BHU की परीक्षा में इस्लाम और कांग्रेस को लेकर पूछे गए सवालों पर विवाद

Written by sabrang india | Published on: December 23, 2025
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की सेमेस्टर परीक्षाओं में पूछे गए कुछ सवाल इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस्लाम और कांग्रेस की स्थापना से जुड़े प्रश्नों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।



BHU की सेमेस्टर परीक्षाओं में पूछे गए कुछ प्रश्नों को लेकर विवाद सामने आया है। एमए और बीए की परीक्षाओं में इस्लाम और कांग्रेस की स्थापना से संबंधित सवाल शामिल किए जाने पर आपत्तियां जताई जा रही हैं। परीक्षा प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है।

एमए इतिहास प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में प्रश्न संख्या 5 के तहत इस्लामिक दर्शन में शांति की अवधारणा का विश्लेषण करने को कहा गया था। कुछ आलोचकों का मानना है कि इस्लाम व्यवहार में दुनिया का सबसे हिंसक धर्म है, जबकि प्रश्नपत्र में छात्रों से इतिहास से उपयुक्त उदाहरणों के साथ इस कथन के समर्थन या विरोध में लिखने को कहा गया।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में बीएचयू के बीए ऑनर्स पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा में भी एक प्रश्न पूछा गया था कि क्या कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजी प्रशासन के लिए अत्यंत हितकारी घटना मानी जा सकती है। छात्रों से इस पर सहमति या असहमति व्यक्त करते हुए तर्कसंगत उत्तर देने को कहा गया।

शोधार्थियों की प्रतिक्रिया

शोधार्थी और पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष राणा रोहित ने कहा कि कांग्रेस ने पूरे स्वतंत्रता आंदोलन को पवित्र भावना के साथ लड़ा और देश को आज़ादी दिलाई। उन्होंने कहा कि इस पार्टी के अध्यक्ष और नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और इसके संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय जैसे व्यक्तित्व रहे हैं। ऐसे में प्रश्नपत्र में कांग्रेस की स्थापना को नकारात्मक संदर्भ में रखना ब्रिटिश सोच जैसा प्रतीत होता है।

छात्रों की दूसरी राय

वहीं, एक अन्य छात्र ने BHU पाठशाला नामक फेसबुक अकाउंट से प्रश्नपत्र साझा करते हुए लिखा कि सभी परीक्षाएं अब तक अच्छी जा रही हैं और प्रश्नपत्र पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। पोस्ट में कहा गया कि प्रश्न संख्या पांच से विषय की गहराई का पता चलता है और यह प्रश्न वर्तमान समय के संदर्भ में भी प्रासंगिक है। छात्र के अनुसार, प्रश्न जितनी गंभीरता से पूछा गया, उतनी ही गंभीरता से उसका उत्तर लिखा गया।

पहले भी हो चुका है विवाद

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय विवादों में घिरा था। उस समय इतिहास और राजनीतिक विज्ञान की परीक्षाओं में ट्रिपल तलाक, हलाला और अलाउद्दीन खिलजी से जुड़े सवालों को लेकर विवाद खड़ा हुआ था।

इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एमए इतिहास के एक प्रश्नपत्र में छात्रों से ट्रिपल तलाक और हलाला को “इस्लाम में सामाजिक बुराई” के रूप में चर्चा करने को कहा गया था। प्रश्न था: इस्लाम में सामाजिक बुराई के रूप में तीन तलाक और हलाला पर चर्चा करें।

इसके अलावा, राजनीतिक विज्ञान के प्रश्नपत्र में यह भी पूछा गया था कि हाल ही में लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (GST) कौटिल्य के अर्थशास्त्र का हिस्सा था।

इतिहास के एक अन्य प्रश्न में छात्रों से रानी पद्मावती पर अपने विचार व्यक्त करने को कहा गया था, जिन पर संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती आधारित थी और जो उस समय विवादों में घिरी रही।

प्रश्न था: जौहर प्रथा से आप क्या समझते हैं? अलाउद्दीन खिलजी के काल में रानी पद्मावती के जौहर का वर्णन करें।

वैकल्पिक प्रश्न था: सल्तनत काल में मुस्लिम महिलाओं की स्थिति का वर्णन करें।

कुछ छात्रों ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षा के माध्यम से एक विशेष विचारधारा थोपने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों से असहमति जताई थी।

BHU के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव ने ANI से कहा था, “अगर छात्रों को इन विषयों के बारे में पढ़ाया और पूछा नहीं जाएगा, तो उन्हें इनके बारे में जानकारी कैसे मिलेगी? मध्यकालीन इतिहास पढ़ाते समय ये विषय स्वाभाविक रूप से उसका हिस्सा बन जाते हैं।”

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