इस साल की पहली तिमाही में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को अब तक 7,698 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से संबंधित हैं।

फोटो साभार : एनसीडब्ल्यू
राष्ट्रीय महिला आयोग में इस वर्ष अब तक 7,698 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें सबसे अधिक शिकायतें घरेलू हिंसा, मारपीट और आपराधिक धमकी से जुड़ी हैं।
पीटीआई के हवाले से द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। साल की शुरुआत से अब तक ऐसे 1,594 मामले दर्ज हुए हैं।
जनवरी में 367, फरवरी में 390, मार्च में 513, अप्रैल में 322 और मई में दो शिकायतें सामने आईं।
घरेलू हिंसा के बाद सबसे ज्यादा शिकायतें—989 मामले—आपराधिक धमकी से जुड़ी रहीं। इनमें जनवरी में 268, फरवरी में 260, मार्च में 288, अप्रैल में 170 और मई में तीन शिकायतें दर्ज हुईं।
मारपीट से जुड़ी शिकायतें तीसरे स्थान पर रहीं, जिनकी संख्या 950 रही। इनमें जनवरी में 249, फरवरी में 239, मार्च में 278, अप्रैल में 183 और मई में एक मामला दर्ज हुआ।
इसके अलावा, दहेज प्रताड़ना के 916, बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के 394 और छेड़छाड़ या महिलाओं की गरिमा भंग करने से जुड़े 310 मामले दर्ज किए गए।
यौन उत्पीड़न की 302 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि साइबर अपराधों से संबंधित 110 मामले सामने आए। इसके अलावा विवाह, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और पीछा करने जैसी श्रेणियों में भी कुछ शिकायतें मिलीं, हालांकि इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से
राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक, यानी पहली तिमाही में कुल 3,921 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें जनवरी में 952, फरवरी में 841, मार्च में 957, अप्रैल में 1,087 और मई में 84 शिकायतें शामिल हैं।
यह आंकड़ा देशभर में दर्ज कुल शिकायतों का 50 प्रतिशत से अधिक है।
उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली में सबसे अधिक 688 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें जनवरी में 146, फरवरी में 172, मार्च में 184, अप्रैल में 183 और मई में तीन शिकायतें शामिल हैं। वहीं, महाराष्ट्र से 473, मध्य प्रदेश से 351, बिहार से 342 और हरियाणा से 306 शिकायतें सामने आईं।
अधिकारियों का कहना है कि शिकायतों की संख्या में वृद्धि यह भी दर्शा सकती है कि महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक हैं और सहायता के साधनों तक उनकी पहुंच बेहतर हुई है।
पहली तिमाही में आयोग को सबसे अधिक, यानी 2,123 शिकायतें अप्रैल माह में प्राप्त हुईं।
इस दौरान 881 शिकायतें ऐसी थीं जो किसी निर्धारित श्रेणी में नहीं आतीं।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष आयोग के पोर्टल पर कुल 25,743 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें ‘सम्मान से जीने का अधिकार’, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना प्रमुख शिकायतों में शामिल थीं।
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राष्ट्रीय महिला आयोग में इस वर्ष अब तक 7,698 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें सबसे अधिक शिकायतें घरेलू हिंसा, मारपीट और आपराधिक धमकी से जुड़ी हैं।
पीटीआई के हवाले से द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। साल की शुरुआत से अब तक ऐसे 1,594 मामले दर्ज हुए हैं।
जनवरी में 367, फरवरी में 390, मार्च में 513, अप्रैल में 322 और मई में दो शिकायतें सामने आईं।
घरेलू हिंसा के बाद सबसे ज्यादा शिकायतें—989 मामले—आपराधिक धमकी से जुड़ी रहीं। इनमें जनवरी में 268, फरवरी में 260, मार्च में 288, अप्रैल में 170 और मई में तीन शिकायतें दर्ज हुईं।
मारपीट से जुड़ी शिकायतें तीसरे स्थान पर रहीं, जिनकी संख्या 950 रही। इनमें जनवरी में 249, फरवरी में 239, मार्च में 278, अप्रैल में 183 और मई में एक मामला दर्ज हुआ।
इसके अलावा, दहेज प्रताड़ना के 916, बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के 394 और छेड़छाड़ या महिलाओं की गरिमा भंग करने से जुड़े 310 मामले दर्ज किए गए।
यौन उत्पीड़न की 302 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि साइबर अपराधों से संबंधित 110 मामले सामने आए। इसके अलावा विवाह, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और पीछा करने जैसी श्रेणियों में भी कुछ शिकायतें मिलीं, हालांकि इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से
राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक, यानी पहली तिमाही में कुल 3,921 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें जनवरी में 952, फरवरी में 841, मार्च में 957, अप्रैल में 1,087 और मई में 84 शिकायतें शामिल हैं।
यह आंकड़ा देशभर में दर्ज कुल शिकायतों का 50 प्रतिशत से अधिक है।
उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली में सबसे अधिक 688 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें जनवरी में 146, फरवरी में 172, मार्च में 184, अप्रैल में 183 और मई में तीन शिकायतें शामिल हैं। वहीं, महाराष्ट्र से 473, मध्य प्रदेश से 351, बिहार से 342 और हरियाणा से 306 शिकायतें सामने आईं।
अधिकारियों का कहना है कि शिकायतों की संख्या में वृद्धि यह भी दर्शा सकती है कि महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक हैं और सहायता के साधनों तक उनकी पहुंच बेहतर हुई है।
पहली तिमाही में आयोग को सबसे अधिक, यानी 2,123 शिकायतें अप्रैल माह में प्राप्त हुईं।
इस दौरान 881 शिकायतें ऐसी थीं जो किसी निर्धारित श्रेणी में नहीं आतीं।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष आयोग के पोर्टल पर कुल 25,743 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें ‘सम्मान से जीने का अधिकार’, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना प्रमुख शिकायतों में शामिल थीं।
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