हंसराज मीणा ने इस मुकदमे को 'झूठा' बताते हुए आरोप लगाया कि यह उनकी आवाज दबाने की एक सुनियोजित साजिश है।

फोटो साभार : द मूकनायक (फाइल फोटो)
करौली जिले में सपोटरा थाना क्षेत्र के मीरा मीणा हत्याकांड के बाद पैदा हुए तनाव ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में ट्राइबल आर्मी के संस्थापक और समाजसेवी हंसराज मीणा सहित 35 से ज्यादा लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई डाबरा गांव में मीरा मीणा का शव सड़क पर रखकर रास्ता ब्लॉक करने और विरोध प्रदर्शन करने के मामले को लेकर की गई है। इस मामले में हंसराज मीणा ने सोशल मीडिया के जरिए एफआईआर की जानकारी साझा की और साथ ही भाजपा सरकार व स्थानीय विधायक भजनलाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, 13 जुलाई को डाबरा गांव में एक जमीन विवाद को लेकर चल रही आपसी रंजिश में 20 वर्षीया मीरा मीणा को कुए में धकेलने का आरोप लगाया गया था, घायल मीरा की इलाज के दौरान जयपुर में मृत्यु हुई थी जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया और उसके परिजन और समुदाय के लोग करीब चौतीस घंटे धरने पर बैठे।
हंसराज मीणा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मेरे पड़ोस के डाबरा गांव में मीरा मीणा हत्याकांड के पीड़ित परिवार से मिलने और शांतिपूर्ण न्याय की आवाज उठाने पर मुझे थाने से मुकदमे का तोहफा दिया है। यह मुकदमा नहीं, सरकार का अंत लिखा है। मैं नहीं, इस अन्याय पर समाज और देश इसकी प्रतिक्रिया देगा।" उन्होंने आगे चेतावनी दी, "अगर मेरा नाम इस झूठे मुकदमे से नहीं हटाया गया, तो याद रखिए बनास नदी की लहरें केवल पानी नहीं बहातीं, वे जनआक्रोश की प्रतीक भी बन सकती हैं। यह सिर्फ मेरी नहीं, हर उस नागरिक की आवाज है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।"
मीणा ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार में उनके खिलाफ तीन बार मुकदमे दर्ज हुए। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स कई बार बंद कर दिए गए और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गई एवं अपशब्द भी झेलने पड़े। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि उन सभी हाशिए पर जी रहे लोगों की आवाज है, जिनके अधिकारों और सम्मान को बार-बार कुचला जाता है।'
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, दिनांक 13 जुलाई को सुबह 6:05 बजे सपोटरा थाने के उप-निरीक्षक सुरेश चंद को सूचना प्राप्त हुई कि डाबरा गांव में 22 वर्षीय मीरा बाई (पुत्री अमृतलाल मीणा) का शव परिजनों एवं ग्रामीणों ने कुडगांव–सपोटरा मार्ग पर रखकर सड़क ब्लॉक कर दिया है। सूचना मिलने पर उप-निरीक्षक सुरेश चंद पुलिस बल के साथ तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे।
इस एफआईआर में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने मृतका के शव को सड़क पर रखकर धरना दिया और निम्नलिखित मांगें रखीं:
- आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
- पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और एक सदस्य को संविदा पर नौकरी दी जए।
- पीड़ित परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था और आर्थिक सहायता दी जाए।
- जमीन बंटवारे के विवाद का स्थायी समाधान किया जाए।
- प्रदर्शनकारियों पर कोई कानूनी कार्रवाई न हो और मृतका के भाई गोविंद सहाय मीणा को कानूनी सुरक्षा दी जाए।
एफआईआर के अनुसार, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को कई बार समझाने का प्रयास किया गया लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारियों ने मृतका के शव को सड़क पर रखकर यातायात अवरुद्ध कर दिया, जिससे आम नागरिकों को आवागमन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। शव से दुर्गंध होने लगी थी और वर्षा के कारण उसके खराब होने की आशंका भी थी। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी नहीं माने और लगातार नारेबाजी करते हुए पुलिस कर्मियों को उनकी ड्यूटी करने से रोकने का प्रयास करते रहे।
