प्रतिमा तक जाने वाली सड़क का नाम भी हाल ही में उनके नाम पर रखा गया। 84 वर्ष की उम्र में 1976 में उनका निधन हो गया था।
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : पीटीआई
भाजपा और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कई सदस्यों ने मंगलवार को मुरादाबाद के मुख्य चौराहे पर स्थित पद्म भूषण से सम्मानित उस्ताद अहमद जान खान थिरकवा की प्रतिमा हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और मुरादाबाद-हरिद्वार हाईवे को एक घंटे तक जाम कर दिया। उस्ताद अहमद जान खान थिरकवा एक प्रसिद्ध तबला वादक थें। प्रतिमा तक जाने वाली सड़क का नाम भी हाल ही में उनके नाम पर रखा गया है।
प्रदर्शनकारियों में कई स्थानीय निवासी भी शामिल हुए, जिन्होंने मुरादाबाद नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि अगर प्रतिमा को जल्द ही हटाकर उसकी जगह सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा नहीं लगाई गई तो वे लगातार आंदोलन करेंगे।
उन्होंने प्रतिमा को काली पॉलीथिन से ढक दिया। यह प्रतिमा मुरादाबाद में अकबर किले के पास कांठ रोड पर सुभाष चौराहे पर स्थित है। स्थानीय विहिप नेता जयदेव यादव ने कहा, "यह एक गंभीर मुद्दा है और जब तक इस प्रतिमा की जगह सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा नहीं लगाई जाती, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।"
उस्ताद अहमद खान, जिनकी मृत्यु 1976 में 84 वर्ष की आयु में हुई, एक कुशल तालवादक थे जो कई वाद्य बजाने माहिर थे। उन्होंने कई दशकों तक श्रोताओं को रोमांचित किया।
प्रदर्शनकारियों ने मुरादाबाद के मेयर विनोद अग्रवाल के खिलाफ भी नारे लगाए और कहा कि उन्हें मुरादाबाद नगर निगम का नाम भी बदलना चाहिए। पिछले सप्ताह चौराहे पर मूर्ति स्थापित की गई थी।
भाजपा नेता अग्रवाल ने कहा, "मैं नेताओं से बात करूंगा और गतिरोध को दूर करने का रास्ता निकालने की कोशिश करूंगा। आपसी बातचीत हमेशा सड़क पर आंदोलन से बेहतर होती है।"
देश में अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिमों के खिलाफ बहुसंख्यकों के विरोध का यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज शेखर कुमार यादव ने इस तरह का सांप्रदायिक विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। अपने भाषण में उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को कठमुल्ला तक कहा था जिसके विवाद बढ़ गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस मामले में दखल देते हुए जज को तलब किया है। वहीं विपक्ष ने जज के खिलाफ महाभियोग नोटिस प्रस्तुत कर दिया है। 55 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रस्ताव पर संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान चर्चा होने की उम्मीद है।
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : पीटीआई
भाजपा और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कई सदस्यों ने मंगलवार को मुरादाबाद के मुख्य चौराहे पर स्थित पद्म भूषण से सम्मानित उस्ताद अहमद जान खान थिरकवा की प्रतिमा हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और मुरादाबाद-हरिद्वार हाईवे को एक घंटे तक जाम कर दिया। उस्ताद अहमद जान खान थिरकवा एक प्रसिद्ध तबला वादक थें। प्रतिमा तक जाने वाली सड़क का नाम भी हाल ही में उनके नाम पर रखा गया है।
प्रदर्शनकारियों में कई स्थानीय निवासी भी शामिल हुए, जिन्होंने मुरादाबाद नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि अगर प्रतिमा को जल्द ही हटाकर उसकी जगह सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा नहीं लगाई गई तो वे लगातार आंदोलन करेंगे।
उन्होंने प्रतिमा को काली पॉलीथिन से ढक दिया। यह प्रतिमा मुरादाबाद में अकबर किले के पास कांठ रोड पर सुभाष चौराहे पर स्थित है। स्थानीय विहिप नेता जयदेव यादव ने कहा, "यह एक गंभीर मुद्दा है और जब तक इस प्रतिमा की जगह सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा नहीं लगाई जाती, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।"
उस्ताद अहमद खान, जिनकी मृत्यु 1976 में 84 वर्ष की आयु में हुई, एक कुशल तालवादक थे जो कई वाद्य बजाने माहिर थे। उन्होंने कई दशकों तक श्रोताओं को रोमांचित किया।
प्रदर्शनकारियों ने मुरादाबाद के मेयर विनोद अग्रवाल के खिलाफ भी नारे लगाए और कहा कि उन्हें मुरादाबाद नगर निगम का नाम भी बदलना चाहिए। पिछले सप्ताह चौराहे पर मूर्ति स्थापित की गई थी।
भाजपा नेता अग्रवाल ने कहा, "मैं नेताओं से बात करूंगा और गतिरोध को दूर करने का रास्ता निकालने की कोशिश करूंगा। आपसी बातचीत हमेशा सड़क पर आंदोलन से बेहतर होती है।"
देश में अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिमों के खिलाफ बहुसंख्यकों के विरोध का यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज शेखर कुमार यादव ने इस तरह का सांप्रदायिक विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। अपने भाषण में उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को कठमुल्ला तक कहा था जिसके विवाद बढ़ गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस मामले में दखल देते हुए जज को तलब किया है। वहीं विपक्ष ने जज के खिलाफ महाभियोग नोटिस प्रस्तुत कर दिया है। 55 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रस्ताव पर संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान चर्चा होने की उम्मीद है।