सीजेआई गवई पर हमला हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी समूहों के भड़काऊ अभियान का परिणाम

Written by sabrang india | Published on: October 7, 2025
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास, हफ्तों से जारी दक्षिणपंथी अभियान का परिणाम लगता है। अजीत भारती जैसे हिंदू दक्षिणपंथी यूट्यूब क्रिएटर और अन्य लोग लगातार सीजेआई गवई के खिलाफ नफरत फैला रहे थे।


साभार : द वायर

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 6 अक्टूबर को एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। यह केवल एक अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि पिछले तीन हफ्तों से हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे संगठित अभियान का हिस्सा थी।

71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सोमवार सुबह 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में जूता निकालकर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की ओर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और कोर्ट से बाहर ले गए। बाहर जाते समय राकेश किशोर ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ और ‘भारत सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा’ जैसे नारे लगाता रहा।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने पूरे घटनाक्रम के दौरान संयम बनाए रखा और मौजूद वकीलों से कार्यवाही जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाओं से प्रभावित न हों। हम विचलित नहीं हैं। इस तरह की चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।”

विष्णु की मूर्ति पर टिप्पणी बना विवाद का विषय

यह हमला उस विवाद का चरम बिंदु था, जिसकी शुरुआत 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश गवई की एक टिप्पणी से हुई थी। खजुराहो स्थित जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची टूटी हुई मूर्ति की पुनर्स्थापना के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की थी - “जाइए और भगवान से स्वयं कुछ करने को कहिए। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, तो प्रार्थना कीजिए।”

मुख्य न्यायाधीश ने इस याचिका को ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ यानी प्रचार की नीयत से दायर याचिका करार दिया और कहा कि संबंधित स्थल एक पुरातात्विक धरोहर है, जहां किसी भी कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की अनुमति आवश्यक है। उन्होंने यहां तक सुझाव दिया कि यदि याचिकाकर्ता को शैव परंपरा से कोई आपत्ति नहीं है, तो वह शिव मंदिर में जाकर पूजा कर सकता है।

सोशल मीडिया पर वायरल

मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। इसको लेकर #ImpeachCJI हैशटैग ट्रेंड करने लगा और कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने इस टिप्पणी को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया।

दो दिन बाद मुख्य न्यायाधीश को अपनी सफाई देनी पड़ी और उन्होंने कहा, ‘मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं…’

अजीत भारती का भड़काऊ अभियान

दक्षिणपंथी यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर अजीत भारती ने इस विवाद को भड़काने में अहम भूमिका निभाई। सोमवार को हमले के तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "आज सीजेआई गवई को एक वकील का जूता लगते-लगते रह गया। अधिवक्ता गवई के डायस के पास पहुंचा, जूते उतारे और मारने ही वाला था कि सुरक्षाकर्मी ने उसे पकड़ लिया। जाते-जाते वकील ने कहा कि 'सनातन का अपमान नहीं सहा जाएगा'।”

अजीत भारती ने अपनी पोस्ट में और भी उग्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा, ‘यह आरंभ है। ऐसे पतित, हिंदू विरोधी और कायर जजों के साथ सड़कों पर भी ऐसा ही होगा, यदि वे आदेश में लिखी जाने वाली बातों से इतर अपने विषैले हृदय के उद्गार हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए प्रकट करेंगे।’

18 सितंबर को किए गए एक पोस्ट में अजीत भारती ने मुख्य न्यायाधीश गवई को ‘हिंदू-विरोधी सोच से प्रेरित घटिया जज’ कहा। हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद की कथा का संदर्भ देते हुए लिखा, ‘ध्यान रहे गवई, हिरण्यकशिपु ने भी अहंकारवश प्रह्लाद से कहा था कि क्या इस खंभे में विष्णु है… उसे तो वरदान था, फिर भी नरसिंह भगवान ने जांघ पर रखकर नाखून से फाड़ दिया था। तू तो केवल एक अंबेडकरवादी मानव है।’

इसी तरह की धमकी एक हिंदुत्ववादी वेबसाइट ने भी सीजेआई गवई को दी थी।

हिंदू कैफे के कौशलेश राय की हिंसक धमकियां

29 सितंबर को अजीत भारती के यूट्यूब चैनल पर ‘CJI Gavai Vs Sleeping Hindus’ शीर्षक से एक वीडियो अपलोड किया गया।

इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा गया है, “सवाल यह है कि CJI गवई जैसे लोग अपनी हिंदू-विरोधी टिप्पणियों के बावजूद बिना किसी परिणाम के क्यों बच जाते हैं?”