इस एफआईआर में 32 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें हंसराज मीणा, भूरा पटेल, विश्राम मीणा, अंगद पटेल, महेंद्र, धर्मराज उर्फ डैनी, रामस्वरूप डीलर, भागीरथ मीणा, लाला मीणा, पिंटू मीणा, मानसिंह मीणा, और अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। इनके साथ 40-50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
ये मामला भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 308(2), 189(2), 221, 223(a), 195(1), 190, 285 और राजस्थान मृत शरीर का सम्मान अधिनियम 2023 की धारा 16, 17, 18, 20 के तहत दर्ज किया गया है। करीब 34 घंटे तक जारी रहे धरने के बाद 14 जुलाई को दोपहर में प्रदर्शनकारी मृतका के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले गए।
हंसराज मीणा ने इस मुकदमे को 'झूठा' बताते हुए आरोप लगाया कि यह उनकी आवाज दबाने की एक सुनियोजित साजिश है। उन्होंने आगे कहा, " अगर यही घटना CM की बेटी के साथ हुई होती और हत्या के दो दिन बाद तक भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करती, तो क्या वे खुद न्याय के लिए नहीं बैठते? क्या वे भी ऐसे ही चुप रहते? मैं तो सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता के नाते डाबरा गांव गया था पीड़ित परिवार को संवेदना देने, उनका दर्द साझा करने और न्याय की मांग में उनका साथ देने। लेकिन मेरी इस मानवीय पहल का जवाब मुझे एक झूठे मुकदमे के रूप में मिला है। क्या अब न्याय की मांग करना भी अपराध है? यह मुकदमा मेरे खिलाफ नहीं, उस सच्चाई और इंसानियत के खिलाफ है जिसे कोई भी सत्ता दबा नहीं सकती।"
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फोटो साभार : द मूकनायक (फाइल फोटो)
करौली जिले में सपोटरा थाना क्षेत्र के मीरा मीणा हत्याकांड के बाद पैदा हुए तनाव ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में ट्राइबल आर्मी के संस्थापक और समाजसेवी हंसराज मीणा सहित 35 से ज्यादा लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई डाबरा गांव में मीरा मीणा का शव सड़क पर रखकर रास्ता ब्लॉक करने और विरोध प्रदर्शन करने के मामले को लेकर की गई है। इस मामले में हंसराज मीणा ने सोशल मीडिया के जरिए एफआईआर की जानकारी साझा की और साथ ही भाजपा सरकार व स्थानीय विधायक भजनलाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, 13 जुलाई को डाबरा गांव में एक जमीन विवाद को लेकर चल रही आपसी रंजिश में 20 वर्षीया मीरा मीणा को कुए में धकेलने का आरोप लगाया गया था, घायल मीरा की इलाज के दौरान जयपुर में मृत्यु हुई थी जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया और उसके परिजन और समुदाय के लोग करीब चौतीस घंटे धरने पर बैठे।
हंसराज मीणा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मेरे पड़ोस के डाबरा गांव में मीरा मीणा हत्याकांड के पीड़ित परिवार से मिलने और शांतिपूर्ण न्याय की आवाज उठाने पर मुझे थाने से मुकदमे का तोहफा दिया है। यह मुकदमा नहीं, सरकार का अंत लिखा है। मैं नहीं, इस अन्याय पर समाज और देश इसकी प्रतिक्रिया देगा।" उन्होंने आगे चेतावनी दी, "अगर मेरा नाम इस झूठे मुकदमे से नहीं हटाया गया, तो याद रखिए बनास नदी की लहरें केवल पानी नहीं बहातीं, वे जनआक्रोश की प्रतीक भी बन सकती हैं। यह सिर्फ मेरी नहीं, हर उस नागरिक की आवाज है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।"
