इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह शोक दिवस चुराचंदपुर जिले के तुइबुओंग स्थित 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' पर मनाया जाएगा,

मणिपुर में कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले आदिवासी संगठन आईटीएलएफ ने 3 मई को 'पृथकता दिवस' के रूप में मनाने की अपील की है। यह दिन मेइतेई समुदाय से 'दो वर्षों के पूर्ण अलगाव' की याद में समर्पित रहेगा।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार,इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह शोक दिवस चुराचंदपुर जिले के तुइबुओंग स्थित 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' पर मनाया जाएगा, जो 3 मई 2023 को शुरू हुए जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी-जो लोगों की याद में बनाया गया है। यह दीवार सामूहिक दुःख, सहनशक्ति और एकता का प्रतीक है।
आईटीएलएफ ने कहा, "यह कार्यक्रम उस जातीय संघर्ष के पीड़ितों की स्मृति और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन होगा, जिसने कुकी-जो समुदाय को गहराई से प्रभावित किया है। इस मौके पर प्रार्थनाएं, पीड़ितों व उनके परिवारों के लिए संदेश, एक मुख्य भाषण, संगठन की रिपोर्टें और विभिन्न आदिवासी नेताओं के संबोधन में शामिल होंगे।"
शोक समारोह 'जांगनाडोपना'
इस आयोजन का एक अहम हिस्सा 'जांगनाडोपना' समारोह होगा जो कुकी-जो और मैतेई समुदायों के बीच हुए संघर्ष में मारे गए लोगों के सम्मान में एक पारंपरिक शोक अनुष्ठान है।
आईटीएलएफ ने कहा कि, "इस दिन किसी तरह का बंद नहीं होगा, लेकिन कार्यक्रम की गरिमा और सुचारू संचालन के लिए वॉल ऑफ रिमेंबरेंस के आसपास आवाजाही पर रोक रहेगा।" संगठन ने समुदाय के सभी वर्गों से इस आयोजन में शामिल होने की अपील की है।
ज्ञात हो कि इस संघर्ष में मई 2023 से अब तक मणिपुर में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। हालांकि 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में स्थिति शांत रही है, लेकिन कुकी-जो और मैतेई समुदाय एक-दूसरे के इलाकों में जाने से बच रहे हैं या उन्हें प्रतिबंधित किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि मणिपुर शांत है और कुकी व मैतेई समुदायों के बीच संवाद शुरू हो चुका है। हालांकि, आईटीएलएफ का यह आयोजन दर्शाता है कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली का रास्ता अभी लंबा है।
'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस'
'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' को कुकी-जो समुदाय ने अपने उन सदस्यों की याद में बनाया है जो 3 मई, 2023 को मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में मारे गए। यह हिंसा ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा आयोजित 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान शुरू हुई थी जो मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में निकाली गई थी। इस संघर्ष में 250 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, वहीं हजारों लोग घायल हुए जबकि करीब 60,000 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए।
यह वॉल चुराचांदपुर के तुइबुओंग में स्थित है। यह एक ऐसा स्थान जहां लोग अपने करीबीयों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लोग यहां मृतकों की याद में प्रार्थना करने और शांति की कामना करने आते हैं। यह लॉल न केवल शोक का प्रतीक है, बल्कि कुकी-जो समुदाय की एकजुटता और उनके संघर्ष को भी दर्शाता है।
इस संघर्ष ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया जिसके नतीजे में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ। चुराचांदपुर कुकी-जो समुदाय का गढ़ है जो इस हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक क्षेत्र रहा। 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' इस दुखद समय की याद दिलाता है और समुदाय के लिए एक भावनात्मक स्थान है।

मणिपुर में कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले आदिवासी संगठन आईटीएलएफ ने 3 मई को 'पृथकता दिवस' के रूप में मनाने की अपील की है। यह दिन मेइतेई समुदाय से 'दो वर्षों के पूर्ण अलगाव' की याद में समर्पित रहेगा।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार,इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह शोक दिवस चुराचंदपुर जिले के तुइबुओंग स्थित 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' पर मनाया जाएगा, जो 3 मई 2023 को शुरू हुए जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी-जो लोगों की याद में बनाया गया है। यह दीवार सामूहिक दुःख, सहनशक्ति और एकता का प्रतीक है।
आईटीएलएफ ने कहा, "यह कार्यक्रम उस जातीय संघर्ष के पीड़ितों की स्मृति और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन होगा, जिसने कुकी-जो समुदाय को गहराई से प्रभावित किया है। इस मौके पर प्रार्थनाएं, पीड़ितों व उनके परिवारों के लिए संदेश, एक मुख्य भाषण, संगठन की रिपोर्टें और विभिन्न आदिवासी नेताओं के संबोधन में शामिल होंगे।"
शोक समारोह 'जांगनाडोपना'
इस आयोजन का एक अहम हिस्सा 'जांगनाडोपना' समारोह होगा जो कुकी-जो और मैतेई समुदायों के बीच हुए संघर्ष में मारे गए लोगों के सम्मान में एक पारंपरिक शोक अनुष्ठान है।
आईटीएलएफ ने कहा कि, "इस दिन किसी तरह का बंद नहीं होगा, लेकिन कार्यक्रम की गरिमा और सुचारू संचालन के लिए वॉल ऑफ रिमेंबरेंस के आसपास आवाजाही पर रोक रहेगा।" संगठन ने समुदाय के सभी वर्गों से इस आयोजन में शामिल होने की अपील की है।
ज्ञात हो कि इस संघर्ष में मई 2023 से अब तक मणिपुर में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। हालांकि 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में स्थिति शांत रही है, लेकिन कुकी-जो और मैतेई समुदाय एक-दूसरे के इलाकों में जाने से बच रहे हैं या उन्हें प्रतिबंधित किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि मणिपुर शांत है और कुकी व मैतेई समुदायों के बीच संवाद शुरू हो चुका है। हालांकि, आईटीएलएफ का यह आयोजन दर्शाता है कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली का रास्ता अभी लंबा है।
'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस'
'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' को कुकी-जो समुदाय ने अपने उन सदस्यों की याद में बनाया है जो 3 मई, 2023 को मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में मारे गए। यह हिंसा ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा आयोजित 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान शुरू हुई थी जो मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में निकाली गई थी। इस संघर्ष में 250 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, वहीं हजारों लोग घायल हुए जबकि करीब 60,000 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए।
यह वॉल चुराचांदपुर के तुइबुओंग में स्थित है। यह एक ऐसा स्थान जहां लोग अपने करीबीयों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लोग यहां मृतकों की याद में प्रार्थना करने और शांति की कामना करने आते हैं। यह लॉल न केवल शोक का प्रतीक है, बल्कि कुकी-जो समुदाय की एकजुटता और उनके संघर्ष को भी दर्शाता है।
इस संघर्ष ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया जिसके नतीजे में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ। चुराचांदपुर कुकी-जो समुदाय का गढ़ है जो इस हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक क्षेत्र रहा। 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' इस दुखद समय की याद दिलाता है और समुदाय के लिए एक भावनात्मक स्थान है।