देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने भी पीढ़ियों से ऐतिहासिक अन्नाय का शिकार रहे टोंगिया परिवारों को समाज और विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की कवायद को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत हरिद्वार के तीन वन टोंगिया गावों पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर और हरिपुर टोंगिया को राजस्व गांव का दर्जा देने से की गई है। तीनों टोंगिया के राजस्व गांव के प्रस्ताव को हरिद्वार जिला स्तरीय वनाधिकार समिति ने हरी झंडी देते हुए, शासन को भेज दिया है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
इससे प्रदेश के हजारों टोंगिया परिवारों को राजस्व ग्रामों की तर्ज पर नागरिक सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। आजादी के सात दशक बाद भी देवभूमि उत्तराखंड के टोंगिया वन गांव में ग्रामीण सड़क, बिजली-पानी की मूलभूत और शिक्षा स्वास्थ्य और यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां तक कि राजस्व ग्राम नहीं होने के चलते यहां लोगों को वोट डालने तक का अधिकार नहीं था। ऐसे में हरिद्वार जिला प्रशासन की कवायद परवान चढ़ी तो वन क्षेत्र में बसी इन टोंगिया बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा हासिल हो जाएगा। इन टोंगिया वन ग्रामों में पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर, हरिपुर टोंगिया शामिल है। गत मंगलवार को जिलाधिकारी एवं जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के अध्यक्ष धीरज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में टोंगिया वन ग्रामों- पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर, हरिपुर टोंगिया को राजस्व ग्राम की श्रेणी में शामिल किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा हुई और समिति ने उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा टोंगिया वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाए जाने के सम्बन्ध में उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया और राजस्व ग्राम घोषित करने के सम्बन्ध में शासन को प्रस्ताव अग्रेसित कर दिया।
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अनुसार टोंगिया वन ग्रामों में पुरुषोत्तम नगर, जिसकी कुल आवंटित भूमि 45.45 हेक्टेयर, कुल मूल परिवारों की संख्या 78 तथा ग्राम परिवार रजिस्टर के अनुसार जनसंख्या 1137 है। कमला नगर, जिसकी कुल आवंटित भूमि 15.65 हेक्टेयर, कुल परिवारों की संख्या 30 व जनसंख्या 396 है। इसी प्रकार हरिपुर टोंगिया, जिसकी कुल आवंटित भूमि 74.87 हेक्टेयर, कुल मूल परिवारों की संख्या 255 तथा कुल जनसंख्या 2300 है, को शासन द्वारा राजस्व दर्जा प्राप्त होने पर सभी प्रकार की सुविधायें प्राप्त होनी प्रारम्भ हो जाएंगी। इससे इन ग्रामों की 3833 की जनसंख्या लाभान्वित होगी।
राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास हजारों परिवार पीढ़ियों से टोंगिया वन गांवों में निवास करते आ रहे हैं। वन संरक्षण अधिनियम की वजह से इन गांवों में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो सकी हैं। बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क आदि की सुविधा के लिए टोंगिया गांवों में निवासरत लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दशकों से वे राजस्व गांवों का दर्जा मांग करते आ रहे हैं।
क्या हैं टोंगिया गांव
टोंगिया उन श्रमिकों के गांव हैं जो 1930 में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में लाए गए थे। आजादी से पहले इन श्रमिकों को वनों में स्थित गांवों को कई तरह की सुविधाएं भी हासिल थीं। 1980 के आसपास वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद इनके अधिकार खत्म हो गए और ये गांव भी संरक्षित वनों में घिर कर रह गए। अब वन अधिकार अधिनियम- 2006 के प्रावधानों के तहत, इन टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शासन ने राजस्व विभाग को नोडल विभाग नामित करते हुए हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जिलों के कलेक्टरों को एक समय सीमा के भीतर प्रस्ताव तैयार कर, कार्यवाही के निर्देश दिए थे। ताकि प्रदेश के हजारों टोंगिया परिवारों को भी राजस्व ग्राम की तरह नागरिक सुविधाएं मुहैया हो सकें।
