ईसाई महिला नेताओं और समाज के प्रतिनिधियों ने 14 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ईमेल के जरिए एक अपील की है जिसमें भारत के कई राज्यों में ईसाई महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों का जिक्र किया गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली - ईसाई महिला नेताओं ने धार्मिक गुरूओं और समाज के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ईमेल के जरिए एक अपील की है जिसमें भारत के कई राज्यों में ईसाई महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों का जिक्र किया गया है।
यह अपील छत्तीसगढ़ में हुई एक हालिया घटना पर ध्यान खींचती है, जहां छह महीने की गर्भवती आदिवासी महिला कुनिका कश्यप पर ईसाई धर्म के कारण हमला किया गया, जिसके बाद उसका गर्भपात हो गया। यह घटना 2 जनवरी, 2025 को हुई जब बीमार रिश्तेदार के लिए प्रार्थना करने पर गांव के मुखिया और उसके परिवार के सदस्यों ने उस पर हमला किया था।
पत्र में कई राज्यों में ईसाई महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई मामलों को दर्ज किया गया है:
● छत्तीसगढ़: हिंसा की कई घटनाएं, जिसमें हत्याएं और झूठे आरोप शामिल हैं, जिसके कारण न्यायिक हिरासत में जाना पड़ा।
● झारखंड: बहिष्कार, अलगाव और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले।
● मणिपुर: मई 2023 से जारी संकट, जिसमें हत्या, यौन हिंसा और विस्थापन के मामले दर्ज हैं।
● पंजाब और तमिलनाडु: जबरन सेक्स वर्क, परिवार के साथ दुर्व्यवहार और सामुदायिक बहिष्कार की घटनाएं।
इस अपील में इस बात पर जोर दिया गया है कि ये हमले उत्पीड़न का एक जानबूझकर चलाया गया अभियान है जो धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों दोनों के लिए खतरा है। हस्ताक्षरकर्ताओं ने राष्ट्रपति से दखल की मांग की है ताकि निम्नलिखित अनुरोध सुनिश्चित किया जा सके कि:
● रिपोर्ट किए गए सभी मामलों की त्वरित जांच
● कमजोर ईसाई महिलाओं की सुरक्षा
● अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई
● संवैधानिक सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन
प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं में श्रीमती टिंगनेविया लोत्ज़ेम, वर्जीनिया सालदान्हा (भारतीय महिला धर्मशास्त्रियों का मंच), डॉ. अनिता चेट्टियार (सामाजिक सेवा संस्थान), डॉ. वंदना बेंजामिन (राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष, अल्फा ओमेगा ईसाई महासंघ), फादर सेड्रिक प्रकाश एसजे (मानवाधिकार और शांति कार्यकर्ता/लेखक), डॉ. जॉन दयाल (पूर्व सदस्य, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय एकता परिषद), रेव. डॉ. रिचर्ड हॉवेल (अध्यक्ष, इवेंजेलिकल चर्च ऑफ गॉड), बिशप अखिलेश एडगर (महासचिव, काउंसिल ऑफ इवेंजेलिकल चर्च इन इंडिया), और रेव. विजयेश लाल (महासचिव, इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया) तथा दूसरे बड़े नेता शामिल हैं। इस अपील का पूरे देश में 460 से ज्यादा ईसाई नेताओं, समाज के सदस्यों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने समर्थन किया है।
इस अपील में कहा गया है कि, "ये सुनियोजित हमले लक्षित हिंसा के ख़तरनाक पैटर्न को दर्शाते हैं जो हमारे समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालते हैं। इसे सिर्फ एक जातीय संघर्ष के तौर पर खारिज़ नहीं किया जा सकता - धार्मिक संस्थाओं का संगठित विनाश और ईसाइयों पर संगठित हमले उत्पीड़न के जानबूझकर चलाए जा रहे अभियान को दर्शाते हैं जो धार्मिक स्वतंत्रता की हमारी संवैधानिक गारंटी के मूल पर हमला करता है।"
