नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोविड से जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिजनों को मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपये दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि इसके लिए एक यूनिफर्म पॉलिसी होनी चाहिए कि जिन लोगों की कोरोना वायरस के कारण मौत हुई है उन्हें मुआवजा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह उस गाइडलाइंस को पेश करे जिसके तहत कोविड से मौत के बाद डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आईसीएमआर की गाइडलाइंस पेश करे जिसमें कोविड से मौत के बाद डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का प्रावधान है और इसके लिए एक यूनिफर्म पॉलिसी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि कोविड से मौत के बाद एक यूनिफर्म पॉलिसी के तहत डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जाना चाहिए और मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा राशि दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए दो अर्जियां दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अर्जियों पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक कोविड से होने वाली मौत के बाद एक समान दस्तावेज यानी डेथ सर्टिफिकेट एक तरह से जारी करने की पॉलिसी नहीं होगी तब तक कोविड से मरने वालों के परिजन मुआवजा पाने (अगर दिया जाता है) के लिए सक्षम नहीं हो पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी से कहा कि वह बताएं कि क्या डेथ सर्टिफिकेट जारी करने में एक समान नीति है क्या डेथ सर्टिफिकेट में ये कारण दर्ज होता है कि मौत कोविड से हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें कह रही है कि वह आईसीएमआर की गाइडलाइंस का पालन करती है। अदालत ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि आप आईसीएमआर के गाइडलाइंस पेश करें और बताएं कि कोविड विक्टिम की मौत के बाद क्या यूनिफर्म पॉलिसी के तहत डेथ सर्टिफिकेट जारी होता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई केसों में मौत लंग्स इन्फेक्शन या फिर हर्ट प्रोब्लम के कारण होती है, लेकिन ये सब कोविड के कारण ही होता है और ये डेथ सर्टिफिकेट में लिखा नहीं होता। ऐसे में अगर कोई कोविड पीड़ित है और मौत होती है तो उसके परिजनों को दर-दर मुआवजे के लिए भटकना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये पीड़ित परिवार के प्रति फेयर नहीं होगा कि मौत के बाद कारण अलग लिखा हो जबकि मौत की असली वजह कोविड है। अदालत ने कहा कि केंद्र जवाब दाखिल करे और अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तारीख तय कर दी गई है। इस मामले में याचिकारक्ता वकील गौरव कुमार बंसल ने अर्जी दाखिल कर कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट कहता है कि अगर कोई भी डिजास्टर के कारण मरता है तो उसके परिजन मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपये पाने का हकदार है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आईसीएमआर की गाइडलाइंस पेश करे जिसमें कोविड से मौत के बाद डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का प्रावधान है और इसके लिए एक यूनिफर्म पॉलिसी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि कोविड से मौत के बाद एक यूनिफर्म पॉलिसी के तहत डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जाना चाहिए और मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा राशि दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए दो अर्जियां दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अर्जियों पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक कोविड से होने वाली मौत के बाद एक समान दस्तावेज यानी डेथ सर्टिफिकेट एक तरह से जारी करने की पॉलिसी नहीं होगी तब तक कोविड से मरने वालों के परिजन मुआवजा पाने (अगर दिया जाता है) के लिए सक्षम नहीं हो पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी से कहा कि वह बताएं कि क्या डेथ सर्टिफिकेट जारी करने में एक समान नीति है क्या डेथ सर्टिफिकेट में ये कारण दर्ज होता है कि मौत कोविड से हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें कह रही है कि वह आईसीएमआर की गाइडलाइंस का पालन करती है। अदालत ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि आप आईसीएमआर के गाइडलाइंस पेश करें और बताएं कि कोविड विक्टिम की मौत के बाद क्या यूनिफर्म पॉलिसी के तहत डेथ सर्टिफिकेट जारी होता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई केसों में मौत लंग्स इन्फेक्शन या फिर हर्ट प्रोब्लम के कारण होती है, लेकिन ये सब कोविड के कारण ही होता है और ये डेथ सर्टिफिकेट में लिखा नहीं होता। ऐसे में अगर कोई कोविड पीड़ित है और मौत होती है तो उसके परिजनों को दर-दर मुआवजे के लिए भटकना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये पीड़ित परिवार के प्रति फेयर नहीं होगा कि मौत के बाद कारण अलग लिखा हो जबकि मौत की असली वजह कोविड है। अदालत ने कहा कि केंद्र जवाब दाखिल करे और अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तारीख तय कर दी गई है। इस मामले में याचिकारक्ता वकील गौरव कुमार बंसल ने अर्जी दाखिल कर कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट कहता है कि अगर कोई भी डिजास्टर के कारण मरता है तो उसके परिजन मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपये पाने का हकदार है।