मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दलित बस्ती पर चला बुल्डोजर, रोते-बिलखते रहे लोग

Written by sabrang india | Published on: May 31, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को चकाचक दिखाने के लिए राजघाट स्थित किला कोहना बस्ती में रहने वाले लोगों के घर उनकी आंखों के सामने बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिए गए। यह बस्ती बनारस के चर्चित नमो घाट के नजदीक है, जिसे ढाई बरस पहले माझियों की खिड़किया घाट बस्ती को उजाड़कर बनाया गया था। बनारस प्रशासन ने जिन लोगों को उजाड़ा है उनमें ज्यादातर दलित और मुसलमान हैं, जिनके पास रहने के लिए अब कोई दूसरा ठिकाना नहीं है। कई पीढ़ियों से वहां रह रहे लोगों के पास बिजली-पानी का बिल, आधार कार्ड तो है ही, वहीं के पते पर वोटर लिस्ट और सरकारी दस्तावेजों में नाम भी है। किला कोहना बस्ती में बुलडोजर चलाए जाने से ठेला, गुमटी, रेहड़ी और पटरी पर दुकान लगाने वाले सैकड़ों लोगों को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा है।

 


बुधवार को अपने घरों पर बुलडोजर चलते देख गरीब लोग चीखते, रोते हुए लोग पूछ रहे हैं- ये कहां का इंसाफ है? एक तरह हमारे देश के प्रधान मंत्री का कहना है 'सबका साथ सबका विकास', दूसरी तरफ हम गरीबों को खून के आंसू रुलाया जा रहा है । बड़े बूढ़े यहाँ तक कि बच्चे भी रो रहे थे, उनका क्या कसूर था? वो गरीब थे यही सबसे बड़ा गुनाह था?

 काशी रेलवे स्टेशन (Kashi Station) पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के इंटरमॉडल स्टेशन के निर्माण की प्रक्रिया में एक बार फिर तेजी आ गई। बुधवार को बड़ी संख्या में फोर्स के साथ पहुंचे रेल प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में कथित अतिक्रमण किला कोहना को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई। रेलवे का कहना है कि इस बस्ती को रेल प्रशासन की ओर से पहले से नोटिस दिया जा रहा था लेकिन बस्ती वाले बस्ती खाली नहीं कर रहे थे।
        
यह मामला प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस शहर के राजघाट किला कोहना काशी स्टेशन के पास का है। किला कोहना जो कि राजघाट खिड़किया घाट/नमो घाट के नाम से प्रसिद्ध है और काशी स्टेशन के बीच मे एक बस्ती है। जहां वाल्मीकि, दरजी, खान, पठान, और पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं। यहाँ के लोग मजदूरी कर अपने घर को चलाते हैं और ज्यादातर लोग दूसरों के घर जा कर मजदूरी करते हैं। लेकिन अचानक एक दिन रेलवे की तरफ से एक नोटिस आता है कि जमीन को खाली कर दिया जाए।
          
उस नोटिस में लिखा हुआ था कि ये जमीन रेलवे की है। वहां के लोग यह सोच कर घबरा गए कि यह जमीन तो उन्होंने खरीदी है और इसका मकान टैक्स, पानी टैक्स, बिजली टैक्स सालों से दे रहे हैं और यहाँ तक कि उन लोगों के पास राशन कार्ड और मकान का सरकारी कागज भी है। किला कोहना मे लोग बहुत पुराने समय से, तकरीबन 2-3 पीडियों से यहाँ पर रहते आ रहे हैं। 

नोटिस मिलने के बाद से स्थानीय निवासी कभी रेलवे के पास भागते तो कभी कानून का दरवाजा खटखटाने में लगे थे। रेलवे का कहना है कि ये जमीन उनकी है, और ये लोग अवैध रुप से रह रहे हैं। रेलवे का कहना है कि यहाँ कुल 6-7 परिवार रहते थे और लोगों की कुल संख्या 30 से 40 लोगो की है। इसके बाद बस्ती के बाकी लोगों ने चिंतित होकर जिला प्रशासन से लेकर अन्य सभी जगह का दरवाजा खटखटा लिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
             
ज्ञापन देने के बाद S.D.M ने आश्वासन दिया की आप की बातें DM सर के सामने रखी जायेंगी। उसके बाद लोगों के अन्दर एक उम्मीद की किरण दिखी और वैसा ही हुआ जिस दिन घरों को ध्वस्त करना था वो टल गया। लेकि उसके दूसरे दिन ही रेलवे के लोग बस्ती में आ कर लोगो को डराने और धमकाने लगे और जल्द से जल्द बस्ती खाली करने को कहा गया। 

राजघाट स्थित किला कोहना बस्ती में उत्तर रेलवे ने 9 अप्रैल 2023 को गुपचुप तरीके से बेदखली की नोटिस चस्पा कराई थी। नोटिस में दावा किया गया था कि समूची बस्ती अवैध है। घरों को खाली नहीं करने पर बुलडोजर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। इस बस्ती में करीब 450 से अधिक बेबस और लाचार जिंदगियां रहती थीं। पुराने बनारस को नया बनारस बनाने और हाशिए के लोगों की बस्तियों को उजाड़ने का चलन नया नहीं है। जी-20 के भव्य आयोजन की तैयारियों के बीच अप्रैल 2023 में जब किला कोहना बस्ती में गरीबों के घरों को हरे पर्दे से ढंका जा रहा था तभी लोग आशंकित रहने लगे थे कि सरकार देर-सबेर उनके घरों पर बुलोडजर जरूर चलवाएगी।

बनारस पुलिस ने दो दिन पहले बस्ती खाली करने के लिए लाउडस्पीकर से ऐलान कराया और बुधवार की सुबह भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में समूची बस्ती पर बुलोडजर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। सैकड़ों की तादाद में मौके पर मौजूद पुलिस ने किला कोहना बस्ती को चौतरफा घेर लिया। मीडिया कर्मियों को भी बस्ती के अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को गरीबों की खुर्द-बुर्द होती जिंदगी से न किसी को मतलब था, न मलाल और न किसी के चेहरे पर कोई शिकन। यह स्थिति तब थी जब सैकड़ों औरतें, बच्चे और बूढ़े लहकती गर्मी और लू के थपेड़ों को झेलते हुए सड़क पर बेबश पड़े थे। जिन औरतों के घरों में पुरुष नहीं थे उनकी स्थिति और भी ज्यादा दर्दनाक और भयावह थी। पुलिस ने बहुत से लोगों को अपना सामान निकालने तक का मौका नहीं दिया और उनके घरों पर बुलोडजर चलवा दिया। हर कोई जहां-तहां भागता और बिलबिलाता नजर आया।

बुल्डोजर कार्रवाई के दृश्य नीचे देख सकते हैं:








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