बॉम्बे HC ने कहा- नोटबंदी से पता चला नकली करेंसी का प्रचलन कोरी कल्पना, बार-बार नोट और सिक्कों का आकार क्यों बदल रहा RBI

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 2, 2019
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एख जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नोटबंदी से साबित हो चुका है कि देश में नकली मुद्रा (करेंसी) का प्रचलन महज कोरी कल्पना है। इसके बावजूद आरबीआई बार-बार नोट और सिक्कों का आकार और डिजाइन क्यों बदल रहा है। 



दरअसल एनएबी (National Association of the blind) की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने आरबीआई से पूछा है कि वह करेंसी नोट और सिक्कों का आकार और अन्य फीचर बार-बार क्यों बदल रहा है। इसके बारे में स्पष्टीकरण दें। 

मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग और एन. एम. जामदार की पीठ ने आरबीआइ से कई सवाल किए हैं। एनएबी ने दावा किया था कि आरबीआइ द्वारा नए करेंसी नोट और सिक्के जारी किए जाने से दिव्यांगों को उनकी पहचान करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग ने कहा कि हम आरबीआइ से जानना चाहता है कि वे करेंसी नोट के आकार और फीचर में लगातार बदलाव क्यों कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में करेंसी नोट के आकार और फीचर्स में इतनी जल्दी-जल्दी बदलाव नहीं किया जाता है।

अदालत को बताया गया कि इस साल मार्च में आरबीआइ ने विशेष फीचर्स वाले नए सिक्के जारी किए ताकि दिव्यांग उन्हें आसानी से पहचान सकें। अदालत ने आरबीआइ को आदेश दिया है कि वह छह सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर हलफनामा प्रस्तुत करे। हाई कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि नए करेंसी नोट और सिक्कों में विशिष्ट फीचर्स शामिल करने के लिए आरबीआइ को निर्देश दिए जाएं।

गौरतलब है कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए 500 और 1000 रुपये के 99.5 फीसदी पुराने नोट वापस बैंकों के जरिये आरबीआइ में जमा हो गए। इससे साफ हो जाता है कि नकली नोट थे ही नहीं। जमा नोट आरबीआइ ने न सिर्फ स्वीकार किए बल्कि उनके बदले में दूसरे नोट भी जमाकर्ता को लौटाए। नोटबंदी से फर्जी करेंसी पकड़े जाने की बात कहीं साबित नहीं हुई।

 

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