यूनेस्को ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा की

Written by sabrang india | Published on: January 28, 2025
यूनेस्को महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की दुखद हत्या की निंदा की। उन्होंने अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए गहन जांच की मांग की। शव के पोस्टमार्टम में सिर में फ्रैक्चर और गर्दन में फ्रैक्चर सहित कई गहरे चोट के निशान पाए गए हैं। वहीं एसआईटी ने खुलासा किया है कि मुख्य संदिग्ध ने बैंक से बड़ी रकम निकाली थी। चंद्राकर का अस्थि कलश जमीन पर बिखरा हुआ पाया गया था। छत्तीसगढ़ के सीएम ने परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की।



यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने 1 जनवरी, 2025 को छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की दुखद हत्या की कड़ी निंदा की। अपने बयान में अज़ोले ने गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने समाज को गलत कामों के बारे में जानकारी देने में खोजी पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सच्चाई और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए काम करते समय पत्रकारों के सामने आने वाले चुनौतियों को उजागर किया।

अज़ोले ने चंद्राकर की मौत की “पारदर्शी जांच” की मांग की और अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए। उन्होंने कहा, “खोजी पत्रकार समाज को गलत कामों के बारे में बताने के लिए काफी जोखिम उठाते हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा लोगों को सार्वजनिक हित की रक्षा करने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण है।”

“मैं मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा करती हूं और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए पूरी तरह से और पारदर्शी जांच की मांग करती हूं। खोजी पत्रकार समाज को गलत कामों के बारे में बताने के लिए काफी जोखिम उठाते हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा लोगों को सार्वजनिक हित की रक्षा करने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण है।”
  • ऑड्रे अज़ोले, यूनेस्को महानिदेशक

कौन हैं मुकेश चंद्राकर?

छत्तीसगढ़ के 32 वर्षीय खोजी पत्रकार मुकेश चंद्राकर 3 जनवरी, 2025 को बीजापुर में एक सेप्टिक टैंक में मृत पाए गए। वे इस साल की पहली तारीख से लापता थे। सड़क निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और बस्तर क्षेत्र में माओवादी संघर्ष पर अपनी निडर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाने वाले मुकेश की दुखद मौत का संबंध भ्रष्टाचार के एक घोटाले के उजागर होने से माना जा रहा है। उनका शव सड़क परियोजनाओं से जुड़े एक ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में नया बनाए गए कंक्रीट स्लैब के नीचे मिला था।

मुकेश की ख्याति पत्रकारिता के उनके अनूठे रास्ते से शुरू हुई। महुआ शराब बेचने और मैकेनिक के रूप में काम करने से लेकर लोकप्रिय यूट्यूब चैनल 'बस्तर जंक्शन' से उनकी प्रसिद्धी हुई। इस चैनल करीब 1.66 लाख सब्सक्राइबर हो गए थे। खराब रखरखाव वाली सड़कों, खासकर बीजापुर में उनकी रिपोर्ट को लेकर आधिकारिक जांच की गई। उनके चचेरे भाई, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने कथित तौर पर मुकेश की रिपोर्टिंग से नाराज होकर हत्या की साजिश रची। मुकेश के भाई युकेश ने चैनल पर एक दिल को छू लेने वाले वीडियो में खुलासा किया कि मुकेश को उनकी मौत से पहले धमकियां मिल रही थीं।

छत्तीसगढ़ के बस्तर में पत्रकार और यूट्यूबर मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य संदिग्ध सुरेश चंद्राकर को 5 जनवरी, 2025 की रात को हैदराबाद से बीजापुर पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने 3 जनवरी को मुकेश का शव मिलने के बाद गिरफ्तारी की पुष्टि की। बीजापुर के चट्टनपारा बस्ती में सुरेश के स्वामित्व वाले परिसर के सेप्टिक टैंक में शव को छिपाया गया था। अपराध में शामिल तीन अन्य लोगों- रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और पर्यवेक्षक महेंद्र रामटेके को पहले ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है और अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

