंबर को दिया। एनजीओ के जवाब की जांच के बाद, मंत्रालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कई उल्लंघन हुए थे।

पैसों की गड़बड़ियों और फंड की सही जानकारी न देने को लेकर मंत्रालय की जांच में कई खुलासे

गृह मंत्रालय (MHA) के आदेश में वित्तीय गड़बड़ियों और एफसीआरए (FCRA) नियमों का पालन न करने के कुछ खास मामलों का जिक्र किया गया है।

● मंत्रालय ने बताया कि 2021-22 के वित्तीय वर्ष में सोनम वांगचुक द्वारा SECMOL के एफसीआरए खाते में 3.5 लाख रुपये जमा किए गए थे, जिसे कानून की धारा 17 का उल्लंघन बताया गया है।

● SECMOL ने अपने बचाव में कहा कि जमा की गई राशि 3,35,000 रुपये थी, जो एक पुराने बस की बिक्री से मिली थी — यह बस 14.07.2015 को एफसीआरए फंड से खरीदी गई थी। संस्था का तर्क था कि विदेशी फंड से खरीदी गई संपत्तियों की बिक्री से जो भी रकम मिलती है, उसे वापस एफसीआरए खाते में ही जमा किया जाना चाहिए।

● हालांकि, मंत्रालय को यह जवाब स्वीकार्य नहीं लगा। आदेश में कहा गया कि यह राशि सालाना विवरण में सोनम वांगचुक से मिली "विदेशी चंदा" के रूप में दिखाई गई थी, लेकिन यह पैसा एफसीआरए बैंक खाते में जमा होने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। मंत्रालय ने निष्कर्ष निकाला कि यह राशि संभवतः नकद में ली गई है जो कानून की धारा 17 का उल्लंघन है और इसे संस्था ने अपने जवाब में ठीक से उजागर नहीं किया।

● आदेश में आगे यह भी जिक्र किया गया कि इस लेन-देन को एफसीआरए खाते में न दिखाना, कानून की धारा 18 का भी उल्लंघन है।



स्थानीय और विदेशी फंड्स का घालमेल

एक और उल्लंघन जो मंत्रालय ने उजागर किया, वह था वर्ष 2020-21 के दौरान तीन लोगों द्वारा 54,600 रुपये की स्थानीय राशि का एफसीआरए खाते में जमा किया जाना। SECMOL ने इस गलती को स्वीकार करते हुए स्पष्टीकरण दिया कि यह पैसा कुछ स्वयंसेवकों द्वारा उनके भोजन और आवास के खर्च के लिए दिया गया था, लेकिन यह “गलती से एफसीआरए खाते में जमा हो गया, जबकि इसे स्थानीय खाते में जाना चाहिए था।” संस्था ने यह भी कहा कि इस संबंध में उसकी वेबसाइट पर पहले से ही स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

हालांकि, गृह मंत्रालय (MHA) के आदेश में कहा गया कि: "जैसा कि संस्था ने स्वीकार किया है, स्थानीय फंड्स को एफसीआरए खाते में जमा किया गया, जो कि अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है।"

‘Sovereignty’ अध्ययन के लिए फंड्स के दुरुपयोग का आरोप; NGO का बचाव
शायद आदेश में सबसे गंभीर उल्लंघन 2021-22 के वित्तीय वर्ष में स्वीडिश दाता Framtidsjorden से प्राप्त 4,93,205 रुपये की अनुदान राशि से जुड़ा है।

SECMOL ने स्पष्ट किया कि यह फंड एक शैक्षिक कार्यक्रम के लिए था, जिसका उद्देश्य युवाओं में प्रवास, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और “सार्वभौमिकता (Sovereignty)” जैसे मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना था।

संस्था ने अपने जवाब में कहा: “हमने Framtidsjorden से 4,93,205 रुपये प्राप्त किए थे, जो कि FE प्रोजेक्ट के तहत युवाओं के लिए शैक्षिक कार्यक्रम के लिए थे। इस कार्यक्रम का मकसद युवाओं में प्रवास, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान वृद्धि, खाद्य सुरक्षा, सार्वभौमिकता और जैविक खेती जैसे विषयों पर जागरूकता पैदा करना था, जो विभिन्न कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों के जरिए किया गया। ये फंड पूरी तरह से संस्था के उद्देश्यों के अनुरूप और जिन विशिष्ट उद्देश्यों के लिए आवंटित किए गए थे, उनके लिए ही इस्तेमाल किए गए। इसलिए, ये सभी गतिविधियां शैक्षिक थीं और कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।”

गृह मंत्रालय के 25 सितंबर 2025 के आदेश के पृष्ठ 3 पर, मंत्रालय ने अपने निष्कर्षों में इस खास बात को अहम माना। आदेश में कहा गया कि संस्था ने स्वीकार किया कि यह दान “देश की सार्वभौमिकता (Sovereignty)” पर एक अध्ययन के लिए था और फंड दाता के उद्देश्यों के अनुसार इस्तेमाल किए गए थे।

हालांकि, मंत्रालय ने पाया कि यह गतिविधि गैरकानूनी थी और कहा: “विदेशी अनुदान को देश की सार्वभौमिकता (Sovereignty) पर अध्ययन के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता। संस्था की यह कार्रवाई देश के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है और अधिनियम की धारा 12(4)(f)(i) का उल्लंघन है।”

अपनी जांच पूरी करते हुए, मंत्रालय ने यह भी बताया कि उल्लंघनों को देखते हुए संबंधित प्राधिकारी ने SECMOL का एफसीआरए पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।

पृष्ठभूमि: लेह में अशांति और प्रदर्शन

लेह में हालिया अशांति के तुरंत बाद इसे रद्द किया गया। 24 सितंबर को मुख्य रूप से युवाओं के नेतृत्व वाले बड़े प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई। यह प्रदर्शन सोनम वांगचुक के समर्थन में आयोजित किया गया था, जो लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर थे। इन मांगों में लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत उसे शामिल करने की बात शामिल थी, ताकि वहां की जमीन, संस्कृति और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों ने संपत्ति की तोड़-फोड़ की और वाहन आग के हवाले कर दिए, जिससे सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं। इस पर सुरक्षा बलों ने आंसू गैस और फायरिंग की। हालांकि, इस हिंसा में कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। केंद्र सरकार ने दावा किया कि “भीड़ को श्री सोनम वांगचुक ने अपनी उत्तेजक बयानबाजी के जरिए उकसाया,” लेकिन वांगचुक ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा शांति की अपील की है।

हिंसा के बाद, स्थानीय प्रशासन ने सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध लगा दिया और इंटरनेट सेवाओं को भी सीमित कर दिया। लद्दाख के प्रतिनिधियों और गृह मंत्रालय (MHA) के बीच अगली बातचीत की तारीख 6 अक्टूबर तय की गई है।

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