आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती द्वारा आयोजित इस पहल का उद्देश्य इन बच्चों को हिंदू परंपराओं से परिचित कराना और उन्हें धर्मांतरण के प्रयासों के ‘शिकार’ बनने से रोकना है।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) वंचित तबके के लगभग 8,000 छात्रों को ले जा रहा है, जिनमें से ज्यादातर दलित और अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के हैं। यह मेला गुरुवार से प्रयागराज में शुरू हो रहा है। आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती द्वारा आयोजित इस पहल का उद्देश्य इन बच्चों को हिंदू परंपराओं से परिचित कराना और उन्हें धर्मांतरण के प्रयासों के ‘शिकार’ बनने से रोकना है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अवध क्षेत्र में सेवा भारती स्कूलों के इंस्ट्रक्टर रामजी सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “छात्रों को ‘कुंभ दर्शन’ के लिए ले जाने का उद्देश्य उन्हें भारत की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति के साथ-साथ महाकुंभ के आध्यात्मिक पहलू से अवगत कराना है। इससे तब मदद मिलेगी जब मिशनरी उनके इलाकों में पहुंचेंगे और यह दावा करते हुए उनका धर्मांतरण करने की कोशिश करेंगे कि वे हिंदू नहीं हैं।”
10 वर्ष से ज्यादा उम्र के ये छात्र आश्रम, अखाड़े और संगम घाट सहित कुंभ मेले के प्रमुख स्थानों का दौरा करेंगे, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। उनके ठहरने के लिए मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 में एक विशेष शिविर बनाया गया है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के 14 जिलों के लगभग 2,100 छात्र 16 से 18 जनवरी तक अपने माता-पिता के साथ इस दौरे में शामिल होंगे।
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि भाग लेने वाले बच्चे दलित समुदायों से हैं, जिन्हें संगठन द्वारा "वंचित समाज" कहा जाता है। पदाधिकारी ने कहा, "हम चाहते हैं कि ये बच्चे अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों की समृद्धि को समझें।"
इस बैच के बाद, गोरखपुर क्षेत्र से इसी तरह का ग्रुप 24 से 26 जनवरी तक कुंभ का दौरा करेगा, उसके बाद काशी और कानपुर क्षेत्रों के छात्र आएंगे। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भविष्य में होने वाले दौरे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बच्चों को भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को महाकुंभ मेले के लिए निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जिसमें 29 जनवरी को मौनी अमावस्या स्नान अनुष्ठान के लिए 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी को समाप्त होगा।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेले में डिजिटल भूले-भटके शिविर लगे हैं लेकिन बिछड़े लोगों को मिलाने और भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाने में बिजली के खंभे भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल महाकुंभ के तहत पूरे मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति मोबाइल से स्कैन करके अपनी भौगोलिक स्थिति जान सकता है।
महाकुंभ के बीच प्रयागराज के लिए उड़ानों की बुकिंग के साथ-साथ हवाई किराये में भी कई गुना वृद्धि हुई है। दिल्ली से प्रयागराज की उड़ानों के लिए टिकट की कीमतें 21 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। यात्रा पोर्टल इक्सिगो के विश्लेषण के अनुसार, भोपाल और प्रयागराज के बीच एकतरफा हवाई किराया पिछले साल जहां 2,977 रुपये था, वहीं अब यह 498 प्रतिशत बढ़कर 17,796 रुपये हो गया है। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक के लिए 30 दिन की अग्रिम खरीद तिथि (एपीडी) के आधार पर एकतरफा औसत किराये हैं। ये पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में हैं। दिल्ली से प्रयागराज का हवाई किराया 21 प्रतिशत बढ़कर 5,748 रुपये हो गया है, जबकि मुंबई-प्रयागराज उड़ान के लिए यह 13 प्रतिशत बढ़कर 6,381 रुपये हो गया है। विश्लेषण के अनुसार, बेंगलुरु- प्रयागराज उड़ान के लिए हवाई टिकट की कीमत 89 प्रतिशत बढ़कर 11,158 रुपये हो गई है, जबकि अहमदाबाद-प्रयागराज उड़ान का किराया 41 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10,364 रुपये हो गया है। प्रयागराज