राजस्व का दर्जा मिलने की पहल से पीढ़ियों से इन टोंगिया वन गावों में रहते आ रहे हजारों परिवारों को अच्छे भविष्य की आस जगी है। टोंगिया उन श्रमिकों के गांव हैं जो 1930 के दशक में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में लाए गए थे। राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास पीढ़ियों से हजारों परिवार, टोंगिया वन गांवों में निवास करते हैं लेकिन आजादी के अमृतकाल में भी बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा- स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। गांव और खेती की जमीनें वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण यहां विधायक निधि, जिला पंचायत निधि या फिर किसी अन्य सरकारी योजना से सड़कें नहीं बनाई जा सकती हैं। यही कारण है कि सैकड़ों साल गुजरने के बाद गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं है।
इसी सब के मद्देनजर उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने पिछले दिनों 6 जून को इस बाबत बैठक ली थी। उन्होंने उत्तरप्रदेश में अपनाई गई प्रक्रिया के तहत प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए थे। खास है कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर टोंगिया गांवों को राजस्व का दर्जा देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया गया है।
इन गावों को मिलेगा राजस्व का दर्जा
स्थानीय प्रशासन और मीडिया के अनुसार, राजस्व ग्राम के मानक पूरा करने वाले टोंगिया गांव में देहरादून जिले के चार गांव सत्ती वाला, दलीप नगर, बालकुंवारी व चांडी है तो हरिद्वार के हरिपुर, पुरुषोत्तमनगर, कमलानगर, रसूलपुर और टीरा टोंगिया पांच वन टोंगिया गांव शामिल हैं। नैनीताल जिले के लेटी, चोपड़ा व रामपुर तीन वन टोंगिया गांव भी मानक पर खरे पाए गए हैं। जबकि बग्गा-54 टोंगिया ग्राम मानकों को पूरा न करने के कारण उपयुक्त नहीं पाया गया है।
राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अंदर स्थित हजारा टोंगिया को पहले किया जाएगा विस्थापित
हरिद्वार डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल के अनुसार, हरिद्वार जिले में 6 टोंगिया गांव हैं जिनमें से हरिपुर, पुरुषोत्तम नगर और कमला नगर हरिद्वार वन प्रभाग के तहत आते हैं तथा टीरा टोंगिया, हजारा टोंगिया और रसूलपुर वन टोंगिया राजाजी राष्ट्रीय पार्क के तहत आते हैं। इनमें टीरा और रसूलपुर टोंगिया पार्क के बाहर स्थित है तथा हजारा टोंगिया गांव पार्क के अंदर आता है। फिलहाल इन पांचों टोंगिया को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाना है। इसके लिए ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति को 15 दिन में प्रस्ताव देने के लिए कहा गया है। बाकी हजारा वन टोंगिया गांव राजाजी राष्ट्रीय पार्क के तहत आता है जिसको पार्क से बाहर विस्थापित किया जाना है। उसके बाद ही हजारा टोंगिया को राजस्व ग्राम का दर्जा दिए जाने की कार्यवाही की जाएगी। हालांकि खास है कि अभी केवल तीन वन टोंगिया पुरुषोत्तम नगर कमला नगर और हरिपुर का ही प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
लंबे संघर्ष के बाद जीत से लोगों में खुशी: मुन्नीलाल
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के राष्ट्रीय संगठन सचिव मुन्नीलाल जी कहते हैं कि लंबे संघर्ष के बाद जीत मिलती दिख रही है। आजादी और विकास की नई रोशनी से लोगों में खुशी का माहौल है। हजारा टोंगिया की बाबत मुन्नीलाल जी बताते हैं कि वनाधिकार कानून के तहत हजारा टोंगिया को भी राजस्व का दर्जा मिलना है लेकिन यह अभी लोगों के ऊपर निर्भर है कि उन्हें पार्क के अंदर ही राजस्व ग्राम का दर्जा चाहिए या फिर पार्क से बाहर विस्थापित होने के बाद। कहा कि इस बाबत लोगों से बातचीत की जा रही है। खास यह है कि हजारा टोंगिया के लोगों ने खुद से ही पार्क से बाहर विस्थापन की मांग की थी।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
