बिहार के सीएम की इफ्तार पार्टी में शामिल होने की आलोचना करने वाले पोस्ट को लेकर पत्रकार पर एफआईआर

Written by sabrang india | Published on: April 8, 2025
इस पोस्ट के कारण जेडीयू पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के ब्लॉक अध्यक्ष असगर अली ने ढाका थाने में एफआईआर दर्ज कराई। अपनी शिकायत में अली ने कहा कि मुबीन लगातार बिहार के मुख्यमंत्री की इफ्तार पार्टी से उनकी (अली की) तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे, उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।


फोटो साभार : मकतूब

बिहार के पूर्वी चंपारण के पत्रकार फजलुल मुबीन पर 26 मार्च, 2025 को एक फेसबुक पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज होने के बाद कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। कथित तौर पर इस पोस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए जनता दल (यूनाइटेड) [जेडीयू] के कुछ मुस्लिम नेताओं की आलोचना की गई थी।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, ‘मिल्ली खबर’ नाम के यूट्यूब चैनल चलाने वाले मुबीन के अनुसार, यह मुद्दा तब शुरू हुआ जब उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील पर रिपोर्ट की। 24 मार्च को मुबीन ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, "मुझे यह कहते हुए शर्म आती है कि मैं ढाका से हूं। इन लोगों के लिए नीतीश कुमार इमारत शरिया, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जमीयत अहले हदीस और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से ऊपर हैं। वक्फ हमारा संवैधानिक अधिकार है और शरिया का मामला भी है; कम से कम उन्हें इस पर विचार तो करना चाहिए था?"

इस पोस्ट के कारण जेडीयू पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के ब्लॉक अध्यक्ष असगर अली ने ढाका थाने में एफआईआर दर्ज कराई। अपनी शिकायत में अली ने कहा कि मुबीन लगातार बिहार के मुख्यमंत्री की इफ्तार पार्टी से उनकी (अली की) तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे, उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।

मुबीन ने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस उनके घर पहुंची और उन्हें अगले दिन थाने आने को कहा। जब वह 26 मार्च को अपने पिता (ढाका जामा मस्जिद के इमाम) के साथ पुलिस स्टेशन गए, तो उनसे कथित तौर पर फेसबुक पोस्ट हटाने के लिए कहा गया। मुबीन ने मकतूब को बताया कि पुलिस की ओर से पोस्ट हटाने का दबाव था, जिसका मतलब था कि ऐसा करने से एफआईआर दर्ज होने से रोका जा सकता है। उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में पोस्ट हटा दिया। उनका दावा है कि पुलिस की ओर से यह वादा किया गया था कि एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।

हालांकि, मुबीन ने कहा कि अगले दिन उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता [बीएनएस] की धारा 352 (शांति भंग करना/जानबूझकर अपमान करना) और 356 (2) (मानहानि) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जब वह वहां थे, तब शिकायतकर्ता असगर अली पुलिस स्टेशन पहुंचे, ऐसा लग रहा था कि वे माफी मंगवाना चाहते हैं। मुबीन ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। बाद में उसी शाम उन्हें प्रशासन की ओर से एफआईआर के बारे में सूचित करने के लिए कॉल आया।

मुबीन ने मकतूब से कहा, "पत्रकार के तौर पर लिखने की वजह से मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। वे स्थानीय स्तर पर ऐसी आवाजों को दबाना चाहते हैं जो उनके खिलाफ़ आवाज उठाती हैं।"

इफ्तार पार्टी को लेकर विवाद 22 मार्च को इमारत शरिया और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे संगठनों द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा वक्फ बिल का समर्थन करने के विरोध में नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने की घोषणा से उपजा है।

मुबीन का मानना है कि उन्हें उनके पत्रकारिता के काम और कुछ मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि उनके मामले को लेकर उच्च अधिकारियों का दबाव था और आरोप लगाया कि जेडीयू एमएलसी डॉ. खालिद अनवर ने असगर अली का इस्तेमाल करके एफआईआर दर्ज करवाने में अहम भूमिका निभाई।

ज्ञात हो कि वक्फ पर जेडीयू के समर्थन को लेकर पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।पार्टी महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलियावी और पार्टी एमएलसी गुलाम गौस ने विधेयक को समर्थन देने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा देने वालों में जेडीयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राज्य सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राज्य महासचिव मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी, पश्चिम चंपारण के उपाध्यक्ष नदीम अख्तर और भोजपुर जेडीयू नेता दिलशान राईन शामिल थे। गुरुवार को पूर्वी चंपारण जेडीयू नेता मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी छोड़ दी थी।

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