इस कार्यक्रम में ‘हिंदू कैफे फाउंडेशन’ नामक हिंदू दक्षिणपंथी संगठन के संस्थापक कौशलेश राय ने चीफ जस्टिस गवई के खिलाफ खुली हिंसक धमकियां दीं। कौशलेश राय ने कहा:

मैं तो गांधीवादी हूं। मैं हिंसा का समर्थन करता नहीं। यदि मैं समर्थन करता तो मैं यह कहता कि कहीं गवई जी टकरा जाएं, वह कोर्ट में रहते हैं, उधर हिंदू वकील भी रहते हैं, एक तो हिंदू वकील होगा, वह गवई जी की मुंडी पकड़ के जोर से दीवार में मारे कि वो दो टुकड़ों में ऐसे हो जाए। लेकिन मैं हिंसा का समर्थन करता ही नहीं।

राय ने आगे कहा:

हिंदुओं की आस्था पर आप कुछ कर दो, आपको कोई मूल्य नहीं चुकाना, इसलिए सब बोले जा रहे हैं। अगर जस्टिस गवई साहब को यह पता होता कि मैं विष्णु भगवान पर टिप्पणी कर रहा हूं तो… गोडसे आपके बस की नहीं है, लेकिन गांधी तो बन सकते हो, भाई गवई के मुंह पर थूकने की क्या सजा है आईपीसी में, खूब होगा छह महीने। इससे ज्यादा तो कुछ नहीं है न। ये भी नहीं कर पा रहे हैं हिंदू।

कौशलेश राय ने यह भी कहा कि ‘गवई को ही नहीं, जो भी हिंदुओं के खिलाफ बोल रहा है, उसे पता है कि उसे इसका मूल्य नहीं चुकाना है। जिस दिन हिंदू एक प्राइज टैग रख दे कि “तुझे बोलना है विष्णु जी पर बोल — लेकिन उसका प्राइज ये है, उसकी तैयारी रख।” एक-दो से वो प्राइज ले ले, कम से कम 60-70 प्रतिशत मामले घट जाएंगे।’

इस बातचीत में अजीत भारती ने जस्टिस गवई की कार को घेरने का सुझाव भी दिया था।

गवई पर सोमवार को हुए हमले के बाद राय ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को भी धमकी दी है।

प्रशांत भूषण ने हमले की निंदा करते हुए एक्स पर लिखा है, ‘यह एक घृणित प्रयास है, जिसमें एक ब्राह्मणवादी मानसिकता वाला वकील सीजेआई को डराने की कोशिश कर रहा है। यह न्यायालय की आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कंटेम्प्ट) के दायरे में आता है। उस वकील पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।’

प्रशांत भूषण के इस पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए राय ने लिखा है, ‘भूषण जी का लगता है रैप्टे से मन नहीं भरा है।’

सीजेआई के परिवार पर निशाना

कार्यक्रम में जस्टिस गवई के परिवार पर भी टिप्पणी की गई। कौशलेश राय ने कहा, ‘इसी गवई के बाप तीन राज्यों के गवर्नर रहे। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) के संस्थापक रहे। अगर आप इन सब तारों को जोड़ो, तो भारत में ये जो चर्च का गंदा नाला बह रहा है “एट्रोसिटी लिटरेचर” का, उसके जनक यही सब हैं।’

ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले ही सीजेआई गवई की मां ने एक पत्र जारी कर आरएसएस के कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया था। बीते हफ्ते जारी एक बयान में कमलताई ने कहा कि वह अपनी उम्र (84) और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इस समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगी।

उन्होंने कहा कि अगर उन्हें ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल होना है, तो वे केवल आंबेडकरवादी विचार ही प्रस्तुत करेंगी।

उन्होंने कहा, ‘हम चाहे कहीं भी जाएं, हमारे मूल्यों की मांग है कि हम अपनी अंतिम सांस तक आंबेडकरवादी विचारधारा को बनाए रखें।’