के निकट स्थित शहरों- लखनऊ और वाराणसी के लिए हवाई किराये में तीन से 21 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) वंचित तबके के लगभग 8,000 छात्रों को ले जा रहा है, जिनमें से ज्यादातर दलित और अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के हैं। यह मेला गुरुवार से प्रयागराज में शुरू हो रहा है। आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती द्वारा आयोजित इस पहल का उद्देश्य इन बच्चों को हिंदू परंपराओं से परिचित कराना और उन्हें धर्मांतरण के प्रयासों के ‘शिकार’ बनने से रोकना है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अवध क्षेत्र में सेवा भारती स्कूलों के इंस्ट्रक्टर रामजी सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “छात्रों को ‘कुंभ दर्शन’ के लिए ले जाने का उद्देश्य उन्हें भारत की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति के साथ-साथ महाकुंभ के आध्यात्मिक पहलू से अवगत कराना है। इससे तब मदद मिलेगी जब मिशनरी उनके इलाकों में पहुंचेंगे और यह दावा करते हुए उनका धर्मांतरण करने की कोशिश करेंगे कि वे हिंदू नहीं हैं।”
10 वर्ष से ज्यादा उम्र के ये छात्र आश्रम, अखाड़े और संगम घाट सहित कुंभ मेले के प्रमुख स्थानों का दौरा करेंगे, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। उनके ठहरने के लिए मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 में एक विशेष शिविर बनाया गया है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के 14 जिलों के लगभग 2,100 छात्र 16 से 18 जनवरी तक अपने माता-पिता के साथ इस दौरे में शामिल होंगे।
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि भाग लेने वाले बच्चे दलित समुदायों से हैं, जिन्हें संगठन द्वारा "वंचित समाज" कहा जाता है। पदाधिकारी ने कहा, "हम चाहते हैं कि ये बच्चे अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों की समृद्धि को समझें।"
इस बैच के बाद, गोरखपुर क्षेत्र से इसी तरह का ग्रुप 24 से 26 जनवरी तक कुंभ का दौरा करेगा, उसके बाद काशी और कानपुर क्षेत्रों के छात्र आएंगे। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भविष्य में होने वाले दौरे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बच्चों को भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को महाकुंभ मेले के लिए निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जिसमें 29 जनवरी को मौनी अमावस्या स्नान अनुष्ठान के लिए 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी को समाप्त होगा।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेले में डिजिटल भूले-भटके शिविर लगे हैं लेकिन बिछड़े लोगों को मिलाने और भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाने में बिजली के खंभे भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल महाकुंभ के तहत पूरे मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति मोबाइल से स्कैन करके अपनी भौगोलिक स्थिति जान सकता है।
महाकुंभ के बीच प्रयागराज के लिए उड़ानों की बुकिंग के साथ-साथ हवाई किराये में भी कई गुना वृद्धि हुई है। दिल्ली से प्रयागराज की उड़ानों के लिए टिकट की कीमतें 21 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। यात्रा पोर्टल इक्सिगो के विश्लेषण के अनुसार, भोपाल और प्रयागराज के बीच एकतरफा हवाई किराया पिछले साल जहां 2,977 रुपये था, वहीं अब यह 498 प्रतिशत बढ़कर 17,796 रुपये हो गया है। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक के लिए 30 दिन की अग्रिम खरीद तिथि (एपीडी) के आधार पर एकतरफा औसत किराये हैं। ये पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में हैं। दिल्ली से प्रयागराज का हवाई किराया 21 प्रतिशत बढ़कर 5,748 रुपये हो गया है, जबकि मुंबई-प्रयागराज उड़ान के लिए यह 13 प्रतिशत बढ़कर 6,381 रुपये हो गया है। विश्लेषण के अनुसार, बेंगलुरु- प्रयागराज उड़ान के लिए हवाई टिकट की कीमत 89 प्रतिशत बढ़कर 11,158 रुपये हो गई है, जबकि अहमदाबाद-प्रयागराज उड़ान का किराया 41 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10,364 रुपये हो गया है। प्रयागराज के निकट स्थित शहरों- लखनऊ और वाराणसी के लिए हवाई किराये में तीन से 21 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।