प्रयागराज के सिखों और मुसलमानों ने कुंभ में आए श्रद्धालुओं के लिए शेल्टर और खाने पीने का इंतजाम कर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया

Written by sabrang india | Published on: February 1, 2025
महाकुंभ के भगदड़ में घायल हुए लोगों की सलामती के लिए दरगाह में एकता और करुणा की भावना से दुआ की गई। प्रो. वी.के. त्रिपाठी ने कुंभ मेले में प्रेम और शांति के पर्चे बांटे। फरहान आलम ने साहसी काम करते हुए सीपीआर से श्रद्धालु राम शंकर की जान बचाई। वहीं सिखों और मुसलमानों ने कुंभ श्रद्धालुओं को खाना पीना उपलब्ध कराकर निस्वार्थ सेवा की, जबकि मस्जिदों ने मदद के लिए अपने दरवाजे खोल दिए, 25,000 लोगों को बिस्तर दिए और कंबल का इंतजाम किया साथ ही खाने पीने की व्यवस्था करते हुए कहा, 'भक्त हमारे मेहमान हैं।'



उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस साल महाकुंभ मेला 13 जनवरी, 2025 को शुरू हुआ और इसने लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत किया जो दुनिया के सबसे बड़े पवित्र आयोजन और लोगों के समागम में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे। कुंभ में मुस्लिमों की भागीदारी और दुकान खोलने पर प्रतिबंध लगाने वाली दुर्भाग्यपूर्ण रिपोर्टों के बावजूद, मौनी अमावस्या (29 जनवरी, 2025) पर भगदड़ की त्रासदी एक निर्णायक क्षण साबित हुई जिसने धार्मिक विभाजनों से परे लोगों को एक साथ ला दिया।

महाकुंभ मेला के दौरान, एकता और मानवता की भावना दिल छू लेने वाले कई काम के माध्यम से साफ तौर पर देखी गई। स्वयंसेवक फरहान आलम ने हार्ट अटैक से गिरे एक श्रद्धालु राम शंकर की जान तेजी से सीपीआर करके बचाई। यह वीरतापूर्ण काम वायरल हो गया, जिसमें उनकी निस्वार्थता का प्रदर्शन किया गया। इस बीच, एक दुखद घटना भगदड़ जैसी घटी, इस दौरान प्रयागराज में मुस्लिम समुदाय ने 25,000 से अधिक फंसे हुए श्रद्धालुओं को शेल्टर देने, खाने पीने का इंतजाम किए और इलाज की व्यवस्था करने के लिए अपने घरों और मस्जिदों के दरवाजे खोलकर उल्लेखनीय मेहमान नवाजी का प्रदर्शन किया।

दरगाहों में नमाज अदा करने और खाना पीना बांटने जैसे अन्य कार्यों के साथ-साथ करुणा के ये काम, इनसानियत की सेवा के लिए धार्मिक सीमाओं को पार करते हुए गंगा-जमुनी तहजीब की सच्ची भावना का प्रतीक हैं।

फरहान आलम ने महाकुंभ में सीपीआर से 35 वर्षीय श्रद्धालु राम शंकर की जान बचाई

महाकुंभ मेले के दौरान इंसानियत का एक प्रेरणादायक कार्य तब देखने को मिला जब प्राइम रोज एजुकेशन के स्वयंसेवक फरहान आलम इदरीसी ने दिल का दौरा पड़ने पर एक श्रद्धालु की जान बचाई। 35 वर्षीय श्रद्धालु राम शंकर भारी भीड़ के बीच अचानक बेहोश हो गए। इस घटना को देख रहे फरहान ने तुरंत बेहोश श्रद्धालु को होश में लाने के लिए सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिसक्सिटेशन) किया। फरहान की जल्द की गई इस कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उनकी बहादुरी और सूझबूझ की तारीफ की गई।


फरहान के समय पर सीपीआर देने से राम शंकर को होश आए और उन्हें आगे के इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। चश्मदीदों ने उनके इस निस्वार्थ काम की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि सीपीआर और त्वरित सोच के उनके सूझबूझ ने श्रद्धालु की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। यह दिल को छू लेने वाला क्षण एकता की सच्ची भावना को उजागर करता है, जहां व्यक्ति धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर, जिंदगी बचाने के लिए एक साथ काम करते हैं और संकट के वक्त में प्रेम और करुणा दिखाते हैं।

मुसलमानों ने मस्जिदें खोलीं, 25,000 लोगों को खाना पीना दिया, शेल्टर दिया और उनकी देखभाल की

