छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले को बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए मिले पुरस्कार की पोल छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (सिम्स) अस्पताल की बदइंतजामी से खुल गई है।

मुख्यमंत्री ने रायपुर में हुए समारोह में बिलासपुर के सीएमओ डॉ बीबी बोर्डे को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर बताया गया कि जिले में पिछले 5 सालों में मातृ-मृत्यु दर घटकर 261 प्रति दस लाख तक पहुंच गई है जो कि पहले 350 थी।
दूसरी ओर, सिम्स अस्पताल में मरीजों को सोनोग्राफी के लिए 10 से 12 दिनों तक अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस अस्पताल में डॉक्टर हर दिन करीब 30 मरीजों को सोनोग्राफी जांच के लिए कहते हैं, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में केवल एक मशीन है जिसमें दिन में मुश्किल से 10 से 15 मरीजों की सोनोग्राफी हो पाती है।
नईदुनिया के अनुसार, सोनोग्राफी कराने के लिए आने वाले मरीजों की वेटिंग लाइन लगातार लंबी होती जा रही है। पैसे वालों को तो ज्यादा दिक्कत नहीं है, लेकिन गरीब मरीज मुसीबत में फंस जाते हैं। उन्हें निजी सेंटरों में जाकर 700 से 1000 रुपए तक खर्चा करना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत महंगा पड़ जाता है।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बिलासपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ में बड़ी-बड़ी बातें कीं लेकिन सिम्स में दो सोनोग्राफी मशीनों का प्रस्ताव लंबित पड़ा है लेकिन सरकार से उसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है।
सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है। उनके लिए सोनोग्राफी समय पर होना जरूरी होता है और 10 से 12 दिन का इंतजार उनके और गर्भ के बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं निजी सेंटरों पर मनमाने दामों पर सोनोग्राफी कराने पर मजबूर हैं।
जिले में पिछले पांच वषोर् में मातृ-मृत्यु दर घटकर 261 प्रति दस लाख पहुंच गया है, जो पहले 350 था। इसी प्रकार शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 38 तक पहुंच गया है, जो पहले 54 था। जिले ने संस्थागत प्रसव 14 से बढ़कर 74 प्रतिशत पहुंच गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की संख्या 36 से बढ़कर 53 हो गई है। इसी तरह 168 उप स्वास्थ्य केंद्र शासकीय भवन में संचालित हो रहे हैं। माताओं व शिशुओं की विशेष सुविधा के लिये जिले में दो 50 बिस्तर और एक 100 बिस्तर एमसीएच अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिल्हा और गौरेला में स्वीकृति हुआ है। गौरेला में संचालन शुरू भी हो गया है। इन उपलब्धियों के लिए जिला को पुरस्कार दिया गया है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना हमारा लक्ष्यः कलेक्टर
इस उपलब्धि पर कलेक्टर पी. दयानंद ने कहा है कि लोगों को त्वरित व बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है। आगे भी जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की मॉनिटरिंग की जाती है।

मुख्यमंत्री ने रायपुर में हुए समारोह में बिलासपुर के सीएमओ डॉ बीबी बोर्डे को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर बताया गया कि जिले में पिछले 5 सालों में मातृ-मृत्यु दर घटकर 261 प्रति दस लाख तक पहुंच गई है जो कि पहले 350 थी।
दूसरी ओर, सिम्स अस्पताल में मरीजों को सोनोग्राफी के लिए 10 से 12 दिनों तक अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस अस्पताल में डॉक्टर हर दिन करीब 30 मरीजों को सोनोग्राफी जांच के लिए कहते हैं, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में केवल एक मशीन है जिसमें दिन में मुश्किल से 10 से 15 मरीजों की सोनोग्राफी हो पाती है।
नईदुनिया के अनुसार, सोनोग्राफी कराने के लिए आने वाले मरीजों की वेटिंग लाइन लगातार लंबी होती जा रही है। पैसे वालों को तो ज्यादा दिक्कत नहीं है, लेकिन गरीब मरीज मुसीबत में फंस जाते हैं। उन्हें निजी सेंटरों में जाकर 700 से 1000 रुपए तक खर्चा करना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत महंगा पड़ जाता है।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बिलासपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ में बड़ी-बड़ी बातें कीं लेकिन सिम्स में दो सोनोग्राफी मशीनों का प्रस्ताव लंबित पड़ा है लेकिन सरकार से उसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है।
सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है। उनके लिए सोनोग्राफी समय पर होना जरूरी होता है और 10 से 12 दिन का इंतजार उनके और गर्भ के बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं निजी सेंटरों पर मनमाने दामों पर सोनोग्राफी कराने पर मजबूर हैं।
जिले में पिछले पांच वषोर् में मातृ-मृत्यु दर घटकर 261 प्रति दस लाख पहुंच गया है, जो पहले 350 था। इसी प्रकार शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 38 तक पहुंच गया है, जो पहले 54 था। जिले ने संस्थागत प्रसव 14 से बढ़कर 74 प्रतिशत पहुंच गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की संख्या 36 से बढ़कर 53 हो गई है। इसी तरह 168 उप स्वास्थ्य केंद्र शासकीय भवन में संचालित हो रहे हैं। माताओं व शिशुओं की विशेष सुविधा के लिये जिले में दो 50 बिस्तर और एक 100 बिस्तर एमसीएच अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिल्हा और गौरेला में स्वीकृति हुआ है। गौरेला में संचालन शुरू भी हो गया है। इन उपलब्धियों के लिए जिला को पुरस्कार दिया गया है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना हमारा लक्ष्यः कलेक्टर
इस उपलब्धि पर कलेक्टर पी. दयानंद ने कहा है कि लोगों को त्वरित व बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है। आगे भी जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की मॉनिटरिंग की जाती है।