बीते कुछ वर्षों में मीडिया, विशेष रूप से टेलीविजन पर नफरत की राजनीति वाले शो लगातार देखने को मिल रहे हैं। सारे एथिक्स भूलकर मीडिया हाउस नफरत परोसकर खुद को बड़ा साबित करने की होड़ में लगे हैं। साफ तौर पर कहा जाए तो मीडिया के प्राइम टाइम की डिबेट हिंदुस्तान-पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान के नाम पर आयोजित की जा रही हैं। जब कोई संवेदनशील मुद्दा चल रहा हो तब भी मीडिया की भूमिका सिर्फ बारूद बनाने की नजर आती है।
आम जनता के मुद्दों को दरकिनार कर न्यूज चैनल टीआरपी के नाम पर लगातार विभाजनकारी सामिग्री परोस रहे हैं। यह सिर्फ दर्शकों की संतुष्टि के नाम पर ही नहीं बल्कि खुद के एजेंडे को खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर अंजाम देते हैं। मीडिया अब ओपीनियन मेकिंग की भूमिका निभाने में नजर आता है, लेकिन उसकी ओपीनियन मेकिंग नफरत की राजनीति से प्रेरित होती है। इस संदर्भ में, आजतक ने एक शो को प्रसारित किया, जिसमें एक भेदभाव पैदा करने वाला एजेंडा दिखाया गया। इसने टीवी समाचार रिपोर्टिंग की वर्तमान स्थिति की एक वास्तविक तस्वीर को चित्रित किया।
बुधवार को अयोध्या मामले पर अंतिम दिन सुनवाई के दौरान ही समाचार प्रसारण माध्यमों की नियामक संस्था 'समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण' (एनबीएसए) ने मीडिया कर्मियों से आग्रह किया है कि वे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण पर समाचार देते समय अत्यधिक सावधानी बरतें तथा सनसनीखेज और भड़काने वाले समाचारों का प्रसारण न करें।
अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी होने के सिलसिले में इस नियामक संस्था ने मीडिया कर्मियों के लिए कुछ नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। समाचार माध्यमों विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से कहा गया है कि वे अयोध्या बाबरी मस्जिद के विध्वंस के चित्र और फुटेज प्रसारित न करें। अयोध्या प्रकरण के संबंध में जश्न मनाने वाले या विरोध करने वाले लोगों का चित्रण न किया जाए। प्राधिकरण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई या फैसले के बारे में अटकलों पर आधारित समाचार प्रसारित न किया जाए। समाचार देते समय तथ्यों की सच्चाई की गहन रूप से पुष्टि की जाए।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से कहा गया है कि वे अयोध्या प्रकरण पर अपनी बहसों में शामिल लोगों को अतिरंजित विचार व्यक्त करने का अवसर न दें। समाचारों पर उच्च सम्पादकीय स्तर के अधिकारी निगरानी रखें। एनबीएसए ने आगाह किया है कि समाचारों के बारे में जारी दिशा निर्देश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। एनबीएसए समाचार प्रसारण एसोसिएशन की नियामक संस्था है, जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी हैं।
एनबीएसए ने समाचार चैनलों की सनसनी भरी हैडलाइन व टैगलाइनों को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश जारी किए। जिसमें आज तक सबसे आगे था। आज तक ने एनबीएसए के दिशा निर्देश आने से एक दिन पहले अपने प्रोग्राम के बारे में ट्वीट किया जिसकी टैगलाइन थी, ‘जन्मभूमि हमारी, राम जी हमारे, मस्जिद वाले कहां से पधारे’। ऐसे भड़काऊ हैडलाइन वाले प्रोग्राम कई अन्य चैनल भी चला रहे थे जिसके बाद NBSA को दिशा निर्देश जारी करने पड़े।
यह आशा की जानी चाहिए कि अयोध्या मामले पर अदालत के भीतर और बाहर की कार्यवाही को समाचार कवरेज देते समय समाचार प्रसारकों द्वारा राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) की गाइडलाइन का अनुसरण किया जाएगा। यह उम्मीद की जा रही थी कि ऐसी सलाह मिलने के बाद, आजतक उनके नफरत भरे ट्वीट और पोस्ट को हटा देगा। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
