यूपी: अब बीबी रजिया मस्जिद को लेकर अधिवक्ताओं ने दर्ज कराई शिकायत

Written by sabrang india | Published on: December 10, 2024
चौक स्थित बीबी रजिया मस्जिद के वक्फ संपत्ति होने पर आपत्ति की गई है। मामले की शिकायत शासन से भी हुई है। इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की मांग हुई है।



वाराणसी में अब दूसरी वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हाे गया है। यूपी काॅलेज के बाद अब चाैक के बीबी रजिया मस्जिद पर अधिवक्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई है। साथ ही इसके जांच की भी मांग की है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, चौक स्थित बीबी रजिया मस्जिद के वक्फ संपत्ति होने पर आपत्ति की गई है। मामले की शिकायत शासन से भी हुई है। इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की मांग हुई है।

बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय और प्रबंध समिति के सदस्य मिलिंद श्रीवास्तव का आरोप है कि फर्जी मकान नंबर के आधार पर बीबी रजिया मस्जिद को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। साथ ही ब्योरा पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया। एक मकान नंबर पर अवमुक्तेश्वर मोहल्ला लिखा है। 

इससे सटे दूसरे मकान को वक्फ संपत्ति में दर्ज करा दिया गया, जो गलत है। मौके पर ऐसा कोई मकान नंबर अस्तित्व में नही है। नगर निगम के असेसमेंट रजिस्टर में मिर्जा नजिरूद्दीन वगैरह का नाम दर्ज है। इसमें मस्जिद का जिक्र तक नहीं है। भवन का फोटो दूसरा है, जबकि वक्फ संपत्ति में दर्ज मकान का नंबर दूसरा है।


रिपोर्ट के अनुसार, मामले की शिकायत पहले भी सीएम हेल्पलाइन नंबर पर की गई थी। इसकी जांच कर कोतवाली जोन के राजस्व निरीक्षक ने रिपोर्ट दी थी। राजस्व निरीक्षक ने साफ कहा था कि नगर निगम गृहकर वसूली के लिए ही नामांतरण की कार्रवाई करता है। स्वामित्व का निर्धारण नगर निगम नहीं करता है। यह काम राजस्व विभाग का होता है।

मुफ्ती-ए-शहर अब्दुल बातिन नोमानी ने अखबार को बताया कि बीबी रजिया की मस्जिद ही है। 1440 में इब्राहिम शर्की के बेटे सुल्तान महमूद वाराणसी आए थे। यहां राजा बीबी नामक महिला से विवाह किया। सुल्तान महमूद के निधन के बाद राजा बीबी ने ही मस्जिद बनवाई थी। 

ज्ञात हो कि बीबी रजिया मस्जिद से पहले वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गत शुक्रवार, 6 दिसंबर को करीब 300 से ज्यादा छात्र हाथों में भगवा झंडा लिए कॉलेज के गेट पर इकट्ठा हो गए। छात्र मस्जिद को हटाने की मांग करते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने उन्हें कॉलेज परिसर में घुसने नहीं दिया। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने कैंपस में बाहरी छात्रों की एंट्री पर रोक लगा दी थी। कॉलेज के अंदर सिर्फ वैध आईडी वाले छात्रों को ही जाने दिया जा रहा था। 

बता दें कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित अटाला मस्जिद विवाद से जुड़ा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में है। इस मामले में गत सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी। मामले की सुनवाई जिस पीठ में होनी थी वह सोमवार को नहीं बैठी। मामला दूसरी बेंच में ट्रांसफर हुआ लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हो सकी। 

एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, अब इस मामले की सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होने की संभावना है। मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच पर होनी थी। उनकी बेंच आज नहीं बैठने की वजह से मामला जस्टिस सलिल कुमार राय की कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था।

16 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में मस्जिद की जगह मंदिर का दावा करने वाले स्वराज वाहिनी संगठन को अपना जवाब दाखिल करना होगा। याचिका अटाला मस्जिद की वक्फ कमेटी की तरफ से दाखिल की गई है।

याचिका में जौनपुर के जिला जज द्वारा पुनरीक्षण अर्जी पर दिए गए आदेश को चुनौती दी गई। जिला जज ने इसी साल 12 अगस्त को आदेश जारी कर जौनपुर की जिला कोर्ट में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता को मंजूरी दे दी थी। 

इससे पहले जौनपुर जिला कोर्ट के सिविल जज ने 29 मई को मुकदमे को अपने यहां रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू किए जाने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष की तरफ से दाखिल याचिका में इन्हीं दोनों आदेशों को चुनौती दी गई है। 

स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर जिला कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर यह दावा किया था। कहा था कि जौनपुर की अटाला मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया है।

Related

अटाला मस्जिद मामला : नहीं हो सकी सुनवाई, अगली तारीख एक सप्ताह बाद

बाकी ख़बरें