किसी पोस्ट को केवल लाइक करना उसे प्रसारित करने जैसा नहीं है और यह सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि किसी सोशल मीडिया पोस्ट को सिर्फ लाइक करना, उसे प्रसारित करने के समान नहीं है और यह आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत दंडनीय नहीं है। धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण से संबंधित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करती है।
द वायर ने लाइव लॉ की रिपोर्ट के हवाले से लिखा कि जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने टिप्पणी की कि किसी पोस्ट या संदेश को 'प्रकाशित' तब माना जा सकता है जब उसे पोस्ट किया गया हो, और 'प्रसारित' तब, जब उसे साझा किया गया हो या रीट्वीट किया गया हो।
जस्टिस श्रीवास्तव ने याचिकाकर्ता इमरान खान के खिलाफ एक मामले को 17 अप्रैल को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने केवल एक संदेश को लाइक किया था, जिसे किसी अन्य व्यक्ति ने पोस्ट किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान के फेसबुक और वॉट्सऐप अकाउंट में कोई आपत्तिजनक पोस्ट नहीं पाई गई।
कोर्ट ने कहा, “मौजूदा मामले में यह आरोप है कि केस डायरी में ऐसा कंटेंट है जिससे यह प्रतीत होता है कि आवेदक ने फरहान उस्मान की एक पोस्ट को, जो कि गैरकानूनी सभा से संबंधित है, लाइक किया है। लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करना, उसे प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं माना जा सकता। इसलिए, केवल किसी पोस्ट को लाइक करना आईटी एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत नहीं आता।”
बता दें कि इससे पहले पुलिस ने खान पर "सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज डालने" का मामला दर्ज किया था, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय के लगभग 600–700 लोग बिना अनुमति के जुलूस निकालने के लिए इकट्ठा हो गए थे।
अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि खान ने केवल किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पोस्ट किए गए एक संदेश को लाइक किया था।
आईटी अधिनियम की धारा 67 केवल अश्लील (गंदी या यौन उत्तेजक) सामग्री से संबंधित है, न कि भड़काऊ (उकसाने वाले) संदेशों से। इस धारा में प्रयुक्त शब्द जैसे ‘lascivious’ या ‘prurient interest’ का अर्थ है—ऐसी सामग्री जो यौन इच्छाओं को जागृत करे। इसलिए यदि कोई पोस्ट केवल भड़काऊ है, लेकिन अश्लील नहीं है, तो उस पर धारा 67 के तहत सजा नहीं दी जा सकती।
Related

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि किसी सोशल मीडिया पोस्ट को सिर्फ लाइक करना, उसे प्रसारित करने के समान नहीं है और यह आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत दंडनीय नहीं है। धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण से संबंधित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करती है।
द वायर ने लाइव लॉ की रिपोर्ट के हवाले से लिखा कि जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने टिप्पणी की कि किसी पोस्ट या संदेश को 'प्रकाशित' तब माना जा सकता है जब उसे पोस्ट किया गया हो, और 'प्रसारित' तब, जब उसे साझा किया गया हो या रीट्वीट किया गया हो।
जस्टिस श्रीवास्तव ने याचिकाकर्ता इमरान खान के खिलाफ एक मामले को 17 अप्रैल को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने केवल एक संदेश को लाइक किया था, जिसे किसी अन्य व्यक्ति ने पोस्ट किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान के फेसबुक और वॉट्सऐप अकाउंट में कोई आपत्तिजनक पोस्ट नहीं पाई गई।
कोर्ट ने कहा, “मौजूदा मामले में यह आरोप है कि केस डायरी में ऐसा कंटेंट है जिससे यह प्रतीत होता है कि आवेदक ने फरहान उस्मान की एक पोस्ट को, जो कि गैरकानूनी सभा से संबंधित है, लाइक किया है। लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करना, उसे प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं माना जा सकता। इसलिए, केवल किसी पोस्ट को लाइक करना आईटी एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत नहीं आता।”
बता दें कि इससे पहले पुलिस ने खान पर "सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज डालने" का मामला दर्ज किया था, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय के लगभग 600–700 लोग बिना अनुमति के जुलूस निकालने के लिए इकट्ठा हो गए थे।
अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि खान ने केवल किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पोस्ट किए गए एक संदेश को लाइक किया था।
आईटी अधिनियम की धारा 67 केवल अश्लील (गंदी या यौन उत्तेजक) सामग्री से संबंधित है, न कि भड़काऊ (उकसाने वाले) संदेशों से। इस धारा में प्रयुक्त शब्द जैसे ‘lascivious’ या ‘prurient interest’ का अर्थ है—ऐसी सामग्री जो यौन इच्छाओं को जागृत करे। इसलिए यदि कोई पोस्ट केवल भड़काऊ है, लेकिन अश्लील नहीं है, तो उस पर धारा 67 के तहत सजा नहीं दी जा सकती।
Related
"ईवीएम से छेड़छाड़ के लिए ‘भाजपा से जुड़े सूत्रों’ ने उनके खाते में 10 लाख रुपये जमा किए": चुनाव आयोग (ECI) ने रिपोर्ट मांगी, बीड के जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) ने दावों को खारिज किया