संसद के जरिए जनता को गुमराह कर रहे हैं अमित शाह- रिहाई मंच

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 14, 2020
लखनऊ। रिहाई मंच ने गृहमंत्री अमित शाह के साम्प्रदायिक हिंसा से सम्बंधित बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि योगी की भाषा बोल रहे हैं शाह। मंच ने उत्तर प्रदेश के तर्ज पर सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान की वसूली को गैर कानूनी बताते हुए कहा कि भाजपा ने संविधान को ताक पर रख दिया है।



रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को बताया कि करीब तीन सौ दंगाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली आए थे लेकिन उन्होंने उनकी पहचान पर चुप्पी साधे रखी। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस सम्बंध में विस्तार से बताया है। आयोग ने यह भी बताया कि दंगाइयों को ट्रकों में भर कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा से ले जाया गया था और स्कूलों में उनके रुकने की व्यवस्था की गई थी। दंगाई पूरी तरह हथियारों से लैस थे। उन्हीं दंगाइयों ने ‘जय श्रीराम’ उद्द्घोष के साथ मुसलमानों के मकानों और दुकानों पर हमले किए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अमित शाह दिल्ली हिंसा के लिए कुछ संगठनों के नाम लेकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा से गए हिंदुत्वादी प्रशिक्षित दंगाइयों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

राजीव यादव ने कहा कि पिछले कुछ समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदुत्ववादी संगठनों के प्रशिक्षित हथियारबंद गिरोह काफी सक्रिय हैं। इन्हीं गिरोहों के सदस्यों ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की भी हत्या की थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में उन संगठनों के लोगों को चिन्हित कर उनके सदस्यों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए आवाज़ उठाने और राहत-बचाव का काम करने वाले संगठनों का नाम लेकर असली अपराधियों को बचाने का काम सरकार कर रही है।

मंच महासचिव ने एनपीआर से सम्बंधित गृह मंत्री के राज्य सभा में दिए गए बयान, कि एनपीआर लेत समय ‘डी’ अथवा संदिग्ध नागरिक नहीं लिखा जाएगा, इसे लेकर जनता को डरने की आवश्यकता नहीं है, को अस्पष्ट बताया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री शब्दों से खेल रहे हैं। उन्हें साफ कहना चाहिए कि एनपीआर डाटा के सुरक्षित होने की गारंटी देते हुए स्पष्ट बताना चाहिए कि एनपीआर का इस्तेमाल एनआरसी के लिए कभी नहीं किया जाएगा। सरकार के विभिन्न मंत्रियों के बयानों में भिन्नता के चलते विश्वास बहाली के लिए सरकार को नई अधिसूचना जारी कर भ्रम को समाप्त करना चाहिए लेकिन सरकार ऐसा करने से कतरा रही है जिससे अविश्वास का माहौल बन रहा है।

द्वारा-
राजीव यादव
 

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