माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने सांसद रावत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस थाना सुरजपोल में रिपोर्ट दी।
फोटो साभार: द मूकनायक
अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए उदयपुर के भाजपा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत द्वारा माकपा के पूर्व महासचिव सीताराम येचुरी, उनकी पत्नी और बच्चों, माकपा तथा वामपंथी दलों पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए गलत तथ्यों के साथ फेक खबर फैलाने के खिलाफ वामदलों और जनवादी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की।
शिराली भवन में सोमवार को हुई पत्रकार वार्ता के दौरान माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने कहा कि मन्नालाल रावत अपनी फेसबुक पोस्ट में सीताराम द्वारा ईसाई धर्म मानने, पत्नी सीमा चिश्ती से शादी के बाद इस्लाम धर्म अपनाने, वामपंथी के हिंदू विरोधी होने और हिंदुओं को भ्रमित करने जैसी अनापशनाप सांप्रदायिक नफरत फैला रहे हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने सांसद रावत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस थाना सुरजपोल में रिपोर्ट दी। सिंघवी ने कहा कि डॉ. मन्नालाल रावत, सीताराम येचुरी, उनके परिवार और माकपा पर झूठी और तथ्यों के विपरीत फेसबुक पोस्ट कर, धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और वे 23 वर्ष की उम्र में 1975 में माकपा के सदस्य बने थे। माकपा में शामिल होने के बाद से येचुरी किसी भी धार्मिक आयोजन या सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। उन्होंने अपने वक्तव्य, लेखन, भाषण और व्यवहार में प्रत्येक व्यक्ति और समूह की धार्मिक भावना का सम्मान किया है। सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का कोरोना में निधन हुआ था। सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती के माता-पिता ने अंतरधार्मिक शादी की। सीमा चिश्ती देश की विख्यात महिला पत्रकार हैं, जिन्होंने अहम मुद्दों पर जीवंत पत्रकारिता की है। देश की संसद द्वारा उन्हें 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया।
ऐसे में उदयपुर के भाजपा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत अपने समर्थकों को धार्मिक नफरत में झोंककर माकपा नेताओं के खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने की साजिश रच रहे हैं। सिंघवी ने आगे कहा कि मोदी राज में भाजपा का पार्षद से मंत्री तक बनने की एक ही योग्यता बची है: कोई नेता कितना सांप्रदायिक और नफरती भाषा बोल सकता है।
सीपीआईएमएल के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था है, भाजपा ठेकेदार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म को अभाव रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा। लेकिन भाजपा सांसद लगातार संविधान का अपमान कर रहे हैं। सबसे दुख की बात यह है कि भाजपा नेता और राज्यपाल बनने के बाद भी गुलाबचंद कटारिया चुप हैं। भाजपा स्पष्ट करे कि सांसद की पोस्ट पर उसकी क्या राय है।
भाकपा जिला सह सचिव हिम्मत चांगवाल ने कहा, वामपंथी दल धर्मनिरपेक्षता और प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि सीताराम येचुरी स्वयं नास्तिक व्यक्ति थे, फिर भी उनका स्पष्ट मत था कि धर्म एक आत्मा और परमात्मा के बीच पवित्र संबंध है, उसे किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है। वो परमात्मा कौन होगा, इसे सिर्फ आत्मा को तय करने का अधिकार है। वो परमात्मा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध या जैन कोई भी हो सकता है। जब एक आत्मा तय कर लेती है तो किसी को भी हक नहीं है कि उसमें हस्तक्षेप करें। राज्य और धर्म के बीच में संविधान ने लक्ष्मण रेखा तय की है, जिसे किसी को भी पार करने का अधिकार नहीं है।
वहीं राव गुमान सिंह (माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य) ने कहा कि भाजपा सांसद का लगातार व्यवहार संविधान विरोधी साबित हो रहा है। सीताराम येचुरी के परिवार पर टिप्पणी हो या आदिवासियों पर, लगातार अल्पसंख्यक विरोधी बयान देना ही इनका काम है। ये सांप्रदायिक नफरत फैलाकर समाज में भाईचारे और एकता को तोड़ने में लगे हैं। इनके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सदस्यता रद्द करने की मांग की जाएगी।
