अल्पसंख्यक छात्रवृति में अरबों रुपये का घोटाला, 53% अभ्यर्थी मिले फर्जी, CBI को जांच

Written by Navnish Kumar | Published on: August 21, 2023
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना 2007-08 में शुरू की गई थी तब से लेकर अब तक हजारों करोड़ के घोटाले का आकलन है।



अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 34 राज्यों के 100 जिलों में छात्रवृत्ति की आंतरिक जांच कराई तो हजारों करोड़ के सबसे बड़े घोटाले की आहट से उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। जांच में बड़ी संख्या में फर्जी लाभार्थी, फर्जी संस्थान और फर्जी नामों से बैंक खाते सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान फर्जी पाए गए और लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं। मामला कथित तौर पर अल्पसंख्यक संस्थानों, राज्य प्रशासन और बैंकों में संस्थागत भ्रष्टाचार का है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मदरसों सहित 1572 अल्पसंख्यक संस्थानों की जांच में 830 फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल पाए गए जिनमें महज पिछले 5 साल में 145 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। मामले की जांच अब सीबीआई करेगी।

5 वर्ष में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला

दरअसल, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 10 जुलाई को सीबीआई में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। 34 राज्यों के 100 जिलों में मंत्रालय ने आंतरिक जांच कराई है जिनमें 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान फर्जी पाए गए हैं। लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं। पिछले सिर्फ 5 साल में मात्र 830 संस्थान में ही 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। हालांकि बाकी संस्थानों की भी जांच जारी है। अब तक जांचे गए मामलों में फर्जी लाभार्थियों द्वारा छात्रवृत्ति के वास्तविक लाभार्थियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने और खजाने को 145 करोड़ रुपये के नुकसान की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है। सूत्रों की मानें तो यह कई स्तरों पर संस्थागत भ्रष्टाचार है। संस्थान या तो गैर-मौजूद हैं या गैर-कार्यशील हैं, लेकिन राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत हैं।

इन 830 संस्थानों से जुड़े लाभार्थियों के खातों को फ्रीज करने का आदेश

1. छत्तीसगढ़ में 62 संस्थानों की जांच: सभी फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल
2. राजस्थान के 128 संस्थानों की जांच में 99 फर्जी/नॉन ऑपरेशनल।
3. असम 68 प्रतिशत फर्जी
4. कर्नाटक 64 प्रतिशत फर्जी
5. यूपी में 44 प्रतिशत तक फर्जी
6. बंगाल 39 प्रतिशत फर्जी

नोडल अधिकारी भी जांच के घेरे में

संस्थानों के नोडल अधिकारियों ने ओके रिपोर्ट कैसे दे दी, कैसे जिला नोडल अधिकारी ने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कितने राज्यों ने घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया आदि की जांच सीबीआई करेगी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के एक सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि बैंकों ने लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी। इसके साथ ही फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी की जांच भी चल रही है।

बता दें अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना 2007-08 में शुरू की गई थी तब से लेकर अब तक हजारों करोड़ के घोटाले का आकलन है। अल्पसंख्यक मंत्रालय एक लाख 80 संस्थानों को स्कॉलरशिप देता है जिसका फायदा कक्षा 1 से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को मिलता है।

घोटाले की बात सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सीबीआई के हाथ जांच देने की बात कही है। अब तक की जांच में फर्जी लाभार्थियों द्वारा छात्रवृत्ति के वास्तविक लाभार्थियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने तथा खजाने को 145 करोड़ रुपए के नुकसान की जांच के लिए मामला CBI को सौंपा है। सूत्रों के अनुसार, संस्थागत भ्रष्टाचार कई स्तरों पर हुआ है। जांच में पता चला कि संस्थान या तो गैर-मौजूद हैं या गैर-कार्यशील हैं। लेकिन, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली दोनों पर रजिस्टर्ड हैं।

सीबीआई को भेजे पत्र के मुताबिक, यह फर्जीवाड़ा सिर्फ वित्तीय लाभ पाने का मामला नहीं है, बल्कि छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के चलते इसमें सुरक्षा का खतरा भी है। मंत्रालय के मुताबिक, फर्जी बैंक खाते बनाकर उन विद्यार्थियों के नाम पर छात्रवृत्ति ली गई, जिनका अस्तित्व ही नहीं था। इतना ही नहीं, इन फर्जी नामों के केवाईसी और फर्जी हॉस्टल के बदले में भी पैसे लिए गए।

यूपी के 44 फीसदी संस्थान फर्जी

उत्तर प्रदेश में 44 फीसदी संस्थान फर्जी मिले हैं। सबसे अधिक 62 फीसदी फर्जी संस्थान छत्तीसगढ़ में हैं। राजस्थान के 128 संस्थानों की जांच में 99 फर्जी निकले। असम में 68 फीसदी, कर्नाटक में 64 फीसदी और बंगाल में 39 फीसदी जाली संस्थान निकले हैं। जबकि केरल में मलप्पुरम बैंक शाखा से 66 हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गईं। इसमें अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की पंजीकृत संख्या और मौजूदा संख्या का फर्जीवाड़ा है। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक कॉलेज में पंजीकृत विद्यार्थी 5,000 हैं जबकि छात्रवृत्ति 7,000 विद्यार्थियों को दी गई। नौवीं कक्षा में एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चों को छात्रवृत्ति दी गई। एक अन्य संस्थान में छात्रावास न होने के बाद भी हर विद्यार्थी ने छात्रवृत्ति ली। एक बालिका कॉलेज में लड़के के नाम से छात्रवृत्ति हड़प ली गई। अगले साल वह छात्र ही गायब हो गया। पंजाब में उन अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिल गई, जिनका स्कूल में नामांकन भी नहीं हुआ था।

यूपी : पांच और जिलों से जुड़े घोटाले के तार

छात्रवृत्ति घोटाले के तार यूपी के पांच और जिलों से जुड़ रहे हैं। अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां 30 से अधिक संस्थान जांच की जद में हैं। आशंका है कि जिस तरह से हाइजिया और अन्य संस्थानों ने करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़पी है, वही खेल इन संस्थानों में भी किया गया। सूत्रों के मुताबिक जिस अवधि में हाइजिया ग्रुप और अन्य ने घोटाला किया, उसी दौरान गोंडा, मेरठ, शाहजहांपुर, लखीमपुर और जौनपुर के संस्थानों में भी ऐसा ही खेल हुआ। एसआईटी को इसके सुराग मिले हैं। केंद्रीय एजेंसी ने तो तफ्तीश भी शुरू कर दी है। ईडी ने करीब 8 माह पहले खुलासा किया था कि हाइजिया ग्रुप समेत दस संस्थानों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति हड़पी। इसमें लखनऊ, हरदोई और फर्रुखाबाद के संस्थान शामिल हैं।

हजार करोड़ हो सकती है घोटाले की रकम

बता दें, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय पहली कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करती है। स्कॉलरशिप योजना वर्ष 2007-08 में शुरू किया गया था। मंत्रालय का मानना है, यह घोटाला तब ही से चल रहा है। अब तक करीब 22,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। बीते चार साल से सालाना 2,239 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियां दी गईं। अनुमान है कि मामले की पूरी जांच होने तक पूरा घोटाला करीब हजार करोड़ को पार कर जाएगा। मंत्रालय का अनुमान सही निकलता है, तो इसकी गिनती देश के सबसे बड़े घोटालों में होगी।

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