लखनऊ। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में गंगा किनारे रेत में दफन शवों पर से चुनरी और लकड़ियां हटाने के मामले में जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। बीते 25 मई को जिलाधिकारी कार्यालय से जारी आदेश के मुताबिक, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) और अपर पुलिस अधीक्षक (गंगापार) की सदस्यता में एक समिति का गठन किया गया है, जो मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।
उन्होंने कहा, ‘दिनांक 25/05/2021 को विभिन्न न्यूज चैनलों एवं सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो क्लिप में यह दर्शाया गया है कि (इलाहाबाद के) श्रृंगवेरपुर घाट पर कुछ व्यक्तियों द्वारा वहां दफन किए शवों के ऊपर से चादर/कपड़े हटाए जा रहे हैं। यह प्रकरण अत्यंत गंभीर एवं संवेदनशील प्रकृति का है, जिसके दृष्टिगत इस प्रकरण के सभी पहलुओं की विस्तृत जांच हेतु एक द्विसदस्यीय समिति का गठन किया गया है।’
जिलाधिकारी कार्यालय के आदेश में आगे कहा गया, ‘यह द्विसदस्यीय समिति उक्त प्रकरण में यह भी देखेगी कि ऐसे अति संवेदनशील प्रकरण में किन तत्वों द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया गया है और उनकी मंशा क्या है। साथ ही यह समिति दोषी पाए गए व्यक्तियों के विरुद्ध समुचित विधिक कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए अपनी संयुक्त जांच रिपोर्ट यथाशीघ्र प्रस्तुत करेगी।’
इस आदेश पर इलाहाबाद के जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने हस्ताक्षर किए गए। इससे पहले कई सारी रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि प्रशासन के निर्देश पर शवों पर से चुनरी हटाई गई है। हालांकि गोस्वामी ने दावा किया है ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ घाटों की सफाई के निर्देश जारी हुए हैं।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश और बिहार में पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थी, जिसमें पता चला था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच दाह संस्कार का खर्च बढ़ जाने से परिजनों को शव गंगा किनारे दफन करना पड़ रहा है। ऐसी तस्वीरें और खबरें सामने आने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की खूब किरकिरी हुई थी।
उन्होंने कहा, ‘दिनांक 25/05/2021 को विभिन्न न्यूज चैनलों एवं सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो क्लिप में यह दर्शाया गया है कि (इलाहाबाद के) श्रृंगवेरपुर घाट पर कुछ व्यक्तियों द्वारा वहां दफन किए शवों के ऊपर से चादर/कपड़े हटाए जा रहे हैं। यह प्रकरण अत्यंत गंभीर एवं संवेदनशील प्रकृति का है, जिसके दृष्टिगत इस प्रकरण के सभी पहलुओं की विस्तृत जांच हेतु एक द्विसदस्यीय समिति का गठन किया गया है।’
जिलाधिकारी कार्यालय के आदेश में आगे कहा गया, ‘यह द्विसदस्यीय समिति उक्त प्रकरण में यह भी देखेगी कि ऐसे अति संवेदनशील प्रकरण में किन तत्वों द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया गया है और उनकी मंशा क्या है। साथ ही यह समिति दोषी पाए गए व्यक्तियों के विरुद्ध समुचित विधिक कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए अपनी संयुक्त जांच रिपोर्ट यथाशीघ्र प्रस्तुत करेगी।’
इस आदेश पर इलाहाबाद के जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने हस्ताक्षर किए गए। इससे पहले कई सारी रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि प्रशासन के निर्देश पर शवों पर से चुनरी हटाई गई है। हालांकि गोस्वामी ने दावा किया है ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ घाटों की सफाई के निर्देश जारी हुए हैं।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश और बिहार में पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थी, जिसमें पता चला था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच दाह संस्कार का खर्च बढ़ जाने से परिजनों को शव गंगा किनारे दफन करना पड़ रहा है। ऐसी तस्वीरें और खबरें सामने आने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की खूब किरकिरी हुई थी।