हरियाणा आईपीएस अधिकारी के सुसाइड नोट में जातिगत भेदभाव के आरोप, कई वरिष्ठ अधिकारियों पर एफआईआर

Written by sabrang india | Published on: October 11, 2025
हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर कथित रूप से आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार का आरोप लगाया था। बढ़ते आक्रोश के बीच, कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।



भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी और हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वाई. पूरन कुमार की मौत से जुड़ी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं, जिससे राज्य की पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था में कई सवाल खड़े हो गए हैं।

चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर 7 अक्टूबर को कथित आत्महत्या के बाद बरामद आठ पन्नों का टाइप किया हुआ और हस्ताक्षरित सुसाइड नोट, जो कुमार से जुड़ा था, उसमें उन्होंने बार-बार 'जातिगत भेदभाव', 'मानसिक उत्पीड़न', 'सार्वजनिक अपमान' और 'अत्याचार' का उल्लेख किया है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के रहने वाले 2001 बैच के इस अधिकारी ने राज्य में अपनी लंबी पुलिस सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने अंबाला और रोहतक पुलिस रेंज के साथ-साथ होमगार्ड, दूरसंचार और कई अन्य प्रमुख विभागों का भी नेतृत्व किया था।

सुसाइड नोट में उन्होंने उल्लेख किया है कि किस तरह प्रणाली के भीतर लगातार होने वाले अपमान और पक्षपात ने उन्हें कथित रूप से आत्महत्या जैसे कठोर कदम के लिए मजबूर कर दिया।

दिवंगत अधिकारी की पत्नी और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने 8 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस के समक्ष एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने हरियाणा के मौजूदा पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

उन्होंने अपने पति के साथ हुए कथित जातिगत भेदभाव के मामले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत इन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि इसी भेदभाव के चलते उनके पति को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अपनी शिकायत में उन्होंने लिखा, 'यह एक साधारण आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि मेरे पति – जो अनुसूचित जाति समुदाय से हैं – के खिलाफ शक्तिशाली और उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा किए गए व्यवस्थित उत्पीड़न का परिणाम है। इन अधिकारियों ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिससे अंततः वे इस हद तक परेशान हो गए कि उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा।'

मामले की जांच फिलहाल चंडीगढ़ पुलिस द्वारा की जा रही है, हालांकि अमनीत कुमार द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर न तो शत्रुजीत सिंह कपूर और न ही नरेंद्र बिजारनिया ने अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया या बयान जारी किया है।

अमनीत कुमार, जो वर्तमान में हरियाणा सरकार के विदेश सहयोग विभाग में आयुक्त और सचिव के रूप में कार्यरत हैं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ जापान में थीं, जब उनके पति ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी।

बाद में, 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी चंडीगढ़ के सेक्टर 24 स्थित आईपीएस अधिकारी के आधिकारिक आवास पर पहुंचे और शोकसंतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी दिवंगत को श्रद्धांजलि दी।

‘सुसाइड नोट’ में लिखा

कुमार ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके साथ भेदभाव की शुरुआत 2020 में उस समय हुई, जब उन्होंने अंबाला के एक पुलिस थाने में स्थित मंदिर में दर्शन किए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि तभी से उन्हें योजनाबद्ध तरीके से और लगातार निशाना बनाया जा रहा है। कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि उन्हें अपने पिता के अंतिम क्षणों में उनके पास जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे उन्हें गहरा और स्थायी भावनात्मक आघात पहुंचा।

उन्होंने लिखा कि कई बार आग्रह करने के बावजूद, सेवा और अवकाश नियमों, आवास तथा पदोन्नति नीतियों के न्यायसंगत पालन सहित समान व्यवहार की उनकी मांगों को या तो नजरअंदाज किया गया या फिर उन्हें प्रतिशोध की भावना से उनके खिलाफ इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुमार ने बताया कि उनकी शिकायतें, जिनके साथ उन्होंने लिखित साक्ष्य और बैठक के रिकॉर्ड संलग्न किए थे, लगातार नजरअंदाज की गईं।

अधिकारी ने प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में देरी करने तथा उनके खिलाफ गुमनाम और छद्म नामों से दर्ज शिकायतों के आधार पर झूठी, परेशान करने वाली और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई शुरू करने के लिए ‘निरंतर भेदभाव’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें सार्वजनिक रूप से परेशान और अपमानित किया गया।

उन्होंने कहा कि वह ‘जाति-आधारित भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, लक्षित मानसिक उत्पीड़न और अत्याचारों को जारी रखने के लिए संबंधित अधिकारियों की निरंतर और संगठित साजिश को और अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं कर सकते।

चंडीगढ़ पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में दिवंगत अधिकारी की पत्नी अमनीत कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने पति द्वारा वर्षों से सहे जा रहे अपमान और उत्पीड़न को देखा है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति का दर्द छिपा नहीं था, और जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ दर्ज कई शिकायतें (जिनका उल्लेख उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी किया है) इसे स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।"

उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया, ‘मेरे पति को पता चल गया था और उन्होंने मुझे सूचित किया था कि हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर के निर्देश पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है, जिसमें झूठे सबूत गढ़कर उन्हें एक तुच्छ और शरारती शिकायत में फंसाया जाएगा।

