कोरेगांव भीमा केस: बॉम्बे हाईकोर्ट से सुधा भारद्वाज समेत तीन की जमानत याचिका की खारिज

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 15, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा चार सप्ताह के लिए और बढ़ा दी है। हालांकि कोर्ट ने नवलखा से अग्रिम जमानत के लिए संबंधित अदालत में याचिका दायर करने को कहा है। उधर, बांबे हाई कोर्ट ने इसी मामले में गिरफ्तार सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वेरनोन गोंजाल्विस को जमानत देने से इन्कार कर दिया है।



नवलखा की गिरफ्तारी के अंतरिम सुरक्षा की अवधि चार सप्ताह और बढ़ाने पर महाराष्ट्र सरकार के वकील ने विरोध किया लेकिन बेंच ने आपत्ति को खारिज करते हुए सवाल किया कि सरकार ने एक साल से ज्यादा अवधि बीत जाने के बावजूद नवलखा से पूछताछ क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले चार अक्टूबर को गिरफ्तारी से सुरक्षा 15 अक्टूबर तक के लिए बढ़ाई थी।

हाई कोर्ट ने इस मामले में शुरूआती जांच के खुलासों को देखते हुए नवलखा के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने की याचिका नामंजूर कर दी थी। इस एफआइआर में भीमा कोरेगांव हिंसा में भूमिका होने और माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया गया है। हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे विस्तृत जांच की आवश्यकता महसूस की थी। हालांकि हाई कोर्ट ने नवलखा की गिरफ्तारी से तीन सप्ताह के लिए सुरक्षा प्रदान की थी ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।

बांबे हाई कोर्ट की जस्टिस सारंग कोतवाल की एक जज वाली बेंच सुधा भारद्वाज, अरुण भरेरा और वेरनोन गोंजाल्विस की याचिका पर सुनवाई करके नामंजूर कर दिया। यह बेंच पिछले 27 अगस्त से कार्यकर्ताओं की याचिका पर नियमित सुनवाई कर रही थी। एक जनवरी 2018 को कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में इन तीनों को अवैध गतिविधि (निरोधक) कानून (यूएपीए) के तहत आरोपित किया गया था। पुलिस ने इन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, देशद्रोह करने और नक्सलवादी संगठनों से संबंध रखने के आरोप लगाए थे।

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