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, 13 जनवरी, 2025 को शुरू हुए महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या स्नान के लिए श्रद्धालुओं के आने पर एक दुखद भगदड़ मच गई। संगम के पास बैरिकेड्स लगाए गए थे। जैसे ही लोग आगे बढ़े और जो लोग गिर गए, वे भगदड़ में कुचल गए, जिसके चलते 30 लोगों की जान चली गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए। रोते हुए रिश्तेदारों और खून से लथपथ शवों के साथ यह दृश्य भयावह था। जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया, “भीड़ उन्हें कुचलती रही। भगदड़ के बाद का दृश्य भयावह था।”
संकट के समय मुस्लिम समुदाय का बेमिसान मेहमाननवाजी

इस त्रासदी के बाद प्रयागराज में स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने उल्लेखनीय करुणा और एकता का प्रदर्शन किया। 29 जनवरी को, जब श्रद्धालुओं का प्रवेश रूक गया और हजारों लोग फंसे हुए थे तो जैनसेनगंज रोड सहित 10 से ज्यादा इलाकों के मुसलमानों ने अपने घरों, मस्जिदों, मकबरों, दरगाहों और इमामबाड़ों के दरवाजे खोलकर उन्हें शेल्टर दिया और उनकी देखभाल की। 25,000 से ज्यादा श्रद्धालुओं को शरण मिली, खाने पीने, चाय और पानी का इंतेजाम कराया गया और घायलों को इलाज मुहैया कराई गई। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार नखास कोहना, हिम्मतगंज और खुल्दाबाद जैसे इलाकों में भंडारे (सामुदायिक भोज) का आयोजन किया गया, जिसमें फंसे हुए श्रद्धालुओं को हलवा पूरी जैसे भोजन परोसे गए। समाज के इस काम में गंगा-जमुनी तहजीब का अक्स था, जो आपसी सम्मान और सेवा पर आधारित है।

“सबसे पहले इंसानियत”: लोगों का एकजुटता संदेश

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, बहादुर गंज के रहने वाले इरशाद ने कहा, “वह हमारे मेहमान हैं, हमने उनका पूरा ख्याल रखा”। भगदड़ के बाद की भयावह स्थिति को देखते हुए, उन्होंने और उनके पड़ोसियों ने जरूरतमंदों को शरण देने के लिए मस्जिदों और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। दैनिक भास्कर के अनुसार, अपना चौक के शिक्षक मसूद अहमद ने भी इस बात पर जोर दिया, “मुसलमान अपना धर्म निभा रहे थे, हिंदू अपना धर्म निभा रहे थे। हमारा उद्देश्य था कि यहां आए लोगों को रहने में कोई परेशानी न हो”। हिंदू और मुसलमान दोनों ही इंसानियत के नाते एक साथ आए और तय किया कि श्रद्धालुओं की बुनियादी ज़रूरतें- खाना पीना, शेल्टर और आवाजाही- पूरी हों। उनके सामूहिक प्रयासों ने एक सशक्त संदेश दिया: एकता, करुणा और मानवता सबसे ऊपर।

प्रो. वी.के. त्रिपाठी ने कुंभ मेले में प्रेम और शांति के पर्चे बांटे

प्रो. वी.के. त्रिपाठी (प्रतिष्ठित भौतिक विज्ञानी और आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर) के शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के अटूट प्रयास महाकुंभ मेले के दौरान आशा की किरण बनकर उभरे। इस कार्यक्रम में, उन्होंने नफरत को खत्म करने और प्रेम फैलाने का आह्वान करते हुए पर्चे बांटे और अपने मिशन में अकेले खड़े रहे। एकता के प्रति उनका समर्पण अजमेर की उनकी पिछली यात्रा में स्पष्ट दिखाई देता है, जहां उन्होंने यही संदेश फैलाया था। प्रो. त्रिपाठी का दृढ़ विश्वास है कि भारतीय भले ही गहरे धार्मिक हों, लेकिन वे सांप्रदायिक नहीं हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि "इस देश का आम आदमी नफरत से नहीं बल्कि जमीन से जुड़ा है।" इस तरह उन्होंने सभी को बांधने वाली एकता पर प्रकाश डाला।


खास कर, प्रोफेसर वी.के. त्रिपाठी सद्भाव, सामाजिक न्याय और शांति के संदेश फैलाने के लिए पूरे भारत में एक सशक्त यात्रा पर हैं। अपने जमीनी स्तर के काम के जरिए वे सभी इलाके के लोगों तक पहुंचते हैं और उन्हें विभाजनकारी राजनीति से ऊपर उठने, हाशिए पर पड़े समुदायों की मदद करने और धर्मनिरपेक्षता, करुणा और प्रेम के मूल्यों को अपनाने का आग्रह करते हैं।

