बिलासपुर। सरकंडा के अशोकनगर में अमृत मिशन योजना के तहत पाइप लाइन डालने के लिए चल रही खोदाई के दौरान मिट्टी धंसने से दो मजदूर आठ फीट गहरे गड्ढे में दब गए। हादसे में बिहार के एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं मध्यप्रदेश के सिवनी जिले का मजदूर घायल हो गया।
घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में रविवार की दोपहर घटित हुई। बिलासपुर के सरकंडा क्षेत्र में अमृत योजना के तहत पाईपलाइन बिछाते समय अचानक मिटटी खिसकने से दो मजदूर विजय और संदीप उसमें दब गए। दबे मजदूरों को निकालने के लिए जेसीबी मशीन चला दी गई, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए था। मशीन का लोहा मजदूर संदीप के सिर में धंस गया जिससे उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई। दूसरे मजदूर को जैसे तैसे बाहर निकाला जा सका। घायल अवस्था में उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज सिम्स ले जाया गया।
पत्रिका अखबार में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ मुंबई की कंपनी इन्डियन ह्यूमन पाईप को बिलासपुर नगर निगम में अमृत योजना के तहत पाईप लाइन बिछाने का ठेका मिला हुआ है। छत्तीसगढ़ में चल रहे इन कार्यों में मजदूरों की सुरक्षा पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया जाता है। कागज़ों पर हो सकता है सारे इंतज़ाम दिखाए जा रहे हों पर ज़मीन में मजदूरों पर हमेशा मौत का ख़तरा मंडराता रहता है।
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में अमृत मिशन (अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन) के लिए नवम्बर 2015 में 1998 करोड़ की कार्य योजना स्वीकृत की थी। जिसके तहत शहरी घरों में नल कनेक्शन से पानी उपलब्ध कराना, एनिकट, उच्चस्तरीय गुणवत्ता वाली पानी की टंकियां बनवाना, पाईप लाइन बिछाना, राजधानी रायपुर और बिलासपुर में सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान और सेक्शन यूनिट लगाना, सेप्टिक टैंकों का एमआईएस तैयार करना और उसका रखरखाव आदि कुछ काम किए जाने की बात कही गई।
जनता अव्यवस्था से हलकान पर पूर्व मुख्यमंत्री को मिला सर्वश्रेष्ठ कार्य का ईनाम
2015 में स्वीकृत इस योजना के तहत जिन-जिन क्षेत्रों में कार्य होने थे उन सभी की बदहाली पहली नज़र में ही देखी जा सकती है। केन्द्र की भाजपा सरकार ने राज्य की भाजपा सरकार (जो अब बदल चुकी है) को कई राष्ट्रीय पुरस्कार दे डाले थे। जिनमें से एक पुरस्कार अमृत योजना के सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए भी दिया गया था।
सुरक्षा के इंतज़ाम होते तो न जाती मजदूर की जान
अमृत मिशन योजना के तहत पाईप लाइन बिछाने का काम भगवान भरोसे चल रहा है। पूरे बिलासपुर शहर में सीवरेज के लिए बेतरतीब तरीके से सड़कें खोदी गईं और उनमें रेत भरी गई है। यह जानकारी शहर की गाय बकरियों तक को है। बावजूद इसके रविवार को खोदे गए गड्ढे में खुदाई के बाद मिट्टी ढहने से रोकने के लिए बेरीकेट्स नहीं लगाए गए थे। साथ ही कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरण दिए ही काम पर लगा दिया गया था। काम की मॉनिटरिंग करने के लिए नगर निगम का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। जबकि नियमानुसार पाईप लाइन बिछाते समय निगम के एक अधिकारी का मौके पर होना ज़रूरी होता है, ताकि सुरक्षा मानकों का ख़याल रखा जा सके।
पुलिस से सांठगांठ करते नज़र आए नगर निगम के अधिकारी
दुर्घटना के बाद अमृत मिशन योजना के प्रभारी व सहायक अभियंता सुरेश बरुवा और अनुपम तिवारी थाने पहुचे। दिनभर दोनों अधिकारी मामले में जांच न करने को लेकर जुगाड़ भिड़ाने की कोशिश में रहे। वर्तमान विधायक शैलेश पाण्डे ने मामले में कार्रवाई करने की बात कही है। सरकंडा पुलिस ने मामले में 3 आरोपियों पर धरा 304(ए) 337, और 34 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है।
छत्तीसगढ़ के कोयला खदानों में सबसे अधिक मजदूरों की मौत
छत्तीसगढ़ में मजदूरों के घायल होने या मरने की ये कोई पहली घटना नहीं है। अलग अलग घटनाओं में अब तक कईयों की मौत हो चुकी है। पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति के अलावा कभी कुछ नहीं हुआ। मामले की गंभीरता इस एक बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल पूरे देशभर में सहायक कंपनियों समेत कोल इंडिया की अलग-अलग इकाइयों में 43 मजदूरों की मौत हुई जिनमें सबसे अधिक 15 मजदूर छत्तीसगढ़ के एसईसीएल में मारे गए थे।
घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में रविवार की दोपहर घटित हुई। बिलासपुर के सरकंडा क्षेत्र में अमृत योजना के तहत पाईपलाइन बिछाते समय अचानक मिटटी खिसकने से दो मजदूर विजय और संदीप उसमें दब गए। दबे मजदूरों को निकालने के लिए जेसीबी मशीन चला दी गई, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए था। मशीन का लोहा मजदूर संदीप के सिर में धंस गया जिससे उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई। दूसरे मजदूर को जैसे तैसे बाहर निकाला जा सका। घायल अवस्था में उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज सिम्स ले जाया गया।
पत्रिका अखबार में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ मुंबई की कंपनी इन्डियन ह्यूमन पाईप को बिलासपुर नगर निगम में अमृत योजना के तहत पाईप लाइन बिछाने का ठेका मिला हुआ है। छत्तीसगढ़ में चल रहे इन कार्यों में मजदूरों की सुरक्षा पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया जाता है। कागज़ों पर हो सकता है सारे इंतज़ाम दिखाए जा रहे हों पर ज़मीन में मजदूरों पर हमेशा मौत का ख़तरा मंडराता रहता है।
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में अमृत मिशन (अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन) के लिए नवम्बर 2015 में 1998 करोड़ की कार्य योजना स्वीकृत की थी। जिसके तहत शहरी घरों में नल कनेक्शन से पानी उपलब्ध कराना, एनिकट, उच्चस्तरीय गुणवत्ता वाली पानी की टंकियां बनवाना, पाईप लाइन बिछाना, राजधानी रायपुर और बिलासपुर में सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान और सेक्शन यूनिट लगाना, सेप्टिक टैंकों का एमआईएस तैयार करना और उसका रखरखाव आदि कुछ काम किए जाने की बात कही गई।
जनता अव्यवस्था से हलकान पर पूर्व मुख्यमंत्री को मिला सर्वश्रेष्ठ कार्य का ईनाम
2015 में स्वीकृत इस योजना के तहत जिन-जिन क्षेत्रों में कार्य होने थे उन सभी की बदहाली पहली नज़र में ही देखी जा सकती है। केन्द्र की भाजपा सरकार ने राज्य की भाजपा सरकार (जो अब बदल चुकी है) को कई राष्ट्रीय पुरस्कार दे डाले थे। जिनमें से एक पुरस्कार अमृत योजना के सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए भी दिया गया था।
सुरक्षा के इंतज़ाम होते तो न जाती मजदूर की जान
अमृत मिशन योजना के तहत पाईप लाइन बिछाने का काम भगवान भरोसे चल रहा है। पूरे बिलासपुर शहर में सीवरेज के लिए बेतरतीब तरीके से सड़कें खोदी गईं और उनमें रेत भरी गई है। यह जानकारी शहर की गाय बकरियों तक को है। बावजूद इसके रविवार को खोदे गए गड्ढे में खुदाई के बाद मिट्टी ढहने से रोकने के लिए बेरीकेट्स नहीं लगाए गए थे। साथ ही कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरण दिए ही काम पर लगा दिया गया था। काम की मॉनिटरिंग करने के लिए नगर निगम का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। जबकि नियमानुसार पाईप लाइन बिछाते समय निगम के एक अधिकारी का मौके पर होना ज़रूरी होता है, ताकि सुरक्षा मानकों का ख़याल रखा जा सके।
पुलिस से सांठगांठ करते नज़र आए नगर निगम के अधिकारी
दुर्घटना के बाद अमृत मिशन योजना के प्रभारी व सहायक अभियंता सुरेश बरुवा और अनुपम तिवारी थाने पहुचे। दिनभर दोनों अधिकारी मामले में जांच न करने को लेकर जुगाड़ भिड़ाने की कोशिश में रहे। वर्तमान विधायक शैलेश पाण्डे ने मामले में कार्रवाई करने की बात कही है। सरकंडा पुलिस ने मामले में 3 आरोपियों पर धरा 304(ए) 337, और 34 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है।
छत्तीसगढ़ के कोयला खदानों में सबसे अधिक मजदूरों की मौत
छत्तीसगढ़ में मजदूरों के घायल होने या मरने की ये कोई पहली घटना नहीं है। अलग अलग घटनाओं में अब तक कईयों की मौत हो चुकी है। पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति के अलावा कभी कुछ नहीं हुआ। मामले की गंभीरता इस एक बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल पूरे देशभर में सहायक कंपनियों समेत कोल इंडिया की अलग-अलग इकाइयों में 43 मजदूरों की मौत हुई जिनमें सबसे अधिक 15 मजदूर छत्तीसगढ़ के एसईसीएल में मारे गए थे।