परिवार का आरोप है कि प्रिंसिपल रवींद्र ने बच्चे के चेहरे पर अपना जूता रखा, जबकि शिक्षक राकेश सैनी लगातार उसे पीटते रहे।

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के झबरेड़ा गांव के एक सरकारी स्कूल में सात वर्षीय मुस्लिम छात्र को शिक्षकों ने कथित रूप से केवल एक दिन अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा।
बच्चे के पिता की शिकायत के अनुसार, जब वह अनुपस्थित रहने के अगले दिन स्कूल लौटा, तो शिक्षक राकेश सैनी और प्रिंसिपल रवींद्र ने उसे गंभीर रूप से पीटा। इस दौरान उसका हाथ टूट गया और शरीर पर कई चोटें आईं।
परिवार का आरोप है कि प्रिंसिपल रवींद्र ने बच्चे के चेहरे पर अपना जूता रखा, जबकि शिक्षक राकेश सैनी लगातार उसे पीटते रहे।
परिजनों द्वारा साझा की गई तस्वीरों में बच्चे के शरीर पर कई चोटों के निशान साफ़ दिखाई देते हैं।
शिकायत दर्ज होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने 11 सितंबर, 2025 को किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
झबरेड़ा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने कहा, “आगे की जांच और उचित कानूनी कार्रवाई जारी है।”
बच्चे के पिता का बयान
मकतूब से बातचीत में बच्चे के पिता ने बताया, “दोनों शिक्षकों ने स्कूल न आने के कारण उसकी पिटाई की, जिससे उसकी एक कोहनी टूट गई। अभी उसका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।”
मानवाधिकार संगठनों में शिकायत
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सलाहकार मोहम्मद सद्दाम मुजीब ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
मुजीब ने कहा, “यह बाल अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा खतरे में है। राज्य में किसी भी छात्र के साथ ऐसा हो सकता है, इसलिए जवाबदेही तय करना ज़रूरी है।”
पिछले मामले
याद दिला दें कि 2023 में भी मुस्लिम छात्र के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षिका ने छात्रों को अपने सात वर्षीय मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के लिए उकसाया और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 को इस घटना के लिए सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने राज्य के वकील से कहा था, “यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राज्य ने वह नहीं किया जो उससे अपेक्षित था। जिस तरह से यह घटना घटी, उसे लेकर राज्य को गहरी चिंता करनी चाहिए।”
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उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के झबरेड़ा गांव के एक सरकारी स्कूल में सात वर्षीय मुस्लिम छात्र को शिक्षकों ने कथित रूप से केवल एक दिन अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा।
बच्चे के पिता की शिकायत के अनुसार, जब वह अनुपस्थित रहने के अगले दिन स्कूल लौटा, तो शिक्षक राकेश सैनी और प्रिंसिपल रवींद्र ने उसे गंभीर रूप से पीटा। इस दौरान उसका हाथ टूट गया और शरीर पर कई चोटें आईं।
परिवार का आरोप है कि प्रिंसिपल रवींद्र ने बच्चे के चेहरे पर अपना जूता रखा, जबकि शिक्षक राकेश सैनी लगातार उसे पीटते रहे।
परिजनों द्वारा साझा की गई तस्वीरों में बच्चे के शरीर पर कई चोटों के निशान साफ़ दिखाई देते हैं।
शिकायत दर्ज होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने 11 सितंबर, 2025 को किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
झबरेड़ा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने कहा, “आगे की जांच और उचित कानूनी कार्रवाई जारी है।”
बच्चे के पिता का बयान
मकतूब से बातचीत में बच्चे के पिता ने बताया, “दोनों शिक्षकों ने स्कूल न आने के कारण उसकी पिटाई की, जिससे उसकी एक कोहनी टूट गई। अभी उसका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।”
मानवाधिकार संगठनों में शिकायत
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सलाहकार मोहम्मद सद्दाम मुजीब ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
मुजीब ने कहा, “यह बाल अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा खतरे में है। राज्य में किसी भी छात्र के साथ ऐसा हो सकता है, इसलिए जवाबदेही तय करना ज़रूरी है।”
पिछले मामले
याद दिला दें कि 2023 में भी मुस्लिम छात्र के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षिका ने छात्रों को अपने सात वर्षीय मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के लिए उकसाया और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 को इस घटना के लिए सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने राज्य के वकील से कहा था, “यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राज्य ने वह नहीं किया जो उससे अपेक्षित था। जिस तरह से यह घटना घटी, उसे लेकर राज्य को गहरी चिंता करनी चाहिए।”
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