हिंदू दक्षिणपंथी अभियान

अजीत भारती और कौशलेश राय के अलावा कई अन्य हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों और व्यक्तियों ने मुख्य न्यायाधीश गवई के खिलाफ अभियान चलाया। विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार ने ‘न्यायालय में भाषा में संयम’ बनाए रखने की अपील की। इसके साथ ही, सनातन कथा वाचक समन्वय परिषद नामक एक समूह ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट तक मार्च करने का आह्वान किया।

वकील विनीत जिंदल ने मुख्य न्यायाधीश गवई को पत्र लिखकर उनकी टिप्पणी वापस लेने की मांग की और इसकी एक प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी। सोशल मीडिया पर #ImpeachCJI हैशटैग तेजी से वायरल हुआ, जबकि कई यूट्यूब चैनलों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रचार भी किया।

नेताओं की प्रतिक्रिया

तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यह बेहद निंदनीय है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का प्रयास किया गया। भाजपा और इसकी ऑनलाइन आईटी आर्मी ने नागरिकों को विभाजित करने, हिंसक भाषा और घृणित हैशटैग के माध्यम से उन्हें दानवीकृत करने और निशाना बनाने की एक संस्कृति विकसित की है। यह ऑनलाइन हिंसा अंततः ऑफलाइन हिंसक घटनाओं को जन्म दे रही है।”

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर लिखा है, ‘यह धर्म के स्वयंभू ठेकेदार नहीं – ज़ोम्बीज़ हैं। इस कगार पर मेरे देश को लाने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक आदमी जिम्मेदार है – नरेंद्र मोदी। सोचिए यह सब इस देश की सबसे ऊंची अदालत में सबसे वरिष्ठ जज के साथ हो रहा है – यह धर्मांधता नहीं, पागलपन है।’

न्यायपालिका की गरिमा पर हमला

यह घटना भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा पर एक बड़ा हमला है। सुप्रीम कोर्ट के परिसर में मुख्य न्यायाधीश पर शारीरिक हमले का प्रयास न केवल कानून व्यवस्था का उल्लंघन है, बल्कि यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई नफरत और हिंसक भाषा किस प्रकार वास्तविक हिंसा का रूप ले सकती है।

चीफ जस्टिस गवई के पास ज़ेड प्लस सुरक्षा है, जो दिल्ली पुलिस के सुरक्षा प्रभाग द्वारा दी जाती है। फिर भी यह घटना सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर खामियों को उजागर करती है।

हमलावर की गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस ने बताया कि हमलावर राकेश किशोर मयूर विहार का निवासी है और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का पंजीकृत सदस्य है। उसके पास वकीलों और क्लर्कों को जारी किया जाने वाला प्रॉक्सिमिटी कार्ड भी था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

निलंबन आदेश में कहा गया है कि, ‘प्रथमदृष्टया उपलब्ध सबूतों के अनुसार, 6 अक्टूबर 2025 को लगभग सुबह 11:35 बजे, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर 1 में वकील राकेश किशोर (नामांकन संख्या D/1647/2009), जो दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत है, ने अदालत की कार्यवाही के दौरान अपने स्पोर्ट्स शूज उतारकर माननीय मुख्य न्यायाधीश की ओर फेंकने का प्रयास किया। इसके बाद उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया। यह आचरण न्यायालय की गरिमा और नियमों के अनुरूप नहीं माना जाता है। इसलिए, तत्काल प्रभाव से प्रैक्टिस से निलंबित किया जाता है।’

साथ ही, दिल्ली बार काउंसिल को इस आदेश का तत्काल पालन करने और सभी अदालतों तथा न्यायाधिकरणों को इसकी सूचना देने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, कहा गया है कि अनुपालन रिपोर्ट दो दिनों के भीतर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को प्रस्तुत करनी होगी।

न्यायिक स्वतंत्रता पर खतरा

यह घटना भारतीय लोकतंत्र की नींव यानी न्यायिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाती है। जब न्यायाधीशों को उनके फैसलों के कारण धमकियों और हिंसा का सामना करना पड़ता है, तो इससे पूरी न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता कमजोर हो जाती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश गवई का समर्थन करते हुए कहा, “हमने देखा है कि न्यूटन के नियम के अनुसार हर क्रिया की बराबर प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब हर क्रिया की असंगत सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं होती हैं।”

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस मामले को अदालत की अवमानना बताते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।

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