मणिपुर: भीड़ ने एम्बुलेंस जलाई, मां-बेटे समेत तीन की मौत, कुकी महिलाओं का अमित शाह के घर के सामने प्रदर्शन

Written by sabrang india | Published on: June 8, 2023
मणिपुर जल रहा है। पश्चिम इंफाल ज़िले में भीड़ ने एक एम्बुलेंस को रास्ते में रोक उसमें आग लगा दी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।  



केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे के बाद राज्य में फिर से हिंसा भड़क रही है। इस बीच बुधवार को कुकी जनजाति की महिलाओं ने शाह के दिल्ली स्थित घर के बाहर प्रदर्शन किया और राज्य में शांति बहाली व कुकी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। बुधवार सुबह ही बैनर पोस्टर लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार की नाकामी को इन पोस्टर्स के जरिए ही आइना दिखाया। 

वरिष्ठ पत्रकार रवीशकुमार ने अपने यूट्यूब चैनल पर विस्तृत रूप से समझाया कि राज्य में हालात किस हद तक बदतर हो चुके हैं। रवीश कुमार के मुताबिक, कुकी वुमन फोरम ने अमित शाह को दिए ज्ञापन में लिखा है कि 29 से 31 मई के बीच आपका राज्य का दौरा हुआ है जिसके बाद से 56 कुकी गांवों को जला दिया गया है। शाह के घर के बाहर पहुंची महिलाओं ने अपने हाथ में पोस्टर लिए हुए थे जिसमें पूछा जा रहा था कि आपने अपने दौरे के दौरान राज्य में शांति का वादा किया था वह शांति कहां है? इसके साथ ही मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तानाशाह बताया गया था। 



आरोप है कि मणिपुर सशस्त्र बल के कमांडो मैतेई समुदाय का साथ दे रहे हैं। कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय और पहाड़ी एरिया के गांवों के बीच पुलिस चौकी बनाने की मांग की है साथ ही बफर जोन बनाने की भी मांग की है। कहा गया है कि पहाड़ी क्षेत्रों से मणिपुर सशस्त्र बल के मैतेई समुदाय के जवानों का घाटी में ट्रांसफर किया जाए। 

बता दें कि मणिपुर के पश्चिम इंफाल जिले में भीड़ ने एक एम्बुलेंस को रास्ते में रोक उसमें आग लगा दी, जिससे उसमें सवार आठ वर्षीय बच्चे, उसकी मां और एक अन्य रिश्तेदार की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि यह घटना रविवार शाम को इरोइसेम्बा में हुई। उन्होंने कहा कि गोलीबारी की एक घटना के दौरान बच्चे के सिर में गोली लग गई थी और उसकी मां तथा एक रिश्तेदार उसे इंफाल स्थित अस्पताल ले जा रहे थे। अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ के हमले में मारे गए तीनों लोगों की पहचान तोंसिंग हैंगिंग (8), उसकी मां मीना हैंगिंग (45) और रिश्तेदार लिदिया लोरेम्बम (37) के तौर पर हुई है।

असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घटना की पुष्टि की और बताया कि घटनास्थल और उसके आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हालांकि, कुकी वुमन फोरम का कहना है कि असम रायफल्स के जिन जवानों को कुकी समुदाय की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें से अधिकांश मैतेई समुदाय से आते हैं। सुरक्षा के नाम पर कुकी घरों की तलाशी ली जा रही है। 

सूत्रों ने बताया कि एक आदिवासी का बेटा तोंसिंग और मेइती जाति की उसकी मां कंग्चुप में असम राइफल्स के राहत शिविर में रह रहे थे। चार जून को शाम के समय इलाके में गोलीबारी शुरू हो गई और शिविर में होने के बावजूद बच्चे को गोली लग गई।



सूत्रों ने कहा, ‘‘असम राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारी ने तुरंत इंफाल में पुलिस से बात की और एम्बुलेंस की व्यवस्था की। मां बहुसंख्यक समुदाय से थी, इसलिए बच्चे को सड़क मार्ग से इंफाल के ‘रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज’ ले जाने का फैसला किया गया।’’ कुछ किलोमीटर तक असम राइफल्स की सुरक्षा में एम्बुलेंस को ले गया गया और उसके बाद स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाला। काकचिंग क्षेत्र में कुकी समुदाय के कई गांव हैं और यह कांगपोकपी जिले की पश्चिमी इंफाल से लगी सीमा पर मेइती समुदाय के गांव फायेंग के पास है। इस क्षेत्र में 27 मई से गोलीबारी की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।

मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है।

मणिपुर हिंसा के दौरान कुकी समुदाय से शाह ने की थी मुलाकात
मणिपुर दौरे के दौरान अमित शाह ने राहत शिविरों का दौरा किया था और यहां के लोगों से मुलाकात भी की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सरकार की पहल को लोगों का मजबूत समर्थन मिल रहा है। शाह राज्य के अपने दौरे के तीसरे दिन हिंसा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने पहुंचे थे। उन्होंने जहां कांगपोकपी में कुकी राहत शिविर का दौरा कर पीड़ितों की बातें सुनीं थीं। वहीं इंफाल में एक राहत शिविर में मैतेई शरणार्थियों की पीड़ा भी सुनी थी। 

विस्थापित लोगों के लिए बनाई गई समिति
मिजोरम सरकार ने हिंसा प्रभावित मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) के मुद्दों से निपटने के लिए गृह मंत्री लालचमलियाना के नेतृत्व में उच्चस्तरीय समिति बनाई है। गृह विभाग के अनुसार, पिछले महीने की शुरुआत में पड़ोसी राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर के कुल 9,501 आईडीपी ने मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री जोरमथांगा के निर्देश पर यह समिति रविवार को बनाई गई।

कांग्रेस कर चुकी है मणिपुर हिंसा की हाई लेवल जांच की राष्ट्रपति से मांग
मणिपुर की स्थिति को लेकर मंगलवार दोपहर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। वहीं, कांग्रेस नेता ने बताया कि मणिपुर के बिगड़ते हालात को काबू लाने के लिए उन्होंने मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा। नेता ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच आयोग के गठन सहित 12 मांगें रखी हैं।
 
ऐसे भड़की थी मणिपुर में हिंसा
हिंसा पहली बार तब भड़की जब तीन मई को राज्य के पहाड़ी जिलों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया। हिंसा से पहले कुकी समुदाय के ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव पैदा हो गया था।

मैतेई समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए दीवार बनकर खड़ी हो गई थीं कुकी महिलाएं
मई की शुरूआत में ईस्ट मोजो ने एक वीडियो रिपोर्ट की थी जिसमें बताया गया था कि चुराचांदपुर में मैतेई समुदाय के लोग फंसे हुए थे। उन्हें बचाने के लिए कुकी जनजाति की महिलाओं ने सड़क जाम कर दी और मैतेई लोगों को नुकसान पहुंचाने वाली भीड़ को आगे नहीं बढ़ने दिया। कुकी महिलाओं ने मानव श्रृंखला बनाकर सड़क को अवरुद्ध कर दिया, जबकि भीड़ उग्र लग रही थी लेकिन महिलाओं द्वारा सड़क को अवरुद्ध करने के कारण वे आगे नहीं बढ़े। मैतेई महिलाओं को सेना के वाहनों में ले जाया जा रहा था लेकिन भीड़ वाहनों को बाहर नहीं जाने दे रही थी, हालांकि, इन महिलाओं द्वारा दिखाई गई बहादुरी और मानवता ने संभवतः इन मैतेई लोगों की जान बचाई।

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