केंद्र यूजीसी के नए यूजीसी नियमों के जरिए राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता कमजोर कर रहा है: विजयन

Written by sabrang india | Published on: January 16, 2025
सीएम पिनाराई विजयन ने नए यूजीसी नियमों के जरिए उच्च शिक्षा संस्थानों को अस्थिर करने की कोशिश करने का केंद्र पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयासों से न केवल सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को नुकसान पहुंचेगा बल्कि यूजीसी की विश्वसनीयता भी समाप्त हो जाएगी।


साभार : सोशल मीडिया एक्स

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पर उच्च शिक्षण संस्थानों को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसका मुख्य कारण यूजीसी के नए मसौदा को बताया।

द वायर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से लिखा, उन्होंने कहा कि ये नियम, जो राज्य विश्वविद्यालयों की ‘स्वायत्तता को ख़तरा’ बनाते हैं, निर्वाचित विधानसभाओं द्वारा बनाए गए अधिनियमों द्वारा उन्हें दी गई स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं।

विजयन ने राज्य उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अगली पीढ़ी की उच्च शिक्षा पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद मंगलवार को ये टिप्पणियां कीं।

सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति या इसी तरह के मामलों में न्यूनतम योग्यता तय करने का कोई विरोध नहीं है तथा राज्य ऐसे नियमों का पूरी तरह पालन करता है।

विजयन ने कहा कि यूजीसी द्वारा इस तरह अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करना ‘अस्वीकार्य है’। उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश विश्वविद्यालयों को राज्य के संसाधनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, जिसमें केंद्रीय योगदान न्यूनतम होता है।

सीएम ने कहा, ‘यह देखना चिंताजनक और निराशाजनक है कि केंद्र सरकार और यूजीसी राज्य सरकार के अधीन इन संस्थानों को अस्थिर करने के उद्देश्य से दृष्टिकोण अपना रहे हैं।’

उन्होंने बताया, "इसका एक प्रमुख उदाहरण यूजीसी के नए दिशा-निर्देश हैं, जो राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को चुनौती दे रहे हैं।"

विजयन ने केंद्र सरकार और यूजीसी से यह अपील भी की कि वे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और शिक्षा से जुड़ी मामलों में राज्य सरकारों के अधिकारों का सम्मान करें।

विजयन ने यह भी कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से न केवल सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को नुकसान होगा, बल्कि यूजीसी की विश्वसनीयता भी समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, "ऐसी कार्रवाइयों को बढ़ावा देते हुए यूजीसी और केंद्र सरकार यह समझने में असफल रही हैं कि इन प्रयासों से सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित उच्च शिक्षा प्रणाली का पतन हो सकता है, और अंततः यह अधिक निजी शैक्षिक संस्थानों के लिए मार्ग खोल देगा।"

उन्होंने 'यूजीसी नियम 2025 का मसौदा' की आलोचना करते हुए यह दावा किया कि यह राज्यों से कुलपति नियुक्त करने का अधिकार छीन लेता है और कुलपतियों को अनियंत्रित शक्तियां प्रदान करता है।

यह ध्यान में रखना चाहिए कि यूजीसी के नए नियम राज्यों में राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं। इसके अलावा, इन नियमों में यह भी कहा गया है कि अब वीसी का पद केवल शिक्षाविदों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उद्योग विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गजों को भी वीसी नियुक्त किया जा सकता है।

नए नियमों में कहा गया है, "कुलपति/विजिटर तीन विशेषज्ञों वाली खोज-सह-चयन समिति (Search-cum-Selection Committee) का गठन करेंगे।" पहले, नियमों में यह उल्लेख किया गया था कि कुलपति के पद के लिए इस समिति द्वारा गठित 3-5 व्यक्तियों के पैनल के माध्यम से उचित पहचान की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि समिति का गठन कौन करेगा।

ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के साथ चल रही खींचतान के बीच राज्य के सीएम एमके स्टालिन ने पिछले सप्ताह कहा था कि यूजीसी के नए नियम राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्तियों पर व्यापक नियंत्रण देते हैं और गैर-शैक्षणिक लोगों को इन पदों पर रहने की अनुमति देते हैं, जो संघवाद और राज्य के अधिकारों पर सीधा हमला है।

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