प्रयागराज: गंगा किनारे दफन लाशों से रातोंरात कफन उतरवा लिए गए

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 25, 2021
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का प्रयागराज कोरोना महामारी में जान गंवा रहे लोगों की वजह से देश-दुनिया की सुर्खियों में है। यहां गंगा किनारे दफन हजारों शवों की खबरें सामने आऩे के बाद बीते कई दिनों से सबकी नजरें प्रशासन पर टिकी हैं। यहां के श्रृंगवेरपुर घाट से पिछले दिनों जो तस्वीरें सामने आईं, वे विचलित करने वाली थीं। एक किलोमीटर के दायरे में एक मीटर से भी कम दूरी पर शव दफनाए गए थे।  


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इसके बाद से यहां जिला प्रशासन एक्टिव हो गया है। रविवार रात को प्रशासन ने श्रृंगवेरपुर घाट पर रातों-रात जेसीबी और मजदूर लगाकर शवों के निशान मिटा डाले। घाट पर लोगों ने अपने प्रियजनों के शवों की पहचान के लिए जो बांस और चुनरियों से निशान बनाए थे, वो अब पूरी तरह गायब हैं। अब श्मशान घाट के एक किलोमीटर दायरे में सिर्फ बालू ही बालू नजर आ रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि प्रशासन ने ये काम इतने गुपचुप तरीके से करवाया कि स्थानीय लोगों को भी भनक नहीं लगी। सुबह तक प्रशासनिक अमला वहां डेरा डाले रहा। लेकिन जब भास्कर ने अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उलटा भास्कर रिपोर्टर से पूछ लिया कि किसने शवों की पहचान मिटायी है?
 
प्रयागराज के एसपी गंगापर धवल जायसवाल का कहना है कि श्रृंगवेरपुर में शवों के निशान कैसे और किसने हटवाए, इसकी जांच की जाएगी। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। श्रृंगवेरपुर घाट पर पुरोहित का करने वाले ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शवों के निशान मिटाने के लिए करीब दो दर्जन मजदूरों को लगाया गया था। इसके अलावा दो जेसीबी भी लगाई गई थीं। जो लकड़ी, बांस और कपड़े, चुनरी और रामनामी शवों से उठाई गईं, उन्हें ट्रॉली में भरकर कहीं और ले जाया गया। बाद में उन्हें जला दिया गया।
 
घाट पर बने मंदिरों में रहने वाले पुरोहित जब सुबह गंगा स्नान को जाने लगे तो देखा पूरा मैदान साफ था। शवों पर से निशान गायब थे। शवदाह का काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि शवों की पहचान मिटाने के पीछे प्रशासन की क्या मंशा है, यह तो वही जाने। लेकिन यह ठीक नहीं हुआ।

गंगा जल का सैंपल भी लिया गया है
दरअसल, गंगा के घाट पर इतनी ज्यादा संख्या में दफनाए गए शवों के बाद पर्यावरणविदों ने भी सवाल उठाए थे। सोमवार को लखनऊ के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के शोधकर्ताओं ने प्रयागराज और श्रृंगवेरपुर समेत अन्य घाटों से गंगा के पानी का सैंपल लिया है। टीम के सदस्यों ने भी कहा है कि गंगा किनारे शवों के दफनाने और बहाए जाने के बाद पानी में हुए रासायनिक बदलावों की जांच की जाएगी।

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