प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वाराणसी से पहली बार लोकसभा चुनावों के दौरान काशी आकर नामांकन से पहले कहा था, ''ना मुझे किसी ने भेजा है, ना मैं यहां आया हूं, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है।'' इसके साथ ही उन्होंने गंगा सफाई को लेकर तमाम तरह की बातें और दावे किए थे जो विकास के नाम पर विनाश की कहानी कह रहे हैं।
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अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, डीजल इंजन नावों के धुएं से काशी के घाटों की खूबसूरती को नजर लग रही है। दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
अपनी खूबसूरती से सैलानियों को रिझाने वाले अर्धचंद्राकार घाटों की खूबसूरती पर कार्बन की परत कालिख पोत रही है। वह है गंगा में दौड़ रहीं डीजल इंजन नावों का धुआं। यह खुलासा पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम ने शोध के बाद प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
इन नावों से लीकेज के बाद निकलने वाला ईंधन गंगा की सतह पर तैर रहा है। इससे गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट पैदा हो रहा है। दरअसल, देव दीपावली से पहले प्रशासन ने गंगा में जल परिवहन की संभावनाओं पर विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की रिपोर्ट तैयार कराई थी।
इसमें डीजल इंजन वाली नावों के संचालन से घाटों, सैलानियों और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान पर रिपोर्ट दी गई है। इसके मुताबिक कार्बन की परत जमा होने से घाटों पर बने धब्बे के कारण इसकी एकरूपता समाप्त हो रही है। साथ ही घाटों के मूल रंगरूप को बचाते हुए इस कालिख को हटाना मुश्किल हो रहा है।
अस्सी से नमोघाट तक सतह पर तैर रहा है डीजल-केरोसिन
प्रशासन को मिली रिपोर्ट में अस्सी से नमो घाट तक कई जगहों पर सतह पर डीजल की सतह भी बनी हुई मिली है। जिन जगहों पर ऑयल स्पील बन रहा है, उन क्षेत्रों में रहने वाले जलीय जीवों तक ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा भी नहीं पहुंच पाएगी।
31 दिसंबर के बाद पूरी तरह से बंद किए जाएंगे डीजल इंजन
रिपोर्ट सामने आने के बाद 31 दिसंबर के बाद प्रशासन गंगा से डीजल इंजन वाली नावों को हटाएगा। कई नावों में सीएनजी इंजन लगाए गए, मगर उन्होंने डीजल इंजन जमा करने की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों की नाव में इसका उपयोग शुरू कर दिया है।
गेल इंडिया की ओर से 31 दिसंबर तक ही निशुल्क सीएनजी इंजन नावों में लगाए जाएंगे। गेल इंडिया को प्रशासन ने राजेंद्र प्रसाद घाट पर जगह मुहैया करा दी है और यहां सीएनजी इंजन का वर्कशॉप संचालित होगा।
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अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, डीजल इंजन नावों के धुएं से काशी के घाटों की खूबसूरती को नजर लग रही है। दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
अपनी खूबसूरती से सैलानियों को रिझाने वाले अर्धचंद्राकार घाटों की खूबसूरती पर कार्बन की परत कालिख पोत रही है। वह है गंगा में दौड़ रहीं डीजल इंजन नावों का धुआं। यह खुलासा पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम ने शोध के बाद प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
इन नावों से लीकेज के बाद निकलने वाला ईंधन गंगा की सतह पर तैर रहा है। इससे गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट पैदा हो रहा है। दरअसल, देव दीपावली से पहले प्रशासन ने गंगा में जल परिवहन की संभावनाओं पर विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की रिपोर्ट तैयार कराई थी।
इसमें डीजल इंजन वाली नावों के संचालन से घाटों, सैलानियों और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान पर रिपोर्ट दी गई है। इसके मुताबिक कार्बन की परत जमा होने से घाटों पर बने धब्बे के कारण इसकी एकरूपता समाप्त हो रही है। साथ ही घाटों के मूल रंगरूप को बचाते हुए इस कालिख को हटाना मुश्किल हो रहा है।
अस्सी से नमोघाट तक सतह पर तैर रहा है डीजल-केरोसिन
प्रशासन को मिली रिपोर्ट में अस्सी से नमो घाट तक कई जगहों पर सतह पर डीजल की सतह भी बनी हुई मिली है। जिन जगहों पर ऑयल स्पील बन रहा है, उन क्षेत्रों में रहने वाले जलीय जीवों तक ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा भी नहीं पहुंच पाएगी।
31 दिसंबर के बाद पूरी तरह से बंद किए जाएंगे डीजल इंजन
रिपोर्ट सामने आने के बाद 31 दिसंबर के बाद प्रशासन गंगा से डीजल इंजन वाली नावों को हटाएगा। कई नावों में सीएनजी इंजन लगाए गए, मगर उन्होंने डीजल इंजन जमा करने की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों की नाव में इसका उपयोग शुरू कर दिया है।
गेल इंडिया की ओर से 31 दिसंबर तक ही निशुल्क सीएनजी इंजन नावों में लगाए जाएंगे। गेल इंडिया को प्रशासन ने राजेंद्र प्रसाद घाट पर जगह मुहैया करा दी है और यहां सीएनजी इंजन का वर्कशॉप संचालित होगा।
नमामि गंगे परियोजना में 2014 से 2022 तक खर्च हुए 13000 करोड़डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं दुनिया को आकर्षित करने वाले घाटों की खूबसूरती पर धब्बा लगा रहे हैं। नावों की लीकेज से गंगा में कई जगहों पर ऑयल स्पील (डीजल की सतह) बने हैं और इसे गंगा में स्नान, आचमन करने वालों के साथ ही जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक माना जा रहा है। डीजल इंजन से हो रहे नुकसान की रिपोर्ट सामने आने के बाद 31 दिसंबर की समयसीमा तय की गई है और इसके बाद डीजल इंजन पर पूर्णतया प्रतिबंध लागू किया जाएगा।
-कौशल राज शर्मा, मंडलायुक्त
केंद्र ने जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange) शुरू किया था। इसके साथ सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी। इसे लेकर दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की। बैठक में पिछले आठ वर्षों में गंगा की स्वच्छता की प्रगति और इस पर आए खर्च व आगे की प्लानिंग पर चर्चा की गई। बैठक में प्रस्तुत किए गए ब्यौरे के मुताबिक, 2014 से 2022 तक केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक खर्च किया गया है।
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