नई दिल्ली। कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को शनिवार रात 11 बजे इंदौर की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। फारुकी को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को जमानत मिल गई थी, लेकिन रिहा नहीं किया गया। परिजन ने जरूरी प्रक्रिया भी पूरी कर ली थी। शनिवार रात परिवारवालों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत आदेश की अवमानना याचिका दायर की। इस पर शीर्ष कोर्ट ने रात में ही सुनवाई कर तुरंत रिहाई के आदेश दिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फारुकी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी जमानत पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रोडक्शन वॉरंट पर भी रोक लगा दी थी। फारुकी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और मीडिया से बचाने के लिए मेन गेट की बजाय दूसरे गेट से बाहर निकाला गया। आमतौर पर कैदियों को शाम 7 बजे के बाद रिहा नहीं किया जाता, पर फारुकी को देर रात के बाद छोड़ा गया।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ‘इंदौर सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट राजेश बांगडे ने बताया कि पहले हमें रिहाई का ऑर्डर नहीं मिला था। सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को फोन करके कहा कि एक वेबसाइट देखिए, वहां रिहाई का ऑर्डर अपलोड हो गया है। हमने साइट चेक की और इसके बाद रात 11 बजे फारुकी को छोड़ दिया।’
भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य की शिकायत पर फारुकी और उसके 4 साथियों को 1 जनवरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। विधायक के बेटे की शिकायत के अनुसार, नए साल के मौके पर इंदौर के एक कैफे में कॉमेडी शो के दौरान भारतीय देवी-देवताओं और गृहमंत्री अमित शाह को लेकर कई आपत्तिजनक टिपप्णियां की गई थीं। इसी आधार पर फारुकी और उसके साथियों के अलावा एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
न्यायिक हिरासत में जाने के बाद फारुकी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट, सेशन कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई थी। यहां पिटीशन खारिज हो गईं। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जमानत मिलने के बाद जब फारुकी के वकील पेपर लेकर जेल पहुंचे तो जेल प्रशासन ने मामले में रिहा कर दिया।
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी फारुकी के खिलाफ प्रोडक्शन वॉरंट जारी किया था। इस वीडियो के आधार पर उसके ऊपर भारतीय देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगा था। इंदौर जेल में रहने के दौरान ही उससे 18 फरवरी को हाईकोर्ट में मौजूद होने को कहा गया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फारुकी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी जमानत पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रोडक्शन वॉरंट पर भी रोक लगा दी थी। फारुकी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और मीडिया से बचाने के लिए मेन गेट की बजाय दूसरे गेट से बाहर निकाला गया। आमतौर पर कैदियों को शाम 7 बजे के बाद रिहा नहीं किया जाता, पर फारुकी को देर रात के बाद छोड़ा गया।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ‘इंदौर सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट राजेश बांगडे ने बताया कि पहले हमें रिहाई का ऑर्डर नहीं मिला था। सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को फोन करके कहा कि एक वेबसाइट देखिए, वहां रिहाई का ऑर्डर अपलोड हो गया है। हमने साइट चेक की और इसके बाद रात 11 बजे फारुकी को छोड़ दिया।’
भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य की शिकायत पर फारुकी और उसके 4 साथियों को 1 जनवरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। विधायक के बेटे की शिकायत के अनुसार, नए साल के मौके पर इंदौर के एक कैफे में कॉमेडी शो के दौरान भारतीय देवी-देवताओं और गृहमंत्री अमित शाह को लेकर कई आपत्तिजनक टिपप्णियां की गई थीं। इसी आधार पर फारुकी और उसके साथियों के अलावा एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
न्यायिक हिरासत में जाने के बाद फारुकी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट, सेशन कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई थी। यहां पिटीशन खारिज हो गईं। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जमानत मिलने के बाद जब फारुकी के वकील पेपर लेकर जेल पहुंचे तो जेल प्रशासन ने मामले में रिहा कर दिया।
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी फारुकी के खिलाफ प्रोडक्शन वॉरंट जारी किया था। इस वीडियो के आधार पर उसके ऊपर भारतीय देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगा था। इंदौर जेल में रहने के दौरान ही उससे 18 फरवरी को हाईकोर्ट में मौजूद होने को कहा गया था।