बांग्लादेश संकट पर ख़बरों के ज़रिए से ग़लत सांप्रदायिक सूचना फैलाने के लिए सीजेपी ने इंडियाटीवी की निंदा की और शिकायत भेजी

Written by CJP Team | Published on: August 23, 2024


शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इंडिया टीवी की पक्षपातपूर्ण चर्चा, जो पड़ोसी देशों और भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में हो सकती थी, को बदलकर ‘भारत में मुसलमानों के कब्जे’ के खिलाफ डर और चिंता फैलाने के लिए मोड़ दिया गया।

सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने 14 अगस्त 2024 को इंडिपेंडेंट न्यूज़ सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (इंडियाटीवी) के उसके न्यूज़ सेगमेंट “कॉफ़ी पर कुरुक्षेत्र: बांग्लादेशी हिंदुओं को कौन बचाएगा?” को लेकर शिकायत दर्ज की। इस सेगमेंट का प्रसारण इंडियाटीवी पर 7 अगस्त 2024 को हुआ था। यह सेगमेंट हाल में बांग्लादेश की घटनाओं पर आधारित था। हर कोई जानता है कि पड़ोसी देश की सत्ता में 5 अगस्त को अहम बदलाव हुए थे। इस क्रम में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया और देश छोड़ गईं और आर्मी चीफ़ वकर उज़्ज़मां ने कहा था कि अतंरिम सरकार देश के नेतृत्व करेगी। ये शिकायत दर्ज करने से पहले 9 अगस्त को नोबल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर कार्यभार संभाला और उन्होंने बांग्लादेश में शांति व्यवस्था बहाल करने के साथ साथ हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा का आह्वान किया।

हसीना के देश छोड़ने के तुरंत बाद उत्साही भीड़ ने झंडे लहराए और वे कैमरों के सामने जश्न मनाने लगी। राजधानी ढाका में सरकारी कार्यालयों और आवासों को घेरते हुए हज़ारों लोगों के वीडियो सोशल मीडिया पर आने लगे। लोगों को पूर्व पीएम हसीना के आधिकारिक आवास में घुसते और उनके घर से चीजें चुराते देखा जा सकता था जिसमें मछलियां, बर्तन, कपड़े आदि शामिल थे। हालांकि जश्न मनाने वाला ये प्रोटेस्ट उस वक़्त सबसे बुरा बन गया जब लोगों द्वारा ढाका में हसीना के पिता, स्वतंत्रता सेनानी शेख मुजीबुर रहमान की विशाल प्रतिमा को तोड़ने और सिर पर कुल्हाड़ी से हमला करने के वीडियो भी सामने आए। हसीना को सत्ता से बेदख़ल करने के बाद के दिनों में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की कई घटनाएं भी सामने आईं।

शिकायतकर्ता ने प्रसारक के पास वर्तमान शिकायत दर्ज कराई है कि जबकि बांग्लादेश में मौजूद अनिश्चित परिस्थितियाँ और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के इतिहास को देखते हुए हिंदुओं और ईसाईयों की सुरक्षा को लेकर लोगों में चिंता होना समझ में आता है, भारत में कुछ लोगों द्वारा प्रोपेगैंडा के माध्यम से झूठी घबराहट पैदा की जा रही है जो अराजकता को बढ़ावा दे रही है। यह महत्वपूर्ण है कि यह बताया जाए कि भले ही इंडिया टीवी के 'कॉफी पर कुरुक्षेत्र' शो का विषय बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर चर्चा करना था, चर्चा बार-बार भारत के मुसलमानों द्वारा हिंदुओं को समाप्त करने और भारत को एक इस्लामी राष्ट्र में बदलने की बात पर मुड़ गई। संक्षेप में, चर्चा जो कि पड़ोसी देशों और भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में हो सकती थी, उसे भारत में मुस्लिमों के कब्जे के खिलाफ भय और चिंता फैलाने में बदल दिया गया।