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CPI(M) के पोलित ब्यूरो और AIKS ने कॉमरेड सीताराम येचुरी की याद में लाल झंडा झुकायाफोटो साभार: द मूकनायक
अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए उदयपुर के भाजपा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत द्वारा माकपा के पूर्व महासचिव सीताराम येचुरी, उनकी पत्नी और बच्चों, माकपा तथा वामपंथी दलों पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए गलत तथ्यों के साथ फेक खबर फैलाने के खिलाफ वामदलों और जनवादी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की।
शिराली भवन में सोमवार को हुई पत्रकार वार्ता के दौरान माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने कहा कि मन्नालाल रावत अपनी फेसबुक पोस्ट में सीताराम द्वारा ईसाई धर्म मानने, पत्नी सीमा चिश्ती से शादी के बाद इस्लाम धर्म अपनाने, वामपंथी के हिंदू विरोधी होने और हिंदुओं को भ्रमित करने जैसी अनापशनाप सांप्रदायिक नफरत फैला रहे हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने सांसद रावत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस थाना सुरजपोल में रिपोर्ट दी। सिंघवी ने कहा कि डॉ. मन्नालाल रावत, सीताराम येचुरी, उनके परिवार और माकपा पर झूठी और तथ्यों के विपरीत फेसबुक पोस्ट कर, धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और वे 23 वर्ष की उम्र में 1975 में माकपा के सदस्य बने थे। माकपा में शामिल होने के बाद से येचुरी किसी भी धार्मिक आयोजन या सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। उन्होंने अपने वक्तव्य, लेखन, भाषण और व्यवहार में प्रत्येक व्यक्ति और समूह की धार्मिक भावना का सम्मान किया है। सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का कोरोना में निधन हुआ था। सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती के माता-पिता ने अंतरधार्मिक शादी की। सीमा चिश्ती देश की विख्यात महिला पत्रकार हैं, जिन्होंने अहम मुद्दों पर जीवंत पत्रकारिता की है। देश की संसद द्वारा उन्हें 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया।
ऐसे में उदयपुर के भाजपा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत अपने समर्थकों को धार्मिक नफरत में झोंककर माकपा नेताओं के खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने की साजिश रच रहे हैं। सिंघवी ने आगे कहा कि मोदी राज में भाजपा का पार्षद से मंत्री तक बनने की एक ही योग्यता बची है: कोई नेता कितना सांप्रदायिक और नफरती भाषा बोल सकता है।
सीपीआईएमएल के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था है, भाजपा ठेकेदार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म को अभाव रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा। लेकिन भाजपा सांसद लगातार संविधान का अपमान कर रहे हैं। सबसे दुख की बात यह है कि भाजपा नेता और राज्यपाल बनने के बाद भी गुलाबचंद कटारिया चुप हैं। भाजपा स्पष्ट करे कि सांसद की पोस्ट पर उसकी क्या राय है।
भाकपा जिला सह सचिव हिम्मत चांगवाल ने कहा, वामपंथी दल धर्मनिरपेक्षता और प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि सीताराम येचुरी स्वयं नास्तिक व्यक्ति थे, फिर भी उनका स्पष्ट मत था कि धर्म एक आत्मा और परमात्मा के बीच पवित्र संबंध है, उसे किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है। वो परमात्मा कौन होगा, इसे सिर्फ आत्मा को तय करने का अधिकार है। वो परमात्मा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध या जैन कोई भी हो सकता है। जब एक आत्मा तय कर लेती है तो किसी को भी हक नहीं है कि उसमें हस्तक्षेप करें। राज्य और धर्म के बीच में संविधान ने लक्ष्मण रेखा तय की है, जिसे किसी को भी पार करने का अधिकार नहीं है।
वहीं राव गुमान सिंह (माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य) ने कहा कि भाजपा सांसद का लगातार व्यवहार संविधान विरोधी साबित हो रहा है। सीताराम येचुरी के परिवार पर टिप्पणी हो या आदिवासियों पर, लगातार अल्पसंख्यक विरोधी बयान देना ही इनका काम है। ये सांप्रदायिक नफरत फैलाकर समाज में भाईचारे और एकता को तोड़ने में लगे हैं। इनके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सदस्यता रद्द करने की मांग की जाएगी।
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