अपनी उत्तर-दक्षिण की राजनीति के साथ, कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजकल अपने अलग अंदाज को लेकर चर्चाओं में छाए हैं और हर रूप में वह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में, भाजपाई राहुल गांधी को लाख पार्ट टाइम नेता बताएं लेकिन राहुल गांधी का हर वार, भाजपा की राजनीति को अंदर तक छलनी कर दे रहा है। यही नहीं, पुराने कांग्रेसी (जी-23 नेता) भी राहुल को लाख नसीहत देते दिखे लेकिन लोगों को उन (राहुल) की इस नई राजनीति में एक सुखद सुकून नजर आ रहा है।

हाल में सुदूर दक्षिण के दौरे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक नए रूप में नजर आए। अपने इस नए अवतार की वजह से राहुल सोशल मीडिया में भी जमकर ट्रेंड हो रहे हैं। ट्विटर से लगाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम तक खबरों में सब जगह राहुल गांधी की बॉडी बिल्डिंग और पुश-अप्स की चर्चा हो रही है। एक तमिल लड़की की चुनौती पर राहुल ने 9 सेकंड में नॉनस्टॉप 13 पुशअप्स ठोक मारे हैं। वो भी सभी के सामने एक प्रोग्राम में।
राहुल गांधी ने इससे पहले केरल में मछुआरों के साथ समुद्र में तैराकी की और सिक्स पैक एब्स दिखाए। तमिलनाडु दौरे में कन्याकुमारी में रोड शो निकाला। मुलगामुदुबन कन्याकुमारी के सेंट जोसेफ मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल में राहुल गांधी ने छात्र-छात्राओं से बात की। राहुल गांधी ने स्कूल में शिक्षकों और छात्रों के साथ पांरपरिक नृत्य भी किया।
खैर, बात राजनीति की ही करें तो भले बीजेपी नेता लाख कहते रहे कि राहुल गांधी एक पार्ट टाइम नेता हैं, पर पिछले कुछ दिनों से उनकी सक्रियता से साफ है कि वह योजना के तहत काम कर रहे हैं और देश की राजनीति पर असर डाल रहे हैं। यही नहीं, चाहे पीएम मोदी हों या बीजेपी के छोटे-बड़े नेता सभी के निशाने पर वे ही हैं। राहुल गांधी का असर पूरे बीजेपी पर साफ दिख रहा है। ऐसा तो तब भी नहीं हुआ था, जब राहुल की पार्टी सत्ता में थी। वर्तमान में राहुल गांधी बड़ी चालाकी से खुद को बीजेपी के निशाने पर ले आए हैं। वह हर भाषण में ब्रांड मोदी की एक परत को उधेड़ कर इस उम्मीद में रख देते हैं कि एक दिन वे उस हाइप को खत्म कर पाएंगे जिसने 2014 में मोदी को सत्ता तक पहुंचा दिया था। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो परसेप्शन की राजनीति में भी वह काफी हद तक कामयाब होते दिख रहे हैं।
यही नहीं, केरल के तिरुअनंतपुरम में राहुल गांधी के बयान, ’बीते 15 सालों से मैं उत्तर भारत से सांसद था, मेरे लिए केरल आना बड़ा ही ताज़गी वाला अनुभव रहा क्योंकि मैंने पाया कि यहां लोगों की मुद्दों में रूचि है, लोग बस मुद्दों को सतही तौर पर नहीं जानते बल्कि इसे काफ़ी गहराई के साथ समझते हैं', जिसे लेकर भाजपा के साथ कांग्रेसी (खासकर जी-23 के नेता) भी उनको नसीहत देते नजर आए लेकिन राहुल ने क्या गलत कहा। भाजपा राहुल गांधी पर देश को तोड़ने का आरोप लगा रही है लेकिन ये आरोप जहां खुद-ब-खुद हास्यास्पद बनकर रह गए हैं। वहीं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, वाली स्थिति को ही ज्यादा परिलक्षित करते दिखते हैं।
दादी इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने के फैसले को गलती बताकर भी राहुल गांधी ने भाजपा के 'अघोषित आपातकाल' वाले राजनीतिक आरोपों को ही जमीन देने का काम किया है। एक तरह से राहुल ने आज के भारत की राजनीतिक समस्या की नब्ज पर ही हाथ रख दिया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान सरकार भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है। भारत में हर संस्था की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है। इसके बीच सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया से विपक्ष के लिए राजनीति कर पाना लगभग असंभव हो गया है। अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कौशिक बसु और छात्रों से एक संवाद में राहुल गांधी ने कहा कि 1975 में लगाई गई इमरजेंसी और अभी जो हो रहा है उसमें काफी अंतर है। तब कांग्रेस पार्टी ने संस्थानों पर कब्जा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ढांचा ऐसा है कि वह चाहे भी तो यह नहीं कर सकती।
जबकि आज चाहे न्यायालय हो, चाहे चुनाव आयोग हो, या कोई भी स्वतंत्र संस्था, सब जगह पर एक ही विचारधारा के लोगों का कब्जा हो गया है। मीडिया से लेकर न्यायालय तक को निशाना बनाया जा रहा है। राज्यों में राज्यपाल सत्ताधारी भाजपा की मदद कर रहे हैं। इसी बातचीत में राहुल गांधी ने दो टूक कहा कि इमरजेंसी लगाना तत्कालीन कांग्रेस सरकार की गलती थी, जिसे बाद में उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी ने स्वीकार भी किया था। उन्होंने कहा कि आज आरएसएस से जुड़े लोगों की संस्थानों में ऐसी पैठ हो गई है कि ‘अगर हम भाजपा को चुनाव में हरा भी दें तब भी हम संस्थागत ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा नहीं पा सकेंगे।’
