सीपीआई (एम) नेता और पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने निजी कंप्यूटरों को भी जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि सरकार प्रत्येक भारतीय को अपराधी क्यों मान रही है? येचुरी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के 10 केन्द्रीय एजेंसियों को सभी कंप्यूटरों पर निगरानी करने संबंधी आदेश को असंवैधानिक बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रत्येक भारतीय के साथ अपराधी की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यह आदेश असंवैधानिक है। यह सरकार द्वारा पारित किया गया है जो प्रत्येक भारतीय पर निगरानी रखना चाहती है। येचुरी ने इसके असंवैधानिक होने की दलील देते हुए कहा कि यह टेलीफोन टैपिंग संबंधी दिशानिर्देशों तथा निजता और आधार पर अदालती फैसले का उल्लंघन करता है।
सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने एक बयान जारी कर सरकार से इस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की तथा कहा है कि मोदी सरकार का विगत भाजपा एवं आरएसएस के दृष्टिकोण से असहमति रखने वाले लोगों को परेशान करने और उन्हें विभिन्न मामलों में फंसाने का रहा है। बयान में कहा गया कि यह संविधान प्रदत्त निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला है।
बता दें कि गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रत्येक भारतीय के साथ अपराधी की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यह आदेश असंवैधानिक है। यह सरकार द्वारा पारित किया गया है जो प्रत्येक भारतीय पर निगरानी रखना चाहती है। येचुरी ने इसके असंवैधानिक होने की दलील देते हुए कहा कि यह टेलीफोन टैपिंग संबंधी दिशानिर्देशों तथा निजता और आधार पर अदालती फैसले का उल्लंघन करता है।
सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने एक बयान जारी कर सरकार से इस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की तथा कहा है कि मोदी सरकार का विगत भाजपा एवं आरएसएस के दृष्टिकोण से असहमति रखने वाले लोगों को परेशान करने और उन्हें विभिन्न मामलों में फंसाने का रहा है। बयान में कहा गया कि यह संविधान प्रदत्त निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला है।
बता दें कि गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।