उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अंतिम चरण 29 अप्रैल, 2021 को संपन्न हो गए। अब 2 मई को मतगणना जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले 706 बेसिक शिक्षक व कर्मचारियों के कोरोना संक्रमण से मृत्यु की सूची चुनाव आयोग को सौंपी है। इसके साथ ही 300 अन्य शिक्षकों को बीमार बताया है।
चुनावों के दौरान वोटिंग के स्थगन की मांग करने वाले शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि उच्च अधिकारियों ने कई शिक्षक व कर्मचारियों को तबीयत खराब होने के बावजूद जबरदस्ती पोलिंग बूथों पर ड्यूटी के लिए भेजा साथ ही इन बूथों पर संक्रमण से बचाव के इंतजाम बेहद ढीले थे, जिसकी वजह से सैकड़ों शिक्षकों को जान गंवानी पड़ी है।
पंचायत चुनाव ड्यूटी पर काम करने के लिए मजबूर 700 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों की मृत्यु की घोषणा के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने 29 अप्रैल को गंभीर रूप से बीमार करीब 300 अन्य शिक्षकों को लेकर चिंता व्यक्त की।
शिक्षक संघ के महासचिव संजय सिंह के अनुसार, संघ सदस्यों ने बढ़ती मृत्यु के आलोक में पिछली बैठकों के दौरान सभी चुनाव संबंधी कर्तव्यों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। सदस्यों ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) से मतगणना के लिए आवश्यक सावधानियों के बारे में पूछा।
हालांकि, सिंह ने सरकार के हलफनामे में प्रशासन के दावों की निंदा की। उन्होंने कहा, “वे दावा करते हैं कि वे आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। ये दावे के अलावा कुछ नहीं हैं। हमारे सदस्यों का नुकसान इसका प्रमाण है। यहां कुछ भी नहीं हो रहा है।”
फिर भी 1 मई को शीर्ष अदालत ने राज्य के हलफनामे के माध्यम से राज्य पंचायत चुनावों की गिनती के लिए अनुमति दी। सुनवाई इस निष्कर्ष के साथ समाप्त हुई कि मतगणना केंद्रों के पास के क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया जाएगा और परिणाम के बाद जीत की रैलियां नहीं होंगी। न्यायाधीशों ने अधिकारियों को सभी मतगणना केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज रखने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसईसी से कहा था कि वह मतगणना को फिलहाल टाल दे।
बहरहाल, एसईसी इस कदम को जारी रखने पर अडिग रहा। एसईसी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि प्रत्येक मतगणना केंद्र में 75 व्यक्ति होंगे और कुल 829 मतगणना केंद्र हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकार का एक क्लास 1 अधिकारी हर केंद्र की स्थिति की निगरानी करेगा।
इ स पर शीर्ष अदालत ने जवाब दिया कि कुछ भी गलत होने पर वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
चुनावों के दौरान वोटिंग के स्थगन की मांग करने वाले शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि उच्च अधिकारियों ने कई शिक्षक व कर्मचारियों को तबीयत खराब होने के बावजूद जबरदस्ती पोलिंग बूथों पर ड्यूटी के लिए भेजा साथ ही इन बूथों पर संक्रमण से बचाव के इंतजाम बेहद ढीले थे, जिसकी वजह से सैकड़ों शिक्षकों को जान गंवानी पड़ी है।
पंचायत चुनाव ड्यूटी पर काम करने के लिए मजबूर 700 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों की मृत्यु की घोषणा के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने 29 अप्रैल को गंभीर रूप से बीमार करीब 300 अन्य शिक्षकों को लेकर चिंता व्यक्त की।
शिक्षक संघ के महासचिव संजय सिंह के अनुसार, संघ सदस्यों ने बढ़ती मृत्यु के आलोक में पिछली बैठकों के दौरान सभी चुनाव संबंधी कर्तव्यों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। सदस्यों ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) से मतगणना के लिए आवश्यक सावधानियों के बारे में पूछा।
हालांकि, सिंह ने सरकार के हलफनामे में प्रशासन के दावों की निंदा की। उन्होंने कहा, “वे दावा करते हैं कि वे आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। ये दावे के अलावा कुछ नहीं हैं। हमारे सदस्यों का नुकसान इसका प्रमाण है। यहां कुछ भी नहीं हो रहा है।”
फिर भी 1 मई को शीर्ष अदालत ने राज्य के हलफनामे के माध्यम से राज्य पंचायत चुनावों की गिनती के लिए अनुमति दी। सुनवाई इस निष्कर्ष के साथ समाप्त हुई कि मतगणना केंद्रों के पास के क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया जाएगा और परिणाम के बाद जीत की रैलियां नहीं होंगी। न्यायाधीशों ने अधिकारियों को सभी मतगणना केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज रखने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसईसी से कहा था कि वह मतगणना को फिलहाल टाल दे।
बहरहाल, एसईसी इस कदम को जारी रखने पर अडिग रहा। एसईसी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि प्रत्येक मतगणना केंद्र में 75 व्यक्ति होंगे और कुल 829 मतगणना केंद्र हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकार का एक क्लास 1 अधिकारी हर केंद्र की स्थिति की निगरानी करेगा।
इ स पर शीर्ष अदालत ने जवाब दिया कि कुछ भी गलत होने पर वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।