हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की और कहा कि यह बयान बिहार चुनाव को ध्रुवीकृत करने के उद्देश्य से दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसके बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की और कहा कि यह बयान बिहार चुनाव को ध्रुवीकृत करने के उद्देश्य से दिया गया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सामान खरीदते समय एक चीज जरूर देखिए — क्या उसमें हलाल सर्टिफिकेशन तो नहीं लिखा हुआ है? यानी हर वस्तु में हलाल सर्टिफिकेशन। हमने यूपी में इसे बैन किया है। मुझे लगता है कि यूपी में कोई उसे खरीदने या बेचने का दुस्साहस नहीं करेगा। लेकिन आप आश्चर्य करेंगे कि साबुन का भी हलाल, कपड़ों का भी हलाल।”
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जब कार्रवाई शुरू की गई, तो पता चला कि देश में हलाल सर्टिफिकेशन से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। न तो भारत सरकार और न ही किसी राज्य सरकार की कोई एजेंसी इसे मान्यता देती है। “यह पूरा पैसा आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे गलत कामों में इस्तेमाल होता है,” उन्होंने आरोप लगाया।
सीएम योगी ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश ने इसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है। “हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर भारत के ग्राहकों का शोषण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कोई सामान खरीदते समय यह जरूर देखिए कि जीएसटी हमें देना है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस प्रभु राम और कृष्ण को नकारती थी। कांग्रेस ने अदालत में हलफनामा देकर कहा था कि भगवान राम और कृष्ण मिथक हैं। सपा ने निर्ममता के साथ राम भक्तों पर गोलियां चलाई थीं। आज दुनिया अयोध्या में आकर प्रभु श्रीराम के दर्शन कर अभिभूत हो रही है। पिछले साल 6 करोड़ लोगों ने अयोध्या में प्रभु राम का दर्शन किया। प्रयागराज में महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक लोग साक्षी बने। सपा और कांग्रेस के लोग इसमें शुरू से ही खोट निकाल रहे थे।”
विपक्षी पार्टियों ने बयान की आलोचना की
विपक्षी नेताओं ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और आर्थिक व रोजगार के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने द हिंदू से कहा, “जब राज्य सरकार पहले ही ऐसे उत्पादों पर प्रतिबंध लगा चुकी है, तो मुख्यमंत्री इस पर बयान क्यों दे रहे हैं? असली मकसद बिहार चुनाव है। भाजपा ने योगी जी को राजनीतिक लाभ के लिए समाज का ध्रुवीकरण करने का काम सौंपा है। मेरा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए क्या कर रही है? हमारे राज्य में कितना निवेश आ रहा है — यही उत्तर प्रदेश के असली सवाल हैं। मुख्यमंत्री ऐसे बयानों के जरिए आर्थिक और रोजगार के मुद्दों से ध्यान भटका रहे हैं।”
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने कहा कि मुख्यमंत्री राजनीतिक कारणों से एक सुलझे हुए मुद्दे को फिर से उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लगभग दो साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने लिया था। मुख्यमंत्री राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को फिर से सामने ला रहे हैं और हिंदू-मुस्लिम का भेद पैदा कर रहे हैं। अब इस मुद्दे को उठाने का कोई मतलब नहीं है।”
ज्ञात हो कि नवंबर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर रोक लगा दी थी, जबकि निर्यात के लिए निर्मित उत्पादों को छूट दी गई थी।
टीवी9 भारतवर्ष के अनुसार, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “जिन लोगों ने हलाल सर्टिफिकेट देने का सिलसिला शुरू किया है, वे शरियत की रोशनी में सरासर गलत हैं। मजहब की आड़ में पैसा कमाया जा रहा है।” मौलाना ने आगे कहा कि “मुख्यमंत्री की इस बात से मैं सहमत नहीं हूं कि इस पैसे को आतंकवाद के लिए खर्च किया जा रहा है।”
हलाल सर्टिफिकेट क्या है?
