बीजेपी के दोहरे मापदंड

Written by Dilip Mandal | Published on: July 17, 2017
नरेंद्र भाई के मंत्री बाबूभाई बोखारिया पर 2008 में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। मामला 2005 में कांग्रेसी नेता मुलु मोढवाडिया की हत्या का था।

Tejasvi yadav

मोढवाडिया के शव के पास उनकी लिखी एक चिट मिली थी, जिसमें उन्होंने बोखारिया से अपनी जान को ख़तरा बताया था। बोखारिया पर मार्च 2008 में FIR हो गई। निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट ने बोखारिया को अभियुक्त बनाए जाने को सही ठहराया।



बोखारिया मार्च 2008 से लेकर अप्रैल 2014 तक हत्या के आरोपी और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री दोनों बने रहे।
 
इस बीच पोरबंदर की एक अदालत ने माइनिंग स्कैम में उन्हें सज़ा सुना दी।

नरेंद्र मोदी ने इसके बावजूद उनका इस्तीफ़ा नहीं लिया।

इससे राजनीति की नैतिकता पर कोई असर नहीं हुआ।

लेकिन नैतिकता के आधार पर तेजस्वी यादव के इस्तीफ़ा देते ही भारत की राजनीति की घड़ी डिटर्जेंट टिकिया से धुलाई हो जाएगी।

अब इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि उन्हें 2006 के एक मामले में फँसाया जा रहा है, जब उनकी उम्र 13 या 14 साल रही होगी। मामले का अभी कोर्ट ने संज्ञान तक नहीं लिया है न ही चार्ज शीट फ़ाइल हुई है।

बाकी ख़बरें