कर्नाटक के तुमकुरु जिले में मालवाहक वाहन में कथित तौर पर 'जय भीम' गाना बजाने पर दो दलितों पर हमला किया गया और जाति सूचक गालियां दी गईं। पुलिस ने मीडिया को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में रेलवे के एक अधिकारी सहित दो लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
कर्नाटक के तुमकुरु जिले में मालवाहक वाहन में कथित तौर पर 'जय भीम' गाना बजाने पर दो दलितों पर हमला किया गया और जाति सूचक गालियां दी गईं। पुलिस ने मीडिया को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में रेलवे के एक अधिकारी सहित दो लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना शनिवार को शाम करीब 6 बजे गुब्बी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मुद्दनहल्ली गांव में उस समय हुई, जब सिरिवारा गांव के निवासी दीपू (19) और नरसिंह मूर्ति (32) अपने टाटा ऐस वाहन में सफर कर रहे थे।
"मोटरसाइकिल पर सवार आरोपियों ने टाटा ऐस वाहन को रोका और पीड़ितों से उनकी जाति और 'जय भीम' गाना बजाने के बारे में पूछा। गुब्बी पुलिस इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि दीपू दलित है, तो आरोपियों ने उसे गाड़ी से बाहर खींच लिया और उसके साथ मारपीट की।
जब वाहन चला रहे मूर्ति ने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो उन पर भी दो आरोपियों ने हमला कर दिया। इन आरोपियों की पहचान रेलवे विभाग के अधिकारी चंद्रशेखर और नरसिंह राजू के रूप में हुई है। घटना के बाद वे अपने दोपहिया वाहन से भाग गए।
कुमार ने बताया कि "दोनों पीड़ितों का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है। हमने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और बीएनएस की धारा 109 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया है। संदिग्धों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है।" उन्होंने बताया कि आरोपियों ने पीड़ितों पर जाति सूचक गालियां भी दीं।
देश में दलितों से भेदभाव करने या उन्हें जाति के नाम पर प्रताड़ित करने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
पिछले साल दिसंबर महीने में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बेंगलुरू में जातिगत भेदभाव के आरोप के बाद संस्थान के निदेशक, डीन (संकाय) और छह अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
भारत में आईआईएम की स्थापना के बाद से संभवतः यह पहली बार है जब किसी कार्यरत निदेशक पर जाति-आधारित भेदभाव का आरोप लगाया गया है और एक संकाय सदस्य के खिलाफ जातिगत भेदभाव करने के लिए नामजद शिकायत दर्ज की गई है।
दर्ज की गई एफआईआर में आईआईएम बैंगलोर के डायरेक्टर डॉ. ऋषिकेश टी. कृष्णन और 7 प्रोफेसर के नाम शामिल हैं। इन प्रोफेसरों में डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. सैनेश जी, डॉ. श्रीनिवास प्रख्या, डॉ. चेतन सुब्रमण्यम, डॉ. आशीष मिश्रा, डॉ. श्रीलता जोनालागेडा और डॉ. राहुल डे सहित आठ आरोपियों के नाम हैं।
इन लोगों पर जातिगत अत्याचार और प्रणालीगत भेदभाव के लिए एससी-एसटी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। यह मामला माइको लेआउट पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया।
वहीं केरल के इडुक्की में दलित छात्र के साथ हुए जातिगत भेदभाव और दुर्व्यवहार का मामला सामने आया था, जिसके बाद भीम आर्मी, बीएसपी और चेरामा सम्बवा डेवलपमेंट सोसाइटी (सीएसडीएस) सहित कई बहुजन संगठनों ने वट्टकनिपारा से कुथुंगल टाउन तक मशाल रैली निकाली थी।
प्रदर्शनकारियों ने सेंट बेनेडिक्ट एल.पी. स्कूल, स्लीवमाला में छह वर्षीय दलित बच्चे प्रणव सिजॉय के साथ जातिगत भेदभाव और शोषण की कड़ी निंदा की। उन्होंने स्कूल प्रशासन और इस घटना में शामिल शिक्षिका मारिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने इस घटना को शिक्षा व्यवस्था और समाज पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि प्रणव के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार और इसके बाद अधिकारियों की उदासीनता ने बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन किया।