इस घटना के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और चंद्राकर के लिए न्याय की मांग की गई। एडिटर्स गिल्ड और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी संघर्ष क्षेत्रों में पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों के बारे में बताते हुए इस हत्या की निंदा की।

चंद्राकर के शव का पोस्टमार्टम: सिर में फ्रैक्चर, दिल फटा हुआ, गर्दन टूटी हुई

मुकेश चंद्राकर की पोस्टपार्टम रिपोर्ट में हत्या को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, चंद्राकर के सिर में 15 फ्रैक्चर थे और उनका दिल निकला हुआ था। चंद्राकर की गर्दन भी टूटी हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों को लीवर के टुकड़े और पांच टूटी पसलियां भी मिलीं। पोस्टमॉर्टम के बाद डॉक्टरों ने माना कि 28 वर्षीय पत्रकार की हत्या में दो लोग शामिल रहे होंगे।

चंद्राकर की हत्या के मुख्य संदिग्ध ने बैंक से निकाली ‘बड़ी रकम’, एसआईटी ने किया खुलासा

एसआईटी ने अपने बयान में कहा कि जांच के दौरान और बैंकों से मिली जानकारी के आधार पर, मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर ने घटना से चार दिन पहले 27 दिसंबर को अपने खाते से बड़ी रकम निकाली थी। एसआईटी ने कहा कि इस मामले की अभी जांच चल रही है।

हालांकि, सुरेश के बैंक खाते से निकाली गई रकम के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह जांच का विषय है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने कहा, "इस समय राशि का खुलासा करने से हमारी जांच प्रभावित होगी, लेकिन पैसे के स्रोत की जांच की जा रही है।"

अस्थि कलश (राख वाला कलश) टूटकर जमीन पर पड़ा हुआ है

इन घटनाओं के विचलित करने वाले स्थान पर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का बिखरा हुआ अस्थि कलश (राख वाला कलश) छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में श्मशान घाट के पास बिखरा हुआ मिला जो उनके मूल स्थान से लगभग 50 मीटर दूर है।

19 जनवरी को जब चंद्राकर का परिवार मुक्तिधाम पहुंचा तो उन्होंने पाया कि अस्थि कलश अपने स्थान से गायब था। इसके बाद आस-पास की खोज करने पर उन्हें टूटा हुआ कलश मिला, जिसकी राख जमीन पर बिखरी हुई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने इस खोज की पुष्टि की है, हालांकि कलश के टूटने का कोई तत्काल कारण नहीं बताया गया है।

मुकेश चंद्राकर के चचेरे भाई युकेश चंद्राकर ने अपने एक्स हैंडल @youareYukesh पर अपनी पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा कि, "हमने मुकेश की अस्थियां रखी थीं, किसी ने कलश तोड़कर राख बिखेर दी। आज मुकेश की अस्थियों के विसर्जन की रस्म पूरी होनी है। मुझे कहीं से पता चला कि मेरे भाई को पीट-पीटकर मार डाला गया और उस पर बुलडोजर चलाया गया।

क्या हम इंसान हैं?


कलश तेलंगाना के कालेश्वरम में पवित्र अस्थि विसर्जन अनुष्ठान के लिए था जहां मृतक की अस्थियों को पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है।

छत्तीसगढ़ के सीएम ने चंद्राकर के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की।

14 जनवरी को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मारे गए पत्रकार मुकेश चंद्राकर के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लाइन में हेलीपैड पर पत्रकारों से बात करते हुए साय ने कहा, "मृतक पत्रकार के परिवार को 10 लाख रूपये की सहायता दी जाएगी। पत्रकारों के लिए एक भवन बनाया जाएगा और उसका नाम उनके नाम पर रखा जाएगा”

मुख्यमंत्री द्वारा चंद्राकर के नाम पर पत्रकारों के लिए एक समर्पित भवन के निर्माण की घोषणा को उनके काम और विरासत के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा रहा है।

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