मीणा ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार में उनके खिलाफ तीन बार मुकदमे दर्ज हुए। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स कई बार बंद कर दिए गए और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गई एवं अपशब्द भी झेलने पड़े। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि उन सभी हाशिए पर जी रहे लोगों की आवाज है, जिनके अधिकारों और सम्मान को बार-बार कुचला जाता है।'
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, दिनांक 13 जुलाई को सुबह 6:05 बजे सपोटरा थाने के उप-निरीक्षक सुरेश चंद को सूचना प्राप्त हुई कि डाबरा गांव में 22 वर्षीय मीरा बाई (पुत्री अमृतलाल मीणा) का शव परिजनों एवं ग्रामीणों ने कुडगांव–सपोटरा मार्ग पर रखकर सड़क ब्लॉक कर दिया है। सूचना मिलने पर उप-निरीक्षक सुरेश चंद पुलिस बल के साथ तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे।
इस एफआईआर में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने मृतका के शव को सड़क पर रखकर धरना दिया और निम्नलिखित मांगें रखीं:
- आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
- पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और एक सदस्य को संविदा पर नौकरी दी जए।
- पीड़ित परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था और आर्थिक सहायता दी जाए।
- जमीन बंटवारे के विवाद का स्थायी समाधान किया जाए।
- प्रदर्शनकारियों पर कोई कानूनी कार्रवाई न हो और मृतका के भाई गोविंद सहाय मीणा को कानूनी सुरक्षा दी जाए।
एफआईआर के अनुसार, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को कई बार समझाने का प्रयास किया गया लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारियों ने मृतका के शव को सड़क पर रखकर यातायात अवरुद्ध कर दिया, जिससे आम नागरिकों को आवागमन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। शव से दुर्गंध होने लगी थी और वर्षा के कारण उसके खराब होने की आशंका भी थी। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी नहीं माने और लगातार नारेबाजी करते हुए पुलिस कर्मियों को उनकी ड्यूटी करने से रोकने का प्रयास करते रहे।
इस एफआईआर में 32 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें हंसराज मीणा, भूरा पटेल, विश्राम मीणा, अंगद पटेल, महेंद्र, धर्मराज उर्फ डैनी, रामस्वरूप डीलर, भागीरथ मीणा, लाला मीणा, पिंटू मीणा, मानसिंह मीणा, और अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। इनके साथ 40-50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
ये मामला भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 308(2), 189(2), 221, 223(a), 195(1), 190, 285 और राजस्थान मृत शरीर का सम्मान अधिनियम 2023 की धारा 16, 17, 18, 20 के तहत दर्ज किया गया है। करीब 34 घंटे तक जारी रहे धरने के बाद 14 जुलाई को दोपहर में प्रदर्शनकारी मृतका के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले गए।
हंसराज मीणा ने इस मुकदमे को 'झूठा' बताते हुए आरोप लगाया कि यह उनकी आवाज दबाने की एक सुनियोजित साजिश है। उन्होंने आगे कहा, " अगर यही घटना CM की बेटी के साथ हुई होती और हत्या के दो दिन बाद तक भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करती, तो क्या वे खुद न्याय के लिए नहीं बैठते? क्या वे भी ऐसे ही चुप रहते? मैं तो सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता के नाते डाबरा गांव गया था पीड़ित परिवार को संवेदना देने, उनका दर्द साझा करने और न्याय की मांग में उनका साथ देने। लेकिन मेरी इस मानवीय पहल का जवाब मुझे एक झूठे मुकदमे के रूप में मिला है। क्या अब न्याय की मांग करना भी अपराध है? यह मुकदमा मेरे खिलाफ नहीं, उस सच्चाई और इंसानियत के खिलाफ है जिसे कोई भी सत्ता दबा नहीं सकती।"
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