Related

प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली - ईसाई महिला नेताओं ने धार्मिक गुरूओं और समाज के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ईमेल के जरिए एक अपील की है जिसमें भारत के कई राज्यों में ईसाई महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों का जिक्र किया गया है।
यह अपील छत्तीसगढ़ में हुई एक हालिया घटना पर ध्यान खींचती है, जहां छह महीने की गर्भवती आदिवासी महिला कुनिका कश्यप पर ईसाई धर्म के कारण हमला किया गया, जिसके बाद उसका गर्भपात हो गया। यह घटना 2 जनवरी, 2025 को हुई जब बीमार रिश्तेदार के लिए प्रार्थना करने पर गांव के मुखिया और उसके परिवार के सदस्यों ने उस पर हमला किया था।
पत्र में कई राज्यों में ईसाई महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई मामलों को दर्ज किया गया है:
● छत्तीसगढ़: हिंसा की कई घटनाएं, जिसमें हत्याएं और झूठे आरोप शामिल हैं, जिसके कारण न्यायिक हिरासत में जाना पड़ा।
● झारखंड: बहिष्कार, अलगाव और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले।
● मणिपुर: मई 2023 से जारी संकट, जिसमें हत्या, यौन हिंसा और विस्थापन के मामले दर्ज हैं।
● पंजाब और तमिलनाडु: जबरन सेक्स वर्क, परिवार के साथ दुर्व्यवहार और सामुदायिक बहिष्कार की घटनाएं।
इस अपील में इस बात पर जोर दिया गया है कि ये हमले उत्पीड़न का एक जानबूझकर चलाया गया अभियान है जो धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों दोनों के लिए खतरा है। हस्ताक्षरकर्ताओं ने राष्ट्रपति से दखल की मांग की है ताकि निम्नलिखित अनुरोध सुनिश्चित किया जा सके कि:
● रिपोर्ट किए गए सभी मामलों की त्वरित जांच
● कमजोर ईसाई महिलाओं की सुरक्षा
● अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई
● संवैधानिक सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन
प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं में श्रीमती टिंगनेविया लोत्ज़ेम, वर्जीनिया सालदान्हा (भारतीय महिला धर्मशास्त्रियों का मंच), डॉ. अनिता चेट्टियार (सामाजिक सेवा संस्थान), डॉ. वंदना बेंजामिन (राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष, अल्फा ओमेगा ईसाई महासंघ), फादर सेड्रिक प्रकाश एसजे (मानवाधिकार और शांति कार्यकर्ता/लेखक), डॉ. जॉन दयाल (पूर्व सदस्य, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय एकता परिषद), रेव. डॉ. रिचर्ड हॉवेल (अध्यक्ष, इवेंजेलिकल चर्च ऑफ गॉड), बिशप अखिलेश एडगर (महासचिव, काउंसिल ऑफ इवेंजेलिकल चर्च इन इंडिया), और रेव. विजयेश लाल (महासचिव, इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया) तथा दूसरे बड़े नेता शामिल हैं। इस अपील का पूरे देश में 460 से ज्यादा ईसाई नेताओं, समाज के सदस्यों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने समर्थन किया है।
इस अपील में कहा गया है कि, "ये सुनियोजित हमले लक्षित हिंसा के ख़तरनाक पैटर्न को दर्शाते हैं जो हमारे समुदाय के अस्तित्व को खतरे में डालते हैं। इसे सिर्फ एक जातीय संघर्ष के तौर पर खारिज़ नहीं किया जा सकता - धार्मिक संस्थाओं का संगठित विनाश और ईसाइयों पर संगठित हमले उत्पीड़न के जानबूझकर चलाए जा रहे अभियान को दर्शाते हैं जो धार्मिक स्वतंत्रता की हमारी संवैधानिक गारंटी के मूल पर हमला करता है।"
Related
कैथोलिक नेताओं ने दलित ईसाइयों के लिए समान अधिकारों की मांग की, सरकार पर बहिष्कार करने का आरोप लगाया