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शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार फिर जातिगत आरक्षण हटाने की माँग की है। गुरुवार को निजी यात्रा पर नागपुर पहुँचे स्वरूपानंद ने कहा कि देश में जातिगत आरक्षण की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “जाति के आधार पर किसी समुदाय का आरक्षण देने से वह समुदाय कमज़ोर बनता है।”
शंकराचार्य ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे ने देश को जकड़ लिया है। अब ये सोचना चाहिए कि इस समस्या से कैसे छुटकारा मिले। जब महाराष्ट्र में ब्राह्मण मुख्यमंत्री है तो मराठा समुदाय को अपने आरक्षण के लिए मुख्यमंत्री को निशाना नहीं बनाना चाहिए। मराठा आरक्षण की माँग तो वोटबैंक की राजनीति है। हरियाणा में जाटों ने आरक्षण के लिए आंदोलन किया है, राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन किया, गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन हुआ है। सभी जातियाँ एक दूसरे से लड़ रही हैं। प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि जातिगत आरक्षण बहुत बड़ी गलती साबित होगा।
राजनीतिक बयानबाजी के लिए चर्चित रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने एक ओर जातिगत आरक्षण हटाने की माँग की तो दूसरी ओर रामायण और महाभारत की पढ़ाई स्कूलों में कराने पर भी जोर दिया। स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, क्रिश्चियन स्कूलों में बाइबिल पढ़ाई जाती है, तो हिंदू स्कूलों में रामायण और महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जातीं।