CAA, NPR का खौफ: नागरिकता खोने के डर से एक गांव के मुस्लिमों ने निकाल लिए बैंक से पैसे

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 26, 2020
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) और NRC को लेकर सरकार सबकुछ साफ नहीं कर रही। इसकी वजह से लोगों में भय का माहौल है। नागरिकता कानून का देशभर में विरोध हो रहा है। इस बीच तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले के एक गांव के मुस्लिम समुदाय के क़रीब 100 से ज़्यादा लोगों ने बैंकों से अपनी सारी जमा पूंजी निकालने की खबर आ रही है। पिछले कुछ दिनों से इन ग्रामीणों मेहनत-पसीने से कमाई गई रकम डूबने के डर के मारे बैंकों से पैसे बाहर निकाल लिए। 



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पिछले कुछ दिनों में बैंक में रखी अपनी सेविंग्स का ज्यादातर हिस्सा निकाल लिया है। ऐसा इन लोगों ने सरकार के प्रस्तावित नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया के दौरान अपनी नागरिकता खो देने के डर से किया है। तेरिझांदुर गांव के किसानों का कहना था कि उन्हें डर है कि सरकार कुछ दिनों में एनपीआर लॉन्च करने वाली है और इसके चलते उनकी जमा पूंजी डूब सकती है।

गांव के स्थानीय लोगों को इंडियन ओवरसीज बैंक के अधिकारियों के साथ एक वीडियो में बातचीत करते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियों में बैंक के अधिकारी लोगों से गुजारिश कर रहे हैं कि वे अपना पैसा बैंक से न निकालें। बैंक की तरफ़ से समझाने-बुझाने के बावजूद ग्रामीण नहीं माने। ख़बर के मुताबिक बैंक के मैनेजर ने शुक्रवार को गांव के एक स्कूल में लोगों को यह समझाया कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में दस्तावेज़ देने की ज़रूरत नहीं है और उनकी कमाई हुई रकम को कुछ नहीं होगा।

मैनेजर की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों ने उनकी बात को मानने से इनकार कर दिया। किसानों ने कहा कि राज्यसभा और लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से ही वे डरे हुए हैं। एक किसान ने कहा, “हमने सुना है कि बैंक अपनी केवाईसी के लिए एनपीआर को भी ज़रूरी बनाने जा रहे हैं। इसलिए हम भविष्य में अपनी पूंजी नहीं खोना चाहते। हमें यह पक्की जानकारी नहीं है कि आख़िर नागरिकता को साबित करने के लिए हमें किन दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी। इसलिए हमने अपनी पूंजी को ही वापस ले लिया है, जो हमने सालों में कमाई है।”

दरअसल इस संबंध में अफरातफ़री फैलने की वजह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की ओर से तमिल अख़बारों में जनवरी में दिया गया एक विज्ञापन भी है। इस विज्ञापन में बैंक ने खाताधारकों से जल्द अपनी केवाईसी पूरी कराने के लिए कहा था। यही नहीं बैंक की ओर से केवाईसी के लिए जिन दस्तावेज़ों की ज़रूरत बताई गई थी, उनमें एनपीआर का भी ज़िक्र था।

पहले से एनआरसी और एनपीआर को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की धारणाएं थीं। इस विज्ञापन के बाद कई लोग डर गए। उन्हें लगा कि अगर एनपीआर के दस्तावेज़ देने में वे नाकाम रहें तो उनकी सारी पूंजी डूब जाएगी। ऐसे में मुस्लिम तबके के करीब 100 किसानों ने खाते से अपनी पूरी रकम ही निकालना सही समझा। बताया जा रहा है कि 3 दिनों के भीतर ही बैंक से 4 करोड़ रुपए निकाल लिए गए।

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