हमें खाना ही पूरा नहीं मिलता, हम यह शैम्पूं-वम्पू का क्या करेंगे?, सरकार पहले उस बारे में चिंता करे

Published on: June 19, 2017
बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा में दलित बस्ती की एक निवासी सजनी ने कहा कहा कि जब सत्ताधारी, मशहूर लोग इस प्रकार का छुआछूत और भेदभाव करते हैं तो हमारे जैसे छोटे लोग क्या हैं? उन्होने कहा यह केवल एक रीति के रुप में जारी रहेगा और कभी समाप्त नहीं होगा।



सजनी बांदा से लगभग चार सौ सत्तर किलोमीटर दूर कुशीनगर जिले की उस घटना की बात कर रही थीं जहां राज्य प्रशासन ने 100 गरीब दलित परिवारों के गांव मेनपुर दीनापट्टी में शैंपू, साबुन आदि सौंप दिया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अगले दिन टीकाकरण कार्यक्रम में पहुंचने के लिए कहा था।

बांदा में ब्रह्म डेरा और मलिन बस्ती के गुस्साए दलितों ने कहा, जाति व्यवस्था, छुआछूत के कारण सवर्ण सदियों से शासन कर चुके हैं और दलित समुदाय के लोग इस उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार गौतम बुद्ध ने कुशीनगर में मेहतरों को बौद्ध धर्म में शामिल किया ताकि समानता को भी एक मुद्दा बनाया जा सके। सैकड़ों सालों के बाद भी अभी तक उस पाठ को नहीं सीखा गया है।

सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति बीस फीसदी लोग रहते हैं। बांदा जिले के कुशीनगर गांव में दलित छोटे-छोटे झोपड़ियों में रहते हैं। यहां अभी तक भी लोग भूख और गरीबी के दौर से गुजर रहे हैं।

बांदा के निवासी चंद्रपाल ने कहा, हम लोगों को खाना ही पर्याप्त नहीं है, हम यह शैम्पूं-वम्पू का क्या करेंगे? सरकार को पहले उस बारे में चिंतित होना चाहिए।

जवाहर लाल ने अन्य लोगों ने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि यदि सरकार वास्तव में राज्य के सबसे गरीब लोगों के जीवन में सुधार करने के लिए काम करती है, तो इस तरह की चालबाज़ियों का सहारा नहीं लेना पड़ता। उन्होने कहा, दलितों की समग्र स्थिति ऐसे तरीके से ऊपर उठाई जानी चाहिए कि वे स्वयं शैंपू और साबुन खरीद सकें और हर रोज इसका इस्तेमाल करें। न सिर्फ जब एक महंत का दौरा होता है।

कुशीनगर में साबुन और शैंपू के वितरण के बाद गुजरात के दलित कार्यकर्ताओं ने 125 किलोग्राम का साबुन योगी आदित्यनाथ को उपहार दिया था ताकि वे अपनी जातिवादी विचारधारा साफ कर सकें।

साभार: नेशनल दस्तक
 

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