बजट में किसान, बेरोजगार और मजदूरों के साथ धोखेबाजी- AIKMS

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 1, 2019
मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल का आखिरी अंतरिम बजट पेश कर दिया है। ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा (AIKMS) ने इस बजट को लोकलुभावन और किसानों व बेरोजगारों की अनदेखी करने वाला बताया है। 


नई दिल्ली: मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का शुक्रवार को आखिरी बजट पेश किया गया। अरुण जेटली की अनुपस्थिति में पीयूष गोयल ने बतौर वित्त मंत्री इसे पेश किया। इसमें 5 लाख तक की करयोग्य आय को टैक्स फ्री करने का ऐलान किया गया। हालांकि, इससे ज्यादा टैक्सेबल इनकम पर राहत नहीं मिली है। इसके अलावा छोटे किसानों की मदद के लिए 6 हजार रुपए सालाना उनके खातों में डाले जाएंगे। छोटे किसानों के खाते में पहली किस्त के रूप में 2000 रुपये डाले जाएंगे। इससे सरकार पर 75,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट पर तमाम राजनीतिक दलों सहित ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा (AIKMS) ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। 
 
ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा के जनरल सेक्रेट्री डॉ. आशीष मित्तल ने कहा, “इस सरकार ने पहली बार अर्थव्यवस्था का आंकलन किए बगैर बजट पेश किया है। इस बजट से वह छिपाने की कोशिश की गई है जिसे वे छिपाना चाहते हैं। यह धोखेबाजी औऱ असत्य पर आधारित बजट है।”
 
डॉ. मित्तल ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा छोटे और सीमांत किसानों को 6000 रुपये प्रतिवर्ष की जो घोषणा की गई है वह तेलंगाना और ओडिशा की सरकार से भी कम है। इन राज्यों में 5 एकड़ जमीन वाले किसानों को 8 से 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता दी जाती है। सरकार द्वारा घोषित की गई राशि इन राज्यों की सरकारों से भी बहुत कम है। उसके साथ ही 2000 रुपये की राशि का ऐलान को चुनावी फायदा लेने के लिए किया गया है।  

इसके अलावा, सभी किसानों में से लगभग 55% भूमिहीन हैं और शेयरधारक या पट्टे पर काम करते हैं। सरकार की योजना में इस तबके का जिक्र तक नहीं है। हाल के समय में डीजल, बीज, खाद आदि महंगे होने के चलते फसल उगाना काफी महंगा हो गया है। लेकिन इस बजट में ना तो किसानों को एमएसपी का वादा है और न ही आत्महत्या करने वाले किसानों की जिंदगी बचाने का कोई कदम। इसके साथ ही बजट में झूठा दावा किया गया है कि 22 फसलों पर लागत का 1.5 गुना एमएसपी निर्धारित किया गया है। किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कोई कारगर आश्वासन सरकार द्वारा नहीं किया गया। सरकार ने महंगी और बोझिल ड्रिप सिंचाई योजना को फिर से आगे बढ़ाया है और यह केवल कॉर्पोरेट घरानों के लिए फायदेमंद है।  

डॉ. मित्तल ने कहा कि स्वास्थ्य, मनरेगा, पीडीएस, पेंशन, इत्यादि कल्याणकारी योजनाओं को सिर्फ कैश ट्रांसफर स्कीम के तौर पर जारी रखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी इन योजनाओं में लाभार्थियों के फर्जी नामों के सहारे खुद का कल्याण कर रहे हैं। सरकार जनता को अच्छी शिक्षा, हेल्थ केयर, ट्रांसपोर्ट, रोजगार और भोजन की गारंटी देने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि इस बजट में संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। 

सरकार ने अपने 4.5 वर्ष के शासन के दौरान कृषि संकट और नौकरियों में कमी को '2022 में पूरा करने का दावा किया है। डॉ. मित्तल ने आगे कहा कि बजट में बढ़ती बेरोजगारी (राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग) की अपनी रिपोर्ट को भी नजरअंदाज किया गया है।

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