विरोध शांतिपूर्ण रहा, जिसमें हिंसा या किसी अनहोनी की कोई खबर नहीं है। हालांकि, अधिकारियों ने “शांति भंग” और अन्य कानूनी आरोपों का हवाला देते हुए कड़ा रुख अपनाया है।

फोटो साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला प्रशासन द्वारा तंबौर कस्बे के 60 लोगों की सूची जारी करने के बाद उसे कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ये लोग वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। कई इमामों और मौलानाओं सहित इन लोगों ने असहमति के प्रतीकात्मक रूप में ईद की नमाज के दौरान अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधी थी।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी कार्रवाई को लहरपुर के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने मंजूरी दी थी और आरोपियों को 1-1 लाख रूपये का सुरक्षा बांड भरने का आदेश दिया गया है।
विरोध शांतिपूर्ण रहा, जिसमें हिंसा या किसी अनहोनी की कोई खबर नहीं है। हालांकि, अधिकारियों ने “शांति भंग” और अन्य कानूनी आरोपों का हवाला देते हुए कड़ा रुख अपनाया है।
इस विवाद ने वक्फ संशोधन विधेयक पर चल रही राष्ट्रीय बहस को और हवा दे दी है, तथा देश भर में विरोध प्रदर्शन और कानूनी चुनौतियां जारी हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति को कथित तौर पर वक्फ बिल का समर्थन को लेकर मस्जिद के बाहर लोगों के एक समूह ने पीटा।
भाजपा समर्थक और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशफाक सैफी के रिश्तेदार जाहिद सैफी पर गुरुवार शाम अबू बकर मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद हमला किया गया।
जाहिद सैफी के अनुसार, जब वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो वह मस्जिद से बाहर निकल रहे थे। जब अन्य लोगों ने विधेयक की आलोचना की, तो उन्होंने इसे सही बताते हुए इसका बचाव किया। लोगों के एक समूह ने विधेयक का समर्थन करने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार किया और फिर उन पर हमला कर दिया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एआईएमपीएलबी ने कहा है कि वह सभी धार्मिक, समुदाय-आधारित और सामाजिक संगठनों के साथ समन्वय में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का नेतृत्व करेगा और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानून पूरी तरह से रद्द नहीं हो जाता।
संसद में वक्फ विधेयक का समर्थन करने वाले जेडी(यू), टीडीपी और एलजेपी (रामविलास) जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटकों की आलोचना करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को कुछ दलों द्वारा दिए गए समर्थन ने उनके तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।
बोर्ड ने भारत के मुस्लिम समुदाय को आश्वस्त किया कि निराशा या हताशा की कोई जरूरत नहीं है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वक़्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश करते हुए इसकी खूबियां गिनाई थीं।
दरअसल, वक़्फ़ संशोधन पर नया बिल, 1995 के वक़्फ़ एक्ट को संशोधित करने के लिए लाया गया है। इस बिल का नाम है यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफ़िशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट-1995 यानी उम्मीद।
तकरीबन सभी विपक्षी पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में एक बयान में कहा था, "ये संविधान के खिलाफ है और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।"
पिछले साल अगस्त में जब ये बिल पेश हुआ था उस वक्त संसद में खूब हंगामा हुआ था और इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेज दिया गया, इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल थे।
13 फरवरी को इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसे 19 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी।
हालांकि, समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उनके सुझाए बदलावों को खारिज कर दिया गया।
ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी, जिससे भारत भर में वक्फ संपत्तियों के संचालन के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आए। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहस के बाद इस विधेयक को मंज़ूरी मिल गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंज़ूरी दे दी है, जिससे यह कानून बन गया है।
डेटाबेस के अनुसार, वक्फ बोर्ड के पास 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 8.7 लाख अचल संपत्तियां हैं।
हालांकि, इनमें से 73,600 से ज्यादा संपत्तियों का या तो "अतिक्रमण" कर लिया गया है या उस पर "मुकदमा" चल रहा है।
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फोटो साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला प्रशासन द्वारा तंबौर कस्बे के 60 लोगों की सूची जारी करने के बाद उसे कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ये लोग वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। कई इमामों और मौलानाओं सहित इन लोगों ने असहमति के प्रतीकात्मक रूप में ईद की नमाज के दौरान अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधी थी।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी कार्रवाई को लहरपुर के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने मंजूरी दी थी और आरोपियों को 1-1 लाख रूपये का सुरक्षा बांड भरने का आदेश दिया गया है।
विरोध शांतिपूर्ण रहा, जिसमें हिंसा या किसी अनहोनी की कोई खबर नहीं है। हालांकि, अधिकारियों ने “शांति भंग” और अन्य कानूनी आरोपों का हवाला देते हुए कड़ा रुख अपनाया है।
इस विवाद ने वक्फ संशोधन विधेयक पर चल रही राष्ट्रीय बहस को और हवा दे दी है, तथा देश भर में विरोध प्रदर्शन और कानूनी चुनौतियां जारी हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति को कथित तौर पर वक्फ बिल का समर्थन को लेकर मस्जिद के बाहर लोगों के एक समूह ने पीटा।
भाजपा समर्थक और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशफाक सैफी के रिश्तेदार जाहिद सैफी पर गुरुवार शाम अबू बकर मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद हमला किया गया।
जाहिद सैफी के अनुसार, जब वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो वह मस्जिद से बाहर निकल रहे थे। जब अन्य लोगों ने विधेयक की आलोचना की, तो उन्होंने इसे सही बताते हुए इसका बचाव किया। लोगों के एक समूह ने विधेयक का समर्थन करने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार किया और फिर उन पर हमला कर दिया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एआईएमपीएलबी ने कहा है कि वह सभी धार्मिक, समुदाय-आधारित और सामाजिक संगठनों के साथ समन्वय में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का नेतृत्व करेगा और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानून पूरी तरह से रद्द नहीं हो जाता।
संसद में वक्फ विधेयक का समर्थन करने वाले जेडी(यू), टीडीपी और एलजेपी (रामविलास) जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटकों की आलोचना करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को कुछ दलों द्वारा दिए गए समर्थन ने उनके तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।
बोर्ड ने भारत के मुस्लिम समुदाय को आश्वस्त किया कि निराशा या हताशा की कोई जरूरत नहीं है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वक़्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश करते हुए इसकी खूबियां गिनाई थीं।
दरअसल, वक़्फ़ संशोधन पर नया बिल, 1995 के वक़्फ़ एक्ट को संशोधित करने के लिए लाया गया है। इस बिल का नाम है यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफ़िशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट-1995 यानी उम्मीद।
तकरीबन सभी विपक्षी पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में एक बयान में कहा था, "ये संविधान के खिलाफ है और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।"
पिछले साल अगस्त में जब ये बिल पेश हुआ था उस वक्त संसद में खूब हंगामा हुआ था और इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेज दिया गया, इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल थे।
13 फरवरी को इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसे 19 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी।
हालांकि, समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उनके सुझाए बदलावों को खारिज कर दिया गया।
ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी, जिससे भारत भर में वक्फ संपत्तियों के संचालन के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आए। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहस के बाद इस विधेयक को मंज़ूरी मिल गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंज़ूरी दे दी है, जिससे यह कानून बन गया है।
डेटाबेस के अनुसार, वक्फ बोर्ड के पास 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 8.7 लाख अचल संपत्तियां हैं।
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