ये "चर्चा" जिसमें प्रदीप सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय और शांतिनु गुप्ता शामिल थे उन्होंने भारत में अशांति पैदा करने और भारत में मुस्लिम के क़ब्ज़े की नैरेटिव गढ़ने के लिए बांग्लादेश में होने वाली घटनाओं का दुरुपयोग किया। शो के मेजबान सौरभ शर्मा ने बार -बार "जिहादी" शब्द का इस्तेमाल बांग्लादेशी मुसलमानों को कथित तौर पर बताने के लिए किया और तथाकथित मुसलमानों की साजिश के सिद्धांतों को प्रोत्साहित किया था कि वे भारत की जनसांख्यिकी को बदलकर देश को क़ब्ज़ा करना और इसे इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हर मौक़े को सभी वक्ताओं और मेजबान द्वारा मुसलमानों के खिलाफ गलत धारणाओं को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया था। इसमें "गज़वा-ए-हिंद", "जिहाद", "मद्रासा", "शाहीन बाग" और "वक़्फ़ बोर्ड" के कथित एजेंडे के बारे में बात की गई।

शिकायतकर्ता ने कहा कि "उनका (पैनल) कहना था कि भारत के मुसलमान यह सुनिश्चित करने के लिए "जबरन धर्मान्तरण, आबादी में वृद्धि और अवैध प्रवास" के ज़रिए भारत की बहुसंख्यक आबादी बनना चाहते हैं ताकि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो। यह विडंबना है कि इस तरह की बातचीत एक ऐसे शो में हुई जिसमें दूसरे देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने पर चर्चा हो रही थी लेकिन इसमें भारत में मुस्लिम-विरोधी भावनाओं को फैलाया गया।”

इसके अलावा, शिकायत में इस बात को उजागर किया गया है कि वक्ताओं और होस्ट ने न केवल बांग्लादेश में हिंदुओं और ईसाइयों पर हमले के अहम मुद्दे को चुनिंदा तरीक़े से मोड़ा बल्कि उन्होंने बांग्लादेश के मुसलमानों द्वारा हिंदू समुदाय की रक्षा के लिए आगे आने के सभी प्रयासों को भी नज़रअंदाज़ कर दिया।

इस शिकायत में कहा गया है कि "इंडिया टीवी ने ऐसा किया जबकि उसने जानबूझकर उन शानदार उदाहरणों को नज़रअंदाज़ किया जब 5/6 और 9 अगस्त के बीच की उस महत्वपूर्ण अवधि में जब नई सरकार ने सत्ता संभाली थी उस दौरान आम और संगठित मुसलमानों ने बांग्लादेश में अलग-थलग पड़े असुरक्षित हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क़दम उठाया था। इतने व्यापक पहुंच वाले शो का संचालन करने वाले एक टेलीविज़न एंकर के लिए यह ख़ास तौर से उपयुक्त और ज़िम्मेदाराना रूख़ होता जो भारत में सीमाओं के पार और हमारे समुदायों के बीच सामाजिक संबंधों में स्थिति को बताता और यह तथ्य भी देता कि इस वास्तविकता को किसी भी तरह से राजनेताओं द्वारा कम नहीं किया जा सकता है जो ऐसे मौक़ों का इस्तेमाल दुर्भावना की आग को भड़काने के लिए करते हैं ऐसे में इंडियाटीवी जैसे टेलीविजन चैनल के लिए भी इस वास्तविकता को बताना उचित और ज़िम्मेदारी भरा होता।”

वक्ताओं द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर इस शिकायत में कहा गया है कि यह शो एक-तरफा शो की तरह दिखाई दिया जो कि बांग्लादेश के मुद्दे और भारत पर क़ब्ज़ा करने के भारतीय मुसलमानों के कथित एजेंडे और इसे इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए होस्ट के रुख़ या एक न्यूज़ रूम की बहस के बजाय एक धार्मिक/सांप्रदायिक बहस को बढ़ावा देता है। इस तरह यह शिकायत का मामला है कि ब्रॉडकास्टर्स न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग डिजिटल एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। साथ ही यह हमारे संवैधानिक सिद्धांतों का भी उल्लंघन करते हैं।

शिकायत की पूरी कॉपी यहां पढ़ी जा सकती है :


 

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