जब किसी खाने या प्रोडक्ट को हलाल सर्टिफिकेट मिलता है, तो इसका मतलब है कि उसे बनाने में कोई ऐसी चीज इस्तेमाल नहीं हुई जो इस्लाम में हराम है। अगर बात मांस की हो, तो हलाल सर्टिफिकेशन तब मिलता है जब जानवर को इस्लामिक तरीके से काटा गया हो।
भारत में जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट नाम की संस्था यह सर्टिफिकेशन देती है। ये संस्था जांचती है कि कोई प्रोडक्ट इस्लामिक नियमों के हिसाब से बना है या नहीं — जिसमें उत्पादन की प्रक्रिया, इस्तेमाल की गई सामग्री और पैकेजिंग सभी की जांच की जाती है।
‘हलाल’ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘वैध’ या ‘जायज’। यह इस्लामी कानून के तहत मुसलमानों के लिए स्वीकार्य जीवनशैली को दर्शाता है। हलाल सर्टिफिकेशन का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी उत्पाद की निर्माण प्रक्रिया इस्लामिक विधियों और मानकों के अनुरूप हो।
भारत में हलाल सर्टिफिकेशन अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है — यानी खाद्य निर्माता को इसे लेना आवश्यक नहीं है। भारत में हलाल सर्टिफिकेशन को सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानक के रूप में नियंत्रित नहीं किया गया है, बल्कि कई निजी और इस्लामी संगठन प्रमाणपत्र जारी करते हैं।
उत्तर प्रदेश में किसी भी सामान पर हलाल सर्टिफिकेशन लिखने पर प्रतिबंध है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसके बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की और कहा कि यह बयान बिहार चुनाव को ध्रुवीकृत करने के उद्देश्य से दिया गया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सामान खरीदते समय एक चीज जरूर देखिए — क्या उसमें हलाल सर्टिफिकेशन तो नहीं लिखा हुआ है? यानी हर वस्तु में हलाल सर्टिफिकेशन। हमने यूपी में इसे बैन किया है। मुझे लगता है कि यूपी में कोई उसे खरीदने या बेचने का दुस्साहस नहीं करेगा। लेकिन आप आश्चर्य करेंगे कि साबुन का भी हलाल, कपड़ों का भी हलाल।”
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जब कार्रवाई शुरू की गई, तो पता चला कि देश में हलाल सर्टिफिकेशन से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। न तो भारत सरकार और न ही किसी राज्य सरकार की कोई एजेंसी इसे मान्यता देती है। “यह पूरा पैसा आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे गलत कामों में इस्तेमाल होता है,” उन्होंने आरोप लगाया।
सीएम योगी ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश ने इसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है। “हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर भारत के ग्राहकों का शोषण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कोई सामान खरीदते समय यह जरूर देखिए कि जीएसटी हमें देना है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस प्रभु राम और कृष्ण को नकारती थी। कांग्रेस ने अदालत में हलफनामा देकर कहा था कि भगवान राम और कृष्ण मिथक हैं। सपा ने निर्ममता के साथ राम भक्तों पर गोलियां चलाई थीं। आज दुनिया अयोध्या में आकर प्रभु श्रीराम के दर्शन कर अभिभूत हो रही है। पिछले साल 6 करोड़ लोगों ने अयोध्या में प्रभु राम का दर्शन किया। प्रयागराज में महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक लोग साक्षी बने। सपा और कांग्रेस के लोग इसमें शुरू से ही खोट निकाल रहे थे।”
विपक्षी पार्टियों ने बयान की आलोचना की
विपक्षी नेताओं ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और आर्थिक व रोजगार के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने द हिंदू से कहा, “जब राज्य सरकार पहले ही ऐसे उत्पादों पर प्रतिबंध लगा चुकी है, तो मुख्यमंत्री इस पर बयान क्यों दे रहे हैं? असली मकसद बिहार चुनाव है। भाजपा ने योगी जी को राजनीतिक लाभ के लिए समाज का ध्रुवीकरण करने का काम सौंपा है। मेरा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए क्या कर रही है? हमारे राज्य में कितना निवेश आ रहा है — यही उत्तर प्रदेश के असली सवाल हैं। मुख्यमंत्री ऐसे बयानों के जरिए आर्थिक और रोजगार के मुद्दों से ध्यान भटका रहे हैं।”
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने कहा कि मुख्यमंत्री राजनीतिक कारणों से एक सुलझे हुए मुद्दे को फिर से उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लगभग दो साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने लिया था। मुख्यमंत्री राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को फिर से सामने ला रहे हैं और हिंदू-मुस्लिम का भेद पैदा कर रहे हैं। अब इस मुद्दे को उठाने का कोई मतलब नहीं है।”
ज्ञात हो कि नवंबर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर रोक लगा दी थी, जबकि निर्यात के लिए निर्मित उत्पादों को छूट दी गई थी।
टीवी9 भारतवर्ष के अनुसार, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “जिन लोगों ने हलाल सर्टिफिकेट देने का सिलसिला शुरू किया है, वे शरियत की रोशनी में सरासर गलत हैं। मजहब की आड़ में पैसा कमाया जा रहा है।” मौलाना ने आगे कहा कि “मुख्यमंत्री की इस बात से मैं सहमत नहीं हूं कि इस पैसे को आतंकवाद के लिए खर्च किया जा रहा है।”
हलाल सर्टिफिकेट क्या है?
जब किसी खाने या प्रोडक्ट को हलाल सर्टिफिकेट मिलता है, तो इसका मतलब है कि उसे बनाने में कोई ऐसी चीज इस्तेमाल नहीं हुई जो इस्लाम में हराम है। अगर बात मांस की हो, तो हलाल सर्टिफिकेशन तब मिलता है जब जानवर को इस्लामिक तरीके से काटा गया हो।
भारत में जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट नाम की संस्था यह सर्टिफिकेशन देती है। ये संस्था जांचती है कि कोई प्रोडक्ट इस्लामिक नियमों के हिसाब से बना है या नहीं — जिसमें उत्पादन की प्रक्रिया, इस्तेमाल की गई सामग्री और पैकेजिंग सभी की जांच की जाती है।
‘हलाल’ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘वैध’ या ‘जायज’। यह इस्लामी कानून के तहत मुसलमानों के लिए स्वीकार्य जीवनशैली को दर्शाता है। हलाल सर्टिफिकेशन का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी उत्पाद की निर्माण प्रक्रिया इस्लामिक विधियों और मानकों के अनुरूप हो।
भारत में हलाल सर्टिफिकेशन अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है — यानी खाद्य निर्माता को इसे लेना आवश्यक नहीं है। भारत में हलाल सर्टिफिकेशन को सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानक के रूप में नियंत्रित नहीं किया गया है, बल्कि कई निजी और इस्लामी संगठन प्रमाणपत्र जारी करते हैं।
उत्तर प्रदेश में किसी भी सामान पर हलाल सर्टिफिकेशन लिखने पर प्रतिबंध है।
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