प्रणव की मां प्रियंका सोमन ने द मूकनायक को बताया कि 13 नवंबर को शिक्षिका मारिया ने उनके बेटे को जबरन एक बीमार सहपाठी की उल्टी साफ करने को कहा। जब प्रणव ने मना किया, तो उस पर दबाव बनाया गया।
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कर्नाटक के तुमकुरु जिले में मालवाहक वाहन में कथित तौर पर 'जय भीम' गाना बजाने पर दो दलितों पर हमला किया गया और जाति सूचक गालियां दी गईं। पुलिस ने मीडिया को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में रेलवे के एक अधिकारी सहित दो लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना शनिवार को शाम करीब 6 बजे गुब्बी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मुद्दनहल्ली गांव में उस समय हुई, जब सिरिवारा गांव के निवासी दीपू (19) और नरसिंह मूर्ति (32) अपने टाटा ऐस वाहन में सफर कर रहे थे।
"मोटरसाइकिल पर सवार आरोपियों ने टाटा ऐस वाहन को रोका और पीड़ितों से उनकी जाति और 'जय भीम' गाना बजाने के बारे में पूछा। गुब्बी पुलिस इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि दीपू दलित है, तो आरोपियों ने उसे गाड़ी से बाहर खींच लिया और उसके साथ मारपीट की।
जब वाहन चला रहे मूर्ति ने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो उन पर भी दो आरोपियों ने हमला कर दिया। इन आरोपियों की पहचान रेलवे विभाग के अधिकारी चंद्रशेखर और नरसिंह राजू के रूप में हुई है। घटना के बाद वे अपने दोपहिया वाहन से भाग गए।
कुमार ने बताया कि "दोनों पीड़ितों का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है। हमने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और बीएनएस की धारा 109 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया है। संदिग्धों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है।" उन्होंने बताया कि आरोपियों ने पीड़ितों पर जाति सूचक गालियां भी दीं।
देश में दलितों से भेदभाव करने या उन्हें जाति के नाम पर प्रताड़ित करने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
पिछले साल दिसंबर महीने में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बेंगलुरू में जातिगत भेदभाव के आरोप के बाद संस्थान के निदेशक, डीन (संकाय) और छह अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
भारत में आईआईएम की स्थापना के बाद से संभवतः यह पहली बार है जब किसी कार्यरत निदेशक पर जाति-आधारित भेदभाव का आरोप लगाया गया है और एक संकाय सदस्य के खिलाफ जातिगत भेदभाव करने के लिए नामजद शिकायत दर्ज की गई है।
दर्ज की गई एफआईआर में आईआईएम बैंगलोर के डायरेक्टर डॉ. ऋषिकेश टी. कृष्णन और 7 प्रोफेसर के नाम शामिल हैं। इन प्रोफेसरों में डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. सैनेश जी, डॉ. श्रीनिवास प्रख्या, डॉ. चेतन सुब्रमण्यम, डॉ. आशीष मिश्रा, डॉ. श्रीलता जोनालागेडा और डॉ. राहुल डे सहित आठ आरोपियों के नाम हैं।
इन लोगों पर जातिगत अत्याचार और प्रणालीगत भेदभाव के लिए एससी-एसटी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। यह मामला माइको लेआउट पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया।
वहीं केरल के इडुक्की में दलित छात्र के साथ हुए जातिगत भेदभाव और दुर्व्यवहार का मामला सामने आया था, जिसके बाद भीम आर्मी, बीएसपी और चेरामा सम्बवा डेवलपमेंट सोसाइटी (सीएसडीएस) सहित कई बहुजन संगठनों ने वट्टकनिपारा से कुथुंगल टाउन तक मशाल रैली निकाली थी।
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प्रदर्शनकारियों ने इस घटना को शिक्षा व्यवस्था और समाज पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि प्रणव के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार और इसके बाद अधिकारियों की उदासीनता ने बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन किया।
प्रणव की मां प्रियंका सोमन ने द मूकनायक को बताया कि 13 नवंबर को शिक्षिका मारिया ने उनके बेटे को जबरन एक बीमार सहपाठी की उल्टी साफ करने को कहा। जब प्रणव ने मना किया, तो उस पर दबाव बनाया गया।
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