महिला कैदियों के सम्मान और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, उनके खिलाफ बढ़ती हिंसा, मानसिक संकट, पर्याप्त शौचालयों के बिना अस्वच्छ स्थिति, सैनिटरी नैपकिन, स्वच्छ पेयजल सुविधाएं, खराब गुणवत्ता वाला भोजन, जिसके चलते खासकर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण होता है।

देश भर की जेलों में बंद महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित कैदियों को होने वाली परेशानियों का स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एनएचआरसी के विशेष निगरानीकर्ताओं और प्रतिवेदकों ने विभिन्न जेलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट और शिकायतों के जरिए इन मुद्दों को संज्ञान में लाया है। आयोग का कहना है कि वह जेलों में बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और जेलों में काफी भीड़भाड़ को लेकर चिंतित है।
पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया में कहा गया था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा वर्ष 2022 तक भारत की जेलों पर नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जेलों में कुल उपलब्ध क्षमता 4,36,266 कैदियों के मुकाबले 5,73,220 कैदी बंद हैं।
आयोग ने अपने नोटिस में कहा, "रिपोर्ट में उठाई गई कुछ अन्य चिंताओं में महिला कैदियों के सम्मान और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, उनके खिलाफ बढ़ती हिंसा, मानसिक संकट, पर्याप्त शौचालयों के बिना अस्वच्छ स्थिति, सैनिटरी नैपकिन, स्वच्छ पेयजल सुविधाएं, खराब गुणवत्ता वाला भोजन, जिसके चलते खासकर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण होता है। जेलों में रहने वाली महिला कैदियों के बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों की कमी, कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सहित कल्याणकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन न करना शामिल है।"
राज्यों को चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है जिसमें जेलों में बंद महिला कैदियों और उनके बच्चों की संख्या का विवरण शामिल होना चाहिए। एनएचआरसी ने जेलों में एक साल से अधिक समय से बंद महिला और पुरुष विचाराधीन कैदियों का अलग-अलग डेटा भी मांगा है।
दैनिक भास्कर ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट और नालसा सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट के हवाले से एक महीने पहले प्रकाशित किया कि देश की जिलों में 24 हजार से ज्यादा ऐसे कैदी मौजूद हैं, जो जमानत मिलने के बाद भी जेल में बंद हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैदियों के जेल में होने का कारण यह है कि वे जमानत की शर्तें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। यानी ये कैदी जमानत राशि जमा नहीं करा सके हैं। इसलिए वे जमानत के बाद भी जेल में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कैदियों में ऐसे कई लोग हैं जो मामूली अपराधों में जेल गए थे। देश की जेलों में बंद कुल कैदियों की संख्या 24,879 है। इनमें 50% से सबसे ज्यादा यूपी, एमपी और बिहार से हैं।
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द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एनएचआरसी के विशेष निगरानीकर्ताओं और प्रतिवेदकों ने विभिन्न जेलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट और शिकायतों के जरिए इन मुद्दों को संज्ञान में लाया है। आयोग का कहना है कि वह जेलों में बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और जेलों में काफी भीड़भाड़ को लेकर चिंतित है।
पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया में कहा गया था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा वर्ष 2022 तक भारत की जेलों पर नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जेलों में कुल उपलब्ध क्षमता 4,36,266 कैदियों के मुकाबले 5,73,220 कैदी बंद हैं।
आयोग ने अपने नोटिस में कहा, "रिपोर्ट में उठाई गई कुछ अन्य चिंताओं में महिला कैदियों के सम्मान और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, उनके खिलाफ बढ़ती हिंसा, मानसिक संकट, पर्याप्त शौचालयों के बिना अस्वच्छ स्थिति, सैनिटरी नैपकिन, स्वच्छ पेयजल सुविधाएं, खराब गुणवत्ता वाला भोजन, जिसके चलते खासकर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण होता है। जेलों में रहने वाली महिला कैदियों के बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों की कमी, कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सहित कल्याणकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन न करना शामिल है।"
राज्यों को चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है जिसमें जेलों में बंद महिला कैदियों और उनके बच्चों की संख्या का विवरण शामिल होना चाहिए। एनएचआरसी ने जेलों में एक साल से अधिक समय से बंद महिला और पुरुष विचाराधीन कैदियों का अलग-अलग डेटा भी मांगा है।
दैनिक भास्कर ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट और नालसा सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट के हवाले से एक महीने पहले प्रकाशित किया कि देश की जिलों में 24 हजार से ज्यादा ऐसे कैदी मौजूद हैं, जो जमानत मिलने के बाद भी जेल में बंद हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैदियों के जेल में होने का कारण यह है कि वे जमानत की शर्तें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। यानी ये कैदी जमानत राशि जमा नहीं करा सके हैं। इसलिए वे जमानत के बाद भी जेल में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कैदियों में ऐसे कई लोग हैं जो मामूली अपराधों में जेल गए थे। देश की जेलों में बंद कुल कैदियों की संख्या 24,879 है। इनमें 50% से सबसे ज्यादा यूपी, एमपी और बिहार से हैं।
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