प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस और केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार
मुश्ताक खान/मुंबई। दादर स्टेशन पूर्व परिसर में मणिपुर में पिछले 83 दिनों से लगातार चल रहे जातीय दंगे के खिलाफ करीब आधा दर्जन से अधिक संस्था और संगठनों ने मौजूदा केंद्र की मोदी सरकार और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के खिलाफ संयुक्त धरना प्रदर्शन किया।
सोमवार को हुए इस धरना में प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि जातीय दंगा में कुकी आदिवासी महिलाओं को नंगा घुमाने और उसके साथ रेप करने जैसे घिनौना काम को अंजाम देने वालों को फांसी की सजा होनी चाहिए।
गौरतलब है कि सोमवार यानि इस सप्ताह का पहला दिन बारिश होने के बावजूद काफी गरमा -गर्मी में बीता, मणिपुर की घटना को लेकर पुरे देशवासियों में उबाल है। वहीं मुंबई के दादर स्टेशन के पूर्व परिसर में संयुक्त मोर्चा किया गया।
वाम जनवादी महिला संगठनों की ओर से संयुक्त मोर्चा में अभा जनवादी महिला संगठन, अखिल भारतीय महिला फेडरेशन, कामकाजी महिला समन्वय समिति, ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन, डेमोक्रेटिक युथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, स्त्री मुक्ति संघटना, बेबाक, फोरम, कुसूमताई चौधरी महिला कल्याणी जैसी संस्थाओं ने जातीय दंगे का जमकर विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस और मौजूदा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा की जातीय दंगे का मास्टर माइंड कोई और नहीं बल्कि यही लोग हैं। जातीय दंगा में कुकी आदिवासी महिलाओं को नंगा घुमाने और उसके साथ रेप जैसे घिनौना काम को अंजाम देने व पीड़िता के परिजनों को मौत के घाट उतरने वाला कोई और नहीं बल्कि आर एस एस के लोग हैं।
धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इनमे सीपीआई के नेता कामरेड प्रकाश रेड्डी, कामरेड प्रकाश नार्वेकर, कामरेड मिलिंद रनाडे, कामरेड नसीरूल हक, कामरेड चंद्रकांत देसाई, महिला फेडरेशन की सचिव कामरेड अनुराधा रेड्डी, युवा नेता शंकर कुंचीकर्वे, शिवजी बेडेकर, रीता शेडगे, अमीर काजी. हम भारत के लोग फीरोजामीठी बोरवाला, जनवादी महिला संगठन की नेता कामरेड मरियम ढवले, अनहिता ईरानी, महिला फेडरेशन की अश्विनी रनाडे, दीपाली कुंचिकोर्वे आदि शामिल थीं।
Courtesy: jagatprahari.com
मुश्ताक खान/मुंबई। दादर स्टेशन पूर्व परिसर में मणिपुर में पिछले 83 दिनों से लगातार चल रहे जातीय दंगे के खिलाफ करीब आधा दर्जन से अधिक संस्था और संगठनों ने मौजूदा केंद्र की मोदी सरकार और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के खिलाफ संयुक्त धरना प्रदर्शन किया।
सोमवार को हुए इस धरना में प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि जातीय दंगा में कुकी आदिवासी महिलाओं को नंगा घुमाने और उसके साथ रेप करने जैसे घिनौना काम को अंजाम देने वालों को फांसी की सजा होनी चाहिए।
गौरतलब है कि सोमवार यानि इस सप्ताह का पहला दिन बारिश होने के बावजूद काफी गरमा -गर्मी में बीता, मणिपुर की घटना को लेकर पुरे देशवासियों में उबाल है। वहीं मुंबई के दादर स्टेशन के पूर्व परिसर में संयुक्त मोर्चा किया गया।
वाम जनवादी महिला संगठनों की ओर से संयुक्त मोर्चा में अभा जनवादी महिला संगठन, अखिल भारतीय महिला फेडरेशन, कामकाजी महिला समन्वय समिति, ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन, डेमोक्रेटिक युथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, स्त्री मुक्ति संघटना, बेबाक, फोरम, कुसूमताई चौधरी महिला कल्याणी जैसी संस्थाओं ने जातीय दंगे का जमकर विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस और मौजूदा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा की जातीय दंगे का मास्टर माइंड कोई और नहीं बल्कि यही लोग हैं। जातीय दंगा में कुकी आदिवासी महिलाओं को नंगा घुमाने और उसके साथ रेप जैसे घिनौना काम को अंजाम देने व पीड़िता के परिजनों को मौत के घाट उतरने वाला कोई और नहीं बल्कि आर एस एस के लोग हैं।
धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इनमे सीपीआई के नेता कामरेड प्रकाश रेड्डी, कामरेड प्रकाश नार्वेकर, कामरेड मिलिंद रनाडे, कामरेड नसीरूल हक, कामरेड चंद्रकांत देसाई, महिला फेडरेशन की सचिव कामरेड अनुराधा रेड्डी, युवा नेता शंकर कुंचीकर्वे, शिवजी बेडेकर, रीता शेडगे, अमीर काजी. हम भारत के लोग फीरोजामीठी बोरवाला, जनवादी महिला संगठन की नेता कामरेड मरियम ढवले, अनहिता ईरानी, महिला फेडरेशन की अश्विनी रनाडे, दीपाली कुंचिकोर्वे आदि शामिल थीं।
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