प्रयागराज: बारिश से रेत हटी तो गंगा किनारे मिलने लगीं लाशें, आंकड़ा 350 पार

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 2, 2021
लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर की भयंकर यादें मानस पटल से अभी भूली भी नहीं हैं कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा किनारे दफनाई गई लाशें बरसात से बढ़े पानी की वजह से उतराती नजर आ रही हैं। इन लाशों ने फिर से कोरोना की भयावाहता की स्मृति को ताजा कर दिया है। यूपी के प्रयागराज, उन्नाव, बिल्हौर, बलिया और गाजीपुर जैसे जिलों में गंगा में उतराते या रेत में दफन शव मिलने से हड़कंप मच गया था। इन शवों पर रामनामी चादर पड़े होने से प्रशासन भी चौंकन्ना हो गया और आऩन फानन में इन चादरों को हटवा लिया गया था। 


नोट- कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रयागराज गंगा किनारे की तस्वीर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रयागराज में रविवार को 10 दफनाए गए शव बाहर निकल आए। देर शाम तक इन शवों को जलाकर अंतिम संस्कार करा दिया गया। इस तरह से गंगा में अब तक तकरीबन साढ़े तीन सौ शवों को जलाया जा चुका है। निगरानी समिति के सदस्यों के मुताबिक शनिवार तक गंगा में पानी कम था, इसलिए शवों को बाहर निकालने के लिए नगर निगम के मजदूरों को दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा था। लेकिन, गंगा का जलस्तर बढ़ने से पूरा कछारी इलाका जलमग्न हो गया है। हालांकि, टापू वाला इलाका अभी जलमग्न नहीं हुआ है। कटान से मिलने वाले शवों का अंतिम संस्कार टापू पर ही कराया जा रहा है। 

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंचाई विभाग के अफसरों का कहना है कि जिस तरह से जलस्तर बढ़ रहा है, उससे जल्दी ही टापू भी डूब जाएगा। इससे शवों को जलाने में  दिक्कत आएगी। नगर निगम के अफसरों को बांध की तरफ शवों को जलाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। फाफामऊ घाट पर और दिनों की तरह सुबह से ही शवों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो देर शाम तक चलता रहा। घाट की निगरानी के लिए लगाए गए मजदूरों ने शाम तक 10 शवों को बाहर निकाले। इसके बाद शवों को जलाने के लिए टापू पर रेलवे पुल के नीचे चिताएं जलाई। जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने श्राद्ध के साथ इन शवों को मुखाग्नि दी। निगरानी समिति के सदस्य मुकुंद तिवारी ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से तेजी से कटान हो रहा है। इसलिए शवों के मिलने का सिलसिला अभी जारी है।

बता दें कि अप्रैल, मई के दौरान कोरोना की दूसरी लहर देश-दुनिया में कहर बरपा रही थी। भारत के हर राज्य का बुरा हाल था, लाशें जलाने के लिए श्मशानों में वेटिंग चल रही थीं, लोग सांस नहीं ले पा रहे थे, ऑक्सीजन के लिए लाइनें लगी थीं, यूपी भी इनमें से एक था। लेकिन इसके बावजूद योगी सरकार कोरोना से निपटने में खुद को शाबासी देने में जुटी थी। प्रयागराज, उन्नाव, बिल्हौर, बलिया और गाजीपुर जैसे जिलों में गंगा किनारे लाशें दफनाए जाने पर हंगामा हो गया था। विपक्ष कोरोना से निपटने में सरकार की नाकामी पर सवाल खड़े कर रहा था। 

इतना ही नहीं, गंगा किनारे दफन लाशों को लेकर हो रही फजीहत पर योगी सरकार के ऑफिस से ट्वीट कर सफाई दी गई। ट्विटर हैंडल योगी आदित्यनाथ ऑफिस से एक अखबार की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा गया कि तीन साल पहले भी गंगा किनारे ऐसी ही तस्वीर थी।



योगी आदित्यनाथ ऑफिस ने अखबार की कॉपी की हेडिंग ट्वीट करते हुए लिखा, 'कोरोना नहीं था, फिर भी तीन साल पहले ऐसी ही थी गंगा किनारे की तस्वीर।' इसमें प्रयागराज के शृंगवेरपुर घाट का हाल दिखाया गया था। रिपोर्ट में एक तरफ 18 मार्च 2018 की तस्वीर थी और दूसरी तरफ हालिया दिनों की। 

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