UP पढ़ाई में पिछड़ा-7 लाख 85 हजार बच्चे नहीं जा रहे स्कूल, देश में 11.7 लाख बच्चे स्कूल से दूर, संसद में दी गई जानकारी 

Written by Navnish Kumar | Published on: December 11, 2024
वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में देशभर में एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है, जिसमें 11.70 लाख से ज्यादा बच्चों की पहचान की गई है जो स्कूलों में पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : मिंट

"गुजरात जैसे आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य में भी 54 हजार 500 से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। झारखंड में यह संख्या 65 हजार से अधिक है, तो असम में 64 हजार छात्र स्कूल से बाहर हैं। मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां 30 से 40 हजार के बीच छात्र स्कूल नहीं जाते। बिहार, जो शिक्षा के मामले में पहले से ही पिछड़ा हुआ है, वहां भी लगभग 25 हजार बच्चे स्कूल से दूर हैं।"

वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में देशभर में एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है, जिसमें 11.70 लाख से ज्यादा बच्चों की पहचान की गई है जो स्कूलों में पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। संसद के शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से तेलुगु देशम पार्टी के सांसद मथुकुमिली श्रीभारत के सवाल के जवाब में बताया कि देशभर में 11 लाख 70 हजार से ज्यादा छात्र स्कूल में दाखिला पाने से वंचित हैं। राज्यों की बात करें तो ऐसे बच्चों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है। UP में हाल सर्वाधिक खराब है। यहां 7.85 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं।

इन राज्यों में इतने बच्चे नहीं जा पा रहे स्कूल

लोकसभा में सोमवार को दिए गए इन चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार, सबसे गंभीर स्थिति उत्तर प्रदेश की है, जहां लगभग 7 लाख 85 हजार छात्र स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। झारखंड में यह संख्या 65 हजार से अधिक है, जबकि असम में लगभग 64 हजार छात्र स्कूल से बाहर हैं। गुजरात जैसे आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य में भी 54 हजार 5 सौ से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां 30 से 40 हजार के बीच छात्र स्कूल नहीं जाते। बिहार, जो शिक्षा के मामले में पहले से ही पिछड़ा हुआ है, वहां भी लगभग 25 हजार बच्चे स्कूल से दूर हैं। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का दावा करने वाली दिल्ली में भी लगभग 18 हजार 3 सौ बच्चे स्कूल से बाहर हैं।

सरकार ने दी ये सफाई

हालांकि, सरकार ने अपने जवाब में इस बात का भी जिक्र किया कि चूंकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है इसलिए ज़्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में ही स्कूली शिक्षा आती है और सरकार जो आंकड़े उपलब्ध करवा रही है वो वही आंकड़े हैं जो उन्हें राज्यों या फिर यूटी से मिले हैं। जिन्हें शिक्षा मंत्रालय के अंदर आने वाले स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने अपने ऑनलाइन डैश बोर्ड के जरिए जुटाया है।

चौधरी ने कहा, "शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग PRABANDH (प्रोजेक्ट अप्रेजल, बजटिंग, अचीवमेंट्स एंड डेटा हैंडलिंग सिस्टम) पोर्टल का रखरखाव करता है, जिस पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्कूल न जाने वाले बच्चों से संबंधित डेटा उपलब्ध कराते हैं और उसे अपडेट करते हैं।"

केंद्र शासित प्रदेशों ने किया अच्छा प्रदर्शन

सकारात्मक पक्ष में, लद्दाख और लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेशों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जहां एक भी छात्र बिना स्कूली शिक्षा के नहीं है। पांडिचेरी में केवल चार छात्र स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में यह संख्या सिर्फ दो है।

ग्रामीण साक्षरता दर में सुधार की उम्मीद

राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले दशक में ग्रामीण साक्षरता दर में काफी अच्छा सुधार हुआ है। 2011 में यह दर 67.77 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में बढ़कर 77.50 प्रतिशत हो गई है। खासतौर पर महिला साक्षरता दर में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। महिलाओं की साक्षरता दर 57.93 प्रतिशत से बढ़कर 70.40 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जबकि पुरुषों में यह दर 77.15 प्रतिशत से बढ़कर 84.7 प्रतिशत हो गई है। यह दिखाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में एक समग्र विकास हो रहा है। जिसमें महिलाओं को विशेष रूप से सशक्त किया जा रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर बढ़ता कदम

शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार की ओर भी कदम बढ़ाए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 2024-25 के शैक्षणिक सत्र में 7.90 लाख से अधिक छात्रों ने कक्षा 9 और 10 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विषय को चुना है। इसके साथ ही 50 हजार से अधिक छात्र कक्षा 11 और 12 में इस विषय में शिक्षा ले रहे हैं। यह संकेत है कि देश में तकनीकी शिक्षा और नवाचार की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

समाजवादी पार्टी ने कसा तंज

UP के शिक्षा में पिछड़ने और 7.85 लाख बच्चों के स्कूल न जाने के केंद्र के इस आंकड़े पर समाजवादी पार्टी के मुखिया और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया भी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- उप्र भाजपा सरकार की इस उपलब्धि का होर्डिंग उप्र सरकार ख़ुद लगवाएगी या विपक्ष लगवाए?।

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