इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज ने कहा कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। जज के इस बयान को लेकर लोगों ने चौतरफा आलोचना की है।
साभार : हेड डिटेक्टर (सक्रीनशॉट)
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज के उस बयान पर उनकी चौतरफा आलोचना हो रही जिसमें उन्होंने कहा कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। जज के इस बयान को लेकर लोगों ने चौतरफा आलोचना की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि "एक सिटिंग जज द्वारा हिंदू संगठन के उनके राजनीतिक एजेंडे पर आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेना शर्मनाक है।"
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में एक सिटिंग जज की भागीदारी उस समय हुई जब देश संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि "सुप्रीम कोर्ट के माननीय भारत के मुख्य न्यायाधीश क्या कोई स्वतः संज्ञान लेंगे?"
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुत्ववादी समूह विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने रविवार को कहा कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा।
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने “समान नागरिक संहिता की संवैधानिक आवश्यकता” पर एक संबोधन देते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस ने कहा, “केवल वही स्वीकार किया जाएगा जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए लाभकारी हो।”
यादव ने कहा, “यूसीसी (समान नागरिक संहिता) ऐसी चीज नहीं है जिसकी वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद), आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) या हिंदू धर्म वकालत करता हो।” उन्होंने आगे कहा, “देश की शीर्ष अदालत भी इसके बारे में कहती है।”
उन्होंने कहा, “मैं शपथ लेता हूं कि यह देश निश्चित रूप से एक ही कानून लाएगा और यह बहुत जल्द ही इसे लाएगा।”
यादव ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता, सती और जौहर जैसी प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया है और सवाल किया कि मुस्लिम समुदाय अभी भी कई पत्नियां रखने की प्रथा को क्यों अनुमति देता है।
उन्होंने कहा, "हम [हिंदू धर्म] अपने बच्चों को जन्म से ही सहिष्णुता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं...जब आप उनके सामने जानवरों का वध करेंगे तो आपका बच्चा सहिष्णुता और दया कैसे सीखेगा।"
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2021 में उन्होंने यह टिप्पणी करके राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं कि "वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ता है"। उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और गोरक्षा को "हिंदुओं का मौलिक अधिकार" घोषित करने का भी आह्वान किया था।
ये टिप्पणियां यूपी गोहत्या अधिनियम के तहत गायों की चोरी और तस्करी के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज करते हुए की गई थी।
उसी वर्ष, उन्होंने चुनाव आयोग को कोविड-19 के खतरे के कारण चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव स्थगित करने का "सुझाव" दिया था।
साभार : हेड डिटेक्टर (सक्रीनशॉट)
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज के उस बयान पर उनकी चौतरफा आलोचना हो रही जिसमें उन्होंने कहा कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। जज के इस बयान को लेकर लोगों ने चौतरफा आलोचना की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि "एक सिटिंग जज द्वारा हिंदू संगठन के उनके राजनीतिक एजेंडे पर आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेना शर्मनाक है।"
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में एक सिटिंग जज की भागीदारी उस समय हुई जब देश संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि "सुप्रीम कोर्ट के माननीय भारत के मुख्य न्यायाधीश क्या कोई स्वतः संज्ञान लेंगे?"
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुत्ववादी समूह विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने रविवार को कहा कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा।
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने “समान नागरिक संहिता की संवैधानिक आवश्यकता” पर एक संबोधन देते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस ने कहा, “केवल वही स्वीकार किया जाएगा जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए लाभकारी हो।”
यादव ने कहा, “यूसीसी (समान नागरिक संहिता) ऐसी चीज नहीं है जिसकी वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद), आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) या हिंदू धर्म वकालत करता हो।” उन्होंने आगे कहा, “देश की शीर्ष अदालत भी इसके बारे में कहती है।”
उन्होंने कहा, “मैं शपथ लेता हूं कि यह देश निश्चित रूप से एक ही कानून लाएगा और यह बहुत जल्द ही इसे लाएगा।”
यादव ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता, सती और जौहर जैसी प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया है और सवाल किया कि मुस्लिम समुदाय अभी भी कई पत्नियां रखने की प्रथा को क्यों अनुमति देता है।
उन्होंने कहा, "हम [हिंदू धर्म] अपने बच्चों को जन्म से ही सहिष्णुता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं...जब आप उनके सामने जानवरों का वध करेंगे तो आपका बच्चा सहिष्णुता और दया कैसे सीखेगा।"
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2021 में उन्होंने यह टिप्पणी करके राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं कि "वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ता है"। उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और गोरक्षा को "हिंदुओं का मौलिक अधिकार" घोषित करने का भी आह्वान किया था।
ये टिप्पणियां यूपी गोहत्या अधिनियम के तहत गायों की चोरी और तस्करी के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज करते हुए की गई थी।
उसी वर्ष, उन्होंने चुनाव आयोग को कोविड-19 के खतरे के कारण चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव स्थगित करने का "सुझाव" दिया था।