प्रयागराज में मुस्लिम नमाजियों ने एकता और सौहार्द की एक सशक्त मिसाल पेश की

आपसी सौहार्द का भावपूर्ण प्रदर्शन करते हुए प्रयागराज में मुस्लिम नमाजियों ने मौनी अमावस्या स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। चौक जामा मस्जिद के बाहर इकट्ठा हुए श्रद्धालुओं का फूलों और रामनामी अंगवस्त्र से स्वागत किया, जो समाज के बीच सम्मान और एकता का प्रतीक है।


यह काम गंगा-जमुनी तहजीब की सच्ची भावना को दर्शाता है, जहां प्रेम, सम्मान और भाईचारे की परंपराएं धार्मिक सीमाओं को पार करती हैं। इसने न केवल मेहमाननवाजी का प्रदर्शन किया, बल्कि शांति और सह-अस्तित्व का एक गहरा संदेश भी दिया, जो सभी को याद दिलाता है कि आस्था और करुणा हमें धार्मिक मतभेदों से परे एकजुट करती है।

एकता का प्रदर्शन: बुलंदशहर में कुंभ श्रद्धालुओं के लिए दरगाह में दुआ मांगी

महाकुंभ में जब लाखों लोग आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा हुए तब बुलंदशहर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए दुआ मांग कर सच्ची सद्भावना का प्रदर्शन किया। उन्होंने बन्ने शरीफ की दरगाह पर चादर चढ़ाई, जो धार्मिक सीमाओं से परे करुणा, एकजुटता और आस्था की शक्ति का प्रतीक है। उनके दयालुतापूर्ण कार्य ने कार्यक्रम में एकता की भावना को मजबूत किया।


महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मस्जिदों और इमाम ने श्रद्धालुओं की मदद की

महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ की मदद के लिए एकजुटता दिखाई दी। वसीउल्लाह मस्जिद के इमाम ने समुदाय के साथ मिलकर रोशन बाग पार्क में श्रद्धालुओं के लिए खाने पीने की व्यवस्था की। इस सहयोगात्मक प्रयास ने शहर की सद्भावना और सभी के प्रति सेवा की भावना को दर्शाया।


महाकुंभ 2025 के दौरान सद्भावना और एकता का एक और शानदार मिसाल सामने आया। अव्यवस्था और भारी भीड़ के मद्देनजर, श्रद्धालुओं ने मस्जिदों में शरण ली। इमाम साहब और स्थानीय समाज ने खाने पीने, रहने और उनकी देखभाल करते हुए गंगा-जमुनी तहजीब का बेहद खूबसूरती से प्रदर्शन किया। संकट के समय में उनकी निस्वार्थ सेवा सच्चे भाईचारे और करुणा का सबूत है।


प्रयागराज के खुल्दाबाद में कुंभ आने वाले श्रद्धालुओं को खाना पीना बांटा गया

प्रेम और करुणा के एक खूबसूरत लेन-देन में प्रयागराज के खुल्दाबाद में मुस्लिम समाज श्रद्धालुओं की सेवा के लिए आगे आया। उन्होंने खुले दिल से तीर्थयात्रियों को खाना बांटा, जो एकता की सच्ची भावना को दर्शाता है। दयालुता के इस निस्वार्थ काम ने भाईचारे के बंधन को मजबूत किया, धार्मिक सीमाओं से परे मानवता और करुणा की शक्ति को प्रदर्शित किया।



हालांकि, सोशल मीडिया पर एक और वायरल वीडियो में मुस्लिम और सिख निस्वार्थ भाव से कुंभ के श्रद्धालुओं को खाना बांटते हुए दिखाई दे रहे हैं, जो पवित्र समागम में धार्मिक सीमाओं को पार करते हुए प्रेम, एकता और सद्भाव की सच्ची भावना की मिसाल है।


महाकुंभ मेला 2025 को न केवल इसके धार्मिक महत्व के लिए बल्कि सभी बाधाओं को पार करते हुए एकता और करुणा के कार्यों के लिए याद किया जाएगा। फरहान आलम द्वारा राम शंकर की जान बचाने से लेकर मुस्लिम समाज द्वारा खाना पीना, शेल्टर और इलाज की व्यवस्था की निस्वार्थ सेवा तक, हर इशारा मानवता की शक्ति को उजागर करता है। प्रो. वी.के. त्रिपाठी के प्रेम और शांति के संदेश ने संकट के समय में एकता की आवश्यकता पर और जोर दिया। कुंभ मेले में दयालुता के ये दिल छू लेने वाले काम गंगा-जमुनी तहजबी की भावना को दर्शाते हैं, जहां करुणा, सहयोग और साझा मानवता आस्था के जड़ में हैं।

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