इससे प्रदेश के हजारों टोंगिया परिवारों को राजस्व ग्रामों की तर्ज पर नागरिक सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। आजादी के सात दशक बाद भी देवभूमि उत्तराखंड के टोंगिया वन गांव में ग्रामीण सड़क, बिजली-पानी की मूलभूत और शिक्षा स्वास्थ्य और यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां तक कि राजस्व ग्राम नहीं होने के चलते यहां लोगों को वोट डालने तक का अधिकार नहीं था। ऐसे में हरिद्वार जिला प्रशासन की कवायद परवान चढ़ी तो वन क्षेत्र में बसी इन टोंगिया बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा हासिल हो जाएगा। इन टोंगिया वन ग्रामों में पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर, हरिपुर टोंगिया शामिल है। गत मंगलवार को जिलाधिकारी एवं जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के अध्यक्ष धीरज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में टोंगिया वन ग्रामों- पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर, हरिपुर टोंगिया को राजस्व ग्राम की श्रेणी में शामिल किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा हुई और समिति ने उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा टोंगिया वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाए जाने के सम्बन्ध में उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया और राजस्व ग्राम घोषित करने के सम्बन्ध में शासन को प्रस्ताव अग्रेसित कर दिया।
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अनुसार टोंगिया वन ग्रामों में पुरुषोत्तम नगर, जिसकी कुल आवंटित भूमि 45.45 हेक्टेयर, कुल मूल परिवारों की संख्या 78 तथा ग्राम परिवार रजिस्टर के अनुसार जनसंख्या 1137 है। कमला नगर, जिसकी कुल आवंटित भूमि 15.65 हेक्टेयर, कुल परिवारों की संख्या 30 व जनसंख्या 396 है। इसी प्रकार हरिपुर टोंगिया, जिसकी कुल आवंटित भूमि 74.87 हेक्टेयर, कुल मूल परिवारों की संख्या 255 तथा कुल जनसंख्या 2300 है, को शासन द्वारा राजस्व दर्जा प्राप्त होने पर सभी प्रकार की सुविधायें प्राप्त होनी प्रारम्भ हो जाएंगी। इससे इन ग्रामों की 3833 की जनसंख्या लाभान्वित होगी।
राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास हजारों परिवार पीढ़ियों से टोंगिया वन गांवों में निवास करते आ रहे हैं। वन संरक्षण अधिनियम की वजह से इन गांवों में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो सकी हैं। बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क आदि की सुविधा के लिए टोंगिया गांवों में निवासरत लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दशकों से वे राजस्व गांवों का दर्जा मांग करते आ रहे हैं।
क्या हैं टोंगिया गांव
टोंगिया उन श्रमिकों के गांव हैं जो 1930 में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में लाए गए थे। आजादी से पहले इन श्रमिकों को वनों में स्थित गांवों को कई तरह की सुविधाएं भी हासिल थीं। 1980 के आसपास वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद इनके अधिकार खत्म हो गए और ये गांव भी संरक्षित वनों में घिर कर रह गए। अब वन अधिकार अधिनियम- 2006 के प्रावधानों के तहत, इन टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शासन ने राजस्व विभाग को नोडल विभाग नामित करते हुए हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जिलों के कलेक्टरों को एक समय सीमा के भीतर प्रस्ताव तैयार कर, कार्यवाही के निर्देश दिए थे। ताकि प्रदेश के हजारों टोंगिया परिवारों को भी राजस्व ग्राम की तरह नागरिक सुविधाएं मुहैया हो सकें।