उन्होंने यह भी दावा किया कि सबसे दर्दनाक बात यह है कि उनके पति सुशील के एक कर्मचारी के खिलाफ 6 अक्टूबर को अर्बन एस्टेट रोहतक पुलिस स्टेशन में एक झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी, जो उनकी मृत्यु से ठीक पहले की घटना थी।

अमनीत कुमार ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उनके पति के खिलाफ झूठे सबूत गढ़कर उन्हें इस मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति ने इस संदर्भ में डीजीपी से संपर्क किया था और उनसे बातचीत भी की थी, लेकिन उस समय डीजीपी ने ‘बातचीत को दबा दिया था।

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा, मेरे पति ने रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को भी फोन किया था, लेकिन उन्होंने जानबूझकर कॉल रिसीव नहीं किया। वर्तमान परिस्थितियों से यह स्पष्ट है कि रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया और डीजीपी हरियाणा मिलकर साजिश रच रहे थे।’

उन्होंने कहा कि आठ पन्नों का यह नोट उनके टूटे हुए मनोबल का दस्तावेज है, जिसमें उन कई अधिकारियों के नाम और सच्चाई का खुलासा किया गया है, जिनके ‘निरंतर कार्यों ने उन्हें इस हद तक धकेल दिया।

उन्होंने लिखा, ‘मेरे पति को जो उत्पीड़न सहना पड़ा, उसके बारे में वे मुझे अक्सर बताते रहते थे। मेरे लिए शब्दों में बयां करना कठिन है कि मैंने और मेरे बच्चों ने क्या खोया है - एक पति, एक पिता, और एक ऐसा इंसान जिसका एकमात्र अपराध सेवा में ईमानदारी थी।

उन्होंने आगे लिखा कि यह स्थापित कानून है कि लगातार उत्पीड़न, अपमान और मानहानि के कृत्य उकसावे के दायरे में आते हैं। केवल तात्कालिक घटनाओं की ही नहीं, बल्कि समग्र परिस्थितियों की भी जांच की जानी चाहिए। प्रशासनिक उत्पीड़न किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकता है।

उन्होंने लिखा, ‘इसके अलावा, अनुसूचित जाति की पहचान के आधार पर मेरे पति को परेशान करना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत एक विशेष और गंभीर अपराध है।’

उन्होंने कहा, ‘मैं न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि हर ईमानदार अधिकारी के जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए भी गुहार लगा रही हूँ।’

शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर, परिवार ने गिरफ्तारी और निलंबन की मांग की

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की कथित आत्महत्या को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच, चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार 9 अक्टूबर को देर रात हरियाणा के कई शीर्ष पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए चंडीगढ़ पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी।

चंडीगढ़ पुलिस के आधिकारिक बयान में गुरुवार देर रात कहा गया कि अंतिम एफआईआर (वाई पूरन कुमार के सुसाइड नोट) में नामित सभी अधिकारियों के खिलाफ बीएनएस एवं एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर संख्या 156 दर्ज की गई है। चंडीगढ़ पुलिस ने यह भी बताया कि मामले की आगे की जांच जारी है।

पूरन कुमार ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में हरियाणा के वर्तमान पुलिस महानिदेशक समेत 11 शीर्ष पुलिस अधिकारियों के नाम लिए थे, जिनमें रोहतक के एसपी, पूर्व डीजीपी और कुछ पूर्व एडीजीपी शामिल हैं।

सुसाइड नोट में शत्रुजीत कपूर (हरियाणा डीजीपी), अमिताभ ढिल्लों (एडीजीपी, 1997 बैच), संजय कुमार (एडीजीपी, 1997 बैच), पंकज नैन (आईजीपी, 2007 बैच), कला रामचंद्रन (आईपीएस, 1994 बैच), संदीप खिरवार (तत्कालीन सीपी गुरुग्राम, 1995 बैच), सिबाश कबीराज (तत्कालीन जेसीपी गुरुग्राम, 1999 बैच), मनोज यादव (पूर्व डीजीपी, 1988 बैच), पीके अग्रवाल (पूर्व डीजीपी) और नरेंद्र बिजारनिया (रोहतक एसपी), तथा पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के नाम शामिल हैं।

बढ़ी नाराजगी

हरियाणा की भाजपा सरकार इस आत्महत्या के बाद देशभर में उठ रही नाराजगी के कारण कड़ी आलोचनाओं के घेरे में आ गई है। दलित संगठनों से लेकर वरिष्ठ विपक्षी नेताओं तक, सभी मृतक अधिकारी के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा, ‘हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या उस गहरे होते सामाजिक जहर का प्रतीक है जो जाति के नाम पर मानवता को कुचल रहा है। जब एक आईपीएस अधिकारी को अपनी जाति के कारण अपमान और अन्याय का सामना करना पड़ता है, तो कल्पना कीजिए कि एक आम दलित को क्या सहना पड़ता होगा।’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ट्वीट कर कहा कि भाजपा की मनुवादी व्यवस्था इस देश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और कमजोर वर्गों के लिए अभिशाप बन चुकी है।

उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी एडीजीपी वाई. पूरन कुमार की जबरन आत्महत्या की खबर न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और असंवेदनशीलता का एक भयावह प्रमाण भी है।’

हरियाणा सिविल सेवा अधिकारी संघ ने भी मुख्यमंत्री सैनी को पत्र लिखकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की और सुझाव दिया कि ‘जूनियर जांच अधिकारियों पर अनुचित प्रभाव की आशंका को दूर करने के लिए आरोपी अधिकारियों को अस्थायी रूप से पद से हटाना आवश्यक है।’

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