राहुल गांधी ने कमलनाथ के साथ बातचीत को याद करते हुए कहा कि कमलनाथ ने उन्हें बताया था कि मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते थे, क्योंकि वे आरएसएस के लोग थे। क्या इन बातों में सच्चाई नहीं है? राहुल गांधी ने कहा कि इस स्थिति में कांग्रेस की भूमिका उभर रहे जन संघर्षों के बीच समन्वय बनाने की रह गई है। यानी उनकी सारी उम्मीद किसान आंदोलन जैसे संघर्षों पर टिकी है।
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हाल में सुदूर दक्षिण के दौरे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक नए रूप में नजर आए। अपने इस नए अवतार की वजह से राहुल सोशल मीडिया में भी जमकर ट्रेंड हो रहे हैं। ट्विटर से लगाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम तक खबरों में सब जगह राहुल गांधी की बॉडी बिल्डिंग और पुश-अप्स की चर्चा हो रही है। एक तमिल लड़की की चुनौती पर राहुल ने 9 सेकंड में नॉनस्टॉप 13 पुशअप्स ठोक मारे हैं। वो भी सभी के सामने एक प्रोग्राम में।
राहुल गांधी ने इससे पहले केरल में मछुआरों के साथ समुद्र में तैराकी की और सिक्स पैक एब्स दिखाए। तमिलनाडु दौरे में कन्याकुमारी में रोड शो निकाला। मुलगामुदुबन कन्याकुमारी के सेंट जोसेफ मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल में राहुल गांधी ने छात्र-छात्राओं से बात की। राहुल गांधी ने स्कूल में शिक्षकों और छात्रों के साथ पांरपरिक नृत्य भी किया।
खैर, बात राजनीति की ही करें तो भले बीजेपी नेता लाख कहते रहे कि राहुल गांधी एक पार्ट टाइम नेता हैं, पर पिछले कुछ दिनों से उनकी सक्रियता से साफ है कि वह योजना के तहत काम कर रहे हैं और देश की राजनीति पर असर डाल रहे हैं। यही नहीं, चाहे पीएम मोदी हों या बीजेपी के छोटे-बड़े नेता सभी के निशाने पर वे ही हैं। राहुल गांधी का असर पूरे बीजेपी पर साफ दिख रहा है। ऐसा तो तब भी नहीं हुआ था, जब राहुल की पार्टी सत्ता में थी। वर्तमान में राहुल गांधी बड़ी चालाकी से खुद को बीजेपी के निशाने पर ले आए हैं। वह हर भाषण में ब्रांड मोदी की एक परत को उधेड़ कर इस उम्मीद में रख देते हैं कि एक दिन वे उस हाइप को खत्म कर पाएंगे जिसने 2014 में मोदी को सत्ता तक पहुंचा दिया था। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो परसेप्शन की राजनीति में भी वह काफी हद तक कामयाब होते दिख रहे हैं।
यही नहीं, केरल के तिरुअनंतपुरम में राहुल गांधी के बयान, ’बीते 15 सालों से मैं उत्तर भारत से सांसद था, मेरे लिए केरल आना बड़ा ही ताज़गी वाला अनुभव रहा क्योंकि मैंने पाया कि यहां लोगों की मुद्दों में रूचि है, लोग बस मुद्दों को सतही तौर पर नहीं जानते बल्कि इसे काफ़ी गहराई के साथ समझते हैं', जिसे लेकर भाजपा के साथ कांग्रेसी (खासकर जी-23 के नेता) भी उनको नसीहत देते नजर आए लेकिन राहुल ने क्या गलत कहा। भाजपा राहुल गांधी पर देश को तोड़ने का आरोप लगा रही है लेकिन ये आरोप जहां खुद-ब-खुद हास्यास्पद बनकर रह गए हैं। वहीं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, वाली स्थिति को ही ज्यादा परिलक्षित करते दिखते हैं।
दादी इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने के फैसले को गलती बताकर भी राहुल गांधी ने भाजपा के 'अघोषित आपातकाल' वाले राजनीतिक आरोपों को ही जमीन देने का काम किया है। एक तरह से राहुल ने आज के भारत की राजनीतिक समस्या की नब्ज पर ही हाथ रख दिया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान सरकार भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है। भारत में हर संस्था की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है। इसके बीच सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया से विपक्ष के लिए राजनीति कर पाना लगभग असंभव हो गया है। अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कौशिक बसु और छात्रों से एक संवाद में राहुल गांधी ने कहा कि 1975 में लगाई गई इमरजेंसी और अभी जो हो रहा है उसमें काफी अंतर है। तब कांग्रेस पार्टी ने संस्थानों पर कब्जा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ढांचा ऐसा है कि वह चाहे भी तो यह नहीं कर सकती।
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