16 अक्टूबर, 2019 को NBSA द्वारा जारी की गई सलाह को यहां पढ़ा जा सकता है।
आम जनता के मुद्दों को दरकिनार कर न्यूज चैनल टीआरपी के नाम पर लगातार विभाजनकारी सामिग्री परोस रहे हैं। यह सिर्फ दर्शकों की संतुष्टि के नाम पर ही नहीं बल्कि खुद के एजेंडे को खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर अंजाम देते हैं। मीडिया अब ओपीनियन मेकिंग की भूमिका निभाने में नजर आता है, लेकिन उसकी ओपीनियन मेकिंग नफरत की राजनीति से प्रेरित होती है। इस संदर्भ में, आजतक ने एक शो को प्रसारित किया, जिसमें एक भेदभाव पैदा करने वाला एजेंडा दिखाया गया। इसने टीवी समाचार रिपोर्टिंग की वर्तमान स्थिति की एक वास्तविक तस्वीर को चित्रित किया।
बुधवार को अयोध्या मामले पर अंतिम दिन सुनवाई के दौरान ही समाचार प्रसारण माध्यमों की नियामक संस्था 'समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण' (एनबीएसए) ने मीडिया कर्मियों से आग्रह किया है कि वे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण पर समाचार देते समय अत्यधिक सावधानी बरतें तथा सनसनीखेज और भड़काने वाले समाचारों का प्रसारण न करें।
अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी होने के सिलसिले में इस नियामक संस्था ने मीडिया कर्मियों के लिए कुछ नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। समाचार माध्यमों विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से कहा गया है कि वे अयोध्या बाबरी मस्जिद के विध्वंस के चित्र और फुटेज प्रसारित न करें। अयोध्या प्रकरण के संबंध में जश्न मनाने वाले या विरोध करने वाले लोगों का चित्रण न किया जाए। प्राधिकरण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई या फैसले के बारे में अटकलों पर आधारित समाचार प्रसारित न किया जाए। समाचार देते समय तथ्यों की सच्चाई की गहन रूप से पुष्टि की जाए।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से कहा गया है कि वे अयोध्या प्रकरण पर अपनी बहसों में शामिल लोगों को अतिरंजित विचार व्यक्त करने का अवसर न दें। समाचारों पर उच्च सम्पादकीय स्तर के अधिकारी निगरानी रखें। एनबीएसए ने आगाह किया है कि समाचारों के बारे में जारी दिशा निर्देश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। एनबीएसए समाचार प्रसारण एसोसिएशन की नियामक संस्था है, जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी हैं।
एनबीएसए ने समाचार चैनलों की सनसनी भरी हैडलाइन व टैगलाइनों को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश जारी किए। जिसमें आज तक सबसे आगे था। आज तक ने एनबीएसए के दिशा निर्देश आने से एक दिन पहले अपने प्रोग्राम के बारे में ट्वीट किया जिसकी टैगलाइन थी, ‘जन्मभूमि हमारी, राम जी हमारे, मस्जिद वाले कहां से पधारे’। ऐसे भड़काऊ हैडलाइन वाले प्रोग्राम कई अन्य चैनल भी चला रहे थे जिसके बाद NBSA को दिशा निर्देश जारी करने पड़े।
यह आशा की जानी चाहिए कि अयोध्या मामले पर अदालत के भीतर और बाहर की कार्यवाही को समाचार कवरेज देते समय समाचार प्रसारकों द्वारा राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) की गाइडलाइन का अनुसरण किया जाएगा। यह उम्मीद की जा रही थी कि ऐसी सलाह मिलने के बाद, आजतक उनके नफरत भरे ट्वीट और पोस्ट को हटा देगा। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
16 अक्टूबर, 2019 को NBSA द्वारा जारी की गई सलाह को यहां पढ़ा जा सकता है।