राजस्व का दर्जा मिलने की पहल से पीढ़ियों से इन टोंगिया वन गावों में रहते आ रहे हजारों परिवारों को अच्छे भविष्य की आस जगी है। टोंगिया उन श्रमिकों के गांव हैं जो 1930 के दशक में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में लाए गए थे। राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास पीढ़ियों से हजारों परिवार, टोंगिया वन गांवों में निवास करते हैं लेकिन आजादी के अमृतकाल में भी बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा- स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। गांव और खेती की जमीनें वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण यहां विधायक निधि, जिला पंचायत निधि या फिर किसी अन्य सरकारी योजना से सड़कें नहीं बनाई जा सकती हैं। यही कारण है कि सैकड़ों साल गुजरने के बाद गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं है।
इसी सब के मद्देनजर उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने पिछले दिनों 6 जून को इस बाबत बैठक ली थी। उन्होंने उत्तरप्रदेश में अपनाई गई प्रक्रिया के तहत प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए थे। खास है कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर टोंगिया गांवों को राजस्व का दर्जा देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया गया है।
इन गावों को मिलेगा राजस्व का दर्जा
स्थानीय प्रशासन और मीडिया के अनुसार, राजस्व ग्राम के मानक पूरा करने वाले टोंगिया गांव में देहरादून जिले के चार गांव सत्ती वाला, दलीप नगर, बालकुंवारी व चांडी है तो हरिद्वार के हरिपुर, पुरुषोत्तमनगर, कमलानगर, रसूलपुर और टीरा टोंगिया पांच वन टोंगिया गांव शामिल हैं। नैनीताल जिले के लेटी, चोपड़ा व रामपुर तीन वन टोंगिया गांव भी मानक पर खरे पाए गए हैं। जबकि बग्गा-54 टोंगिया ग्राम मानकों को पूरा न करने के कारण उपयुक्त नहीं पाया गया है।
राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अंदर स्थित हजारा टोंगिया को पहले किया जाएगा विस्थापित
हरिद्वार डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल के अनुसार, हरिद्वार जिले में 6 टोंगिया गांव हैं जिनमें से हरिपुर, पुरुषोत्तम नगर और कमला नगर हरिद्वार वन प्रभाग के तहत आते हैं तथा टीरा टोंगिया, हजारा टोंगिया और रसूलपुर वन टोंगिया राजाजी राष्ट्रीय पार्क के तहत आते हैं। इनमें टीरा और रसूलपुर टोंगिया पार्क के बाहर स्थित है तथा हजारा टोंगिया गांव पार्क के अंदर आता है। फिलहाल इन पांचों टोंगिया को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाना है। इसके लिए ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति को 15 दिन में प्रस्ताव देने के लिए कहा गया है। बाकी हजारा वन टोंगिया गांव राजाजी राष्ट्रीय पार्क के तहत आता है जिसको पार्क से बाहर विस्थापित किया जाना है। उसके बाद ही हजारा टोंगिया को राजस्व ग्राम का दर्जा दिए जाने की कार्यवाही की जाएगी। हालांकि खास है कि अभी केवल तीन वन टोंगिया पुरुषोत्तम नगर कमला नगर और हरिपुर का ही प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
लंबे संघर्ष के बाद जीत से लोगों में खुशी: मुन्नीलाल
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के राष्ट्रीय संगठन सचिव मुन्नीलाल जी कहते हैं कि लंबे संघर्ष के बाद जीत मिलती दिख रही है। आजादी और विकास की नई रोशनी से लोगों में खुशी का माहौल है। हजारा टोंगिया की बाबत मुन्नीलाल जी बताते हैं कि वनाधिकार कानून के तहत हजारा टोंगिया को भी राजस्व का दर्जा मिलना है लेकिन यह अभी लोगों के ऊपर निर्भर है कि उन्हें पार्क के अंदर ही राजस्व ग्राम का दर्जा चाहिए या फिर पार्क से बाहर विस्थापित होने के बाद। कहा कि इस बाबत लोगों से बातचीत की जा रही है। खास यह है कि हजारा टोंगिया के लोगों ने खुद से ही पार्क से बाहर विस